लखीमपुरी खीरी: माफिया के बजाय उसके खिलाफ ज्ञापन देने गए नेताओं को ही प्रशासन ने किया गिरफ्तार

नई दिल्ली/लखीमपुर खीरी। देश के शासन-प्रशासन और उसकी व्यवस्था में एक अजीब किस्म की हवा चल पड़ी है। जिसमें पीड़ित को ही जगह-जगह आरोपी के तौर पर पेश कर सजा देने का दौर शुरू हो गया है। और यह किसी एक जिले और सूबे तक सीमित नहीं है बल्कि पूरे देश में इसको एक नीति के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। इस मामले में बीजेपी सरकारों ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।

यूपी में इसके आए दिन किस्से देखने को मिल रहे हैं। प्रतापगढ़ में हमलावर सवर्णों के बजाय पीड़ित पटेल समुदाय के लोगों को ही पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था। यह घटना बीते एक हफ्ते भी नहीं हुए हैं कि लखीमपुर खीरी के पलिया ब्लॉक में स्थानीय माफियाओं के खिलाफ उपजिलाधिकारी को ज्ञापन देने गए नेताओं को ही गिरफ्तार कर लिया गया।

माफिया के खिलाफ प्रदर्शन।

जानकारी के मुताबिक अखिल भारतीय किसान सभा के राज्य कार्यकारिणी सदस्य और इलाके के लोकप्रिय किसान नेता कमलेश राय स्थानीय उपजिलाधिकारी पूजा यादव को एक माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने संबंधी ज्ञापन देने गए थे। लेकिन माफिया के बजाय प्रशासन ने ज्ञापन देने गए लोगों के खिलाफ ही कार्रवाई कर दी और उनके समेत 6 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। 

इन सभी पर शांति भंग की आशंका और कोरोना के नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। दिलचस्प बात यह है कि गिरफ्तारी के बाद इन सभी को एक ही जीप में एक साथ बैठाकर जेल भेजा गया जो खुद में कोरोना के नियमों का उल्लंघन है।

लेकिन बताया जा रहा है कि एसडीएम पूजा यादव अपने इन्हीं तुगलकी फैसलों के लिए मशहूर हैं। इसके पहले भी उन्होंने इसी तरह के कई कारनामे कर दिखाए हैं। जिसकी इलाके में चर्चा है।

घटना को लेकर इलाके में रोष है। सपा नेता क्रांति कुमार सिंह ने किसान नेताओं के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की कड़े शब्दों में निंदा की है। उन्होंने कहा है कि प्रशासन अगर नेताओं को बगैर शर्त नहीं छोड़ता है तो इलाके की जनता आंदोलन के लिए बाध्य हो जाएगी।

अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय सचिव पुरुषोत्तम शर्मा ने नेताओं को तुरंत रिहा करने की मांग की है। उन्होंने खनन माफिया को सरंक्षण देने वाले लखीमपुर खीरी की एसडीएम पलिया और उनके संरक्षण में पल रहे खनन माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की है। 

उन्होंने कहा कि भाजपा राज में खनन माफियाओं के खिलाफ शिकायतें करना सबसे बड़ा अपराध हो गया है। उत्तर प्रदेश हो या उत्तराखंड या बिहार कहीं भी खनन माफिया के खिलाफ आवाज उठाना सबसे बड़ा खतरा मोल लेना है। आलम यह है कि माफियाओं का हमला और प्रशासन द्वारा मुकदमे की कार्रवाई को झेलने के लिए तैयार हों तो इन माफियाओं के खिलाफ शिकायत करें।

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