न्यूज़क्लिक के खिलाफ ‘टारगेटेड कैंपेन’ के विरोध में बुद्धिजीवियों समेत समाज के विभिन्न हिस्सों ने हस्ताक्षर कर जारी किया बयान

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा ऑनलाइन समाचार वेबसाइट न्यूज़़क्लिक और उसके संपादक प्रबीर पुरकायस्थ के खिलाफ टारगेटेड कैंपेन चला कर बदनाम करने के विरोध में देश के कई वरिष्ठ पत्रकार, जन आंदोलनों के नेता, न्यायाधीश, वकील, शिक्षाविद्, वैज्ञानिक, लेखक, कलाकार, फिल्म निर्माता और अभिनेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है कि “हम सब न्यूज़़क्लिक को इस तरीके से निशाना बनाए जाने का पुरजोर विरोध करते हैं और अभिव्यक्ति के संवैधानिक अधिकार की रक्षा करने के संघर्ष के साथ अपनी एकजुटता दोहराते हैं।” बयान पर 700 से ज्यादा लोगों के हस्ताक्षर हैं।

बयान में कहा गया है, “ऑनलाइन समाचार वेबसाइट न्यूज़क्लिक और उसके संस्थापक और मुख्य संपादक प्रबीर पुरकायस्थ के खिलाफ़ न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित कुछ बातों के आधार पर लगाए जा रहे झूठे आरोपों की हम निंदा करते हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी रिपोर्ट में यह आरोप नहीं लगाया गया है कि न्यूज़क्लिक ने किसी कानून का उल्लंघन किया है। न्यूज़क्लिक लगातार सरकारी नीतियों व कार्यवाहियों और देश के करोड़ों लोगों पर उनके असर के बारे में सटीक रूप से लेख व वीडियो प्रकाशित करता रहा है। उसका खास फ़ोकस समाज के सबसे पीड़ित और शोषित तबकों, मजदूरों व किसानों के संघर्षों को उजागर करने में रहा है। न्यूज़क्लिक ने उनकी पीड़ा और संकटमयी ज़िंदगी को आवाज़ दी है और सामाजिक न्याय के लिए लड़ रहे हर प्रकार के जन आंदोलनों को पहचान दी है। अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर भी उसके आलोचनात्मक विश्लेषण करने वाले लेख/वीडियो प्रकाशित होते रहे हैं जिनमें लेखकों के भिन्न-भिन्न मतों की झलक मिलती है।”

बयान में कहा गया है, “न्यूज़़क्लिक पर की जा रही यह हमलावर घेराबंदी हमारे संविधान में दर्ज अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर हमला है। किसी भी जनतंत्र में सरकार की नाकामियों के बारे में पाठकों को बताने और सरकार को आगाह करने की भूमिका स्वतंत्र पत्रकारिता निभाती है जिस पर हमला किया जा रहा है। देश की जनता को यह हक है कि अन्याय के खिलाफ़ लड़ने के लिए ज़रूरी जानकारी उसको मिले। इस हक को भी छीना जा रहा है। यह दुख की बात है कि कॉर्पोरेट मीडिया के इस दौर में कॉर्पोरेट दबदबे से मुक्त स्वतंत्र मीडिया को कुचल दिया जा रहा है। यह और भी ज्यादा खेदजनक है कि न्यूज़क्लिक के खिलाफ़ एक ज़हरीला मीडिया ट्रायल चलाया जा रहा है बावजूद इसके कि न्यूज़क्लिक पर लगाए गए आरोपों के मामले कोर्ट में हैं।”

न्यूज़क्लिक के साथ एकजुटता व्यक्त करने वाले सैकड़ों प्रतिष्ठित नागरिक

700 से ज्यादा लोगों ने न्यूज़़क्लिक के साथ एकजुटता दिखाते हुए बयान पर हस्ताक्षर किए हैं। हस्ताक्षरकर्ताओं में वरिष्ठ पत्रकार, जन आंदोलनों के नेता, न्यायाधीश, वकील, शिक्षाविद्, वैज्ञानिक, लेखक, कलाकार, फिल्म निर्माता, अभिनेता और अन्य संबंधित नागरिक शामिल हैं। इनमें हैं जॉन दयाल, एन. राम, प्रेम शंकर झा, सिद्धार्थ वरदराजन और एम. वेणु (संस्थापक संपादक, द वायर), सुधींद्र कुलकर्णी, पी. साईनाथ, वैष्णा रॉय (संपादक, फ्रंटलाइन), बेजवाड़ा विल्सन (राष्ट्रीय संयोजक, सफाई कर्मचारी आंदोलन), अरुणा रॉय (मजदूर किसान शक्ति संगठन), प्रशांत भूषण, हर्ष मंदर, सैयदा हमीद, संजय हेगड़े, जस्टिस के. चंद्रू, कॉलिन गोंसाल्वेस, के. सच्चिदानंदन, जेरी पिंटो, दामोदर मौजो (गोवा के लेखक और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता), रोमिला थापर, सुमित सरकार, के एम श्रीमाली, तनिका सरकार, प्रभात पटनायक, उत्सा पटनायक, जयति घोष, सी. पी. चन्द्रशेखर, ज़ोया हसन, ज्यां द्रेज, रत्ना पाठक शाह, नसीरुद्दीन शाह, आनंद पटवर्धन और कई अन्य प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल हैं।

कुछ दिन पहले प्रेस क्लब ऑफ इंडिया समेत दो अन्य पत्रकार संगठनों ने एक बयान जारी कर न्यूज़क्लिक और उससे जुड़े पत्रकारों को निशाना बनाए जाने को न्यूजपोर्टल और पत्रकारों के खिलाफ टारगेटेड कैंपेन बताया था। उक्त बयान में भी कहा गया कि केंद्र सरकार द्वारा न्यूज़पोर्टल ‘न्यूज़क्लिक’ और उससे एडिटर इन चीफ प्रबीर पुरकायस्थ पर निशाना साधा जा रहा है। यह सब केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचनात्मक जांच करने के कारण किया जा रहा है। बयान में कहा गया है कि “कुछ संसद सदस्यों समेत वरिष्ठ राजनीतिक हस्तियों द्वारा हाल ही में लगाए गए आरोप, जिसमें कहा गया है कि न्यूज़ पोर्टल पड़ोसी देश के लिए मुखपत्र के रूप में कार्य करता है, अनुचित और निंदनीय दोनों हैं। जबकि न्यूज़क्लिक, बाक़ी मीडिया आउटलेट्स की तरह, सरकारी कार्यों की आलोचनात्मक जांच करता है, ऐसा करना इसे देशद्रोही या किसी विदेशी देश का टूल नहीं बनाता है।

आपको बता दें कि न्यूयॉर्क टाइम्स में न्यूजक्लिक से संबंधित एक खबर प्रकाशित हुई थी। जिसमें उसके वेबपोर्टल को बाहर से डोनेशन मिलने का जिक्र किया गया था। लेकिन उसमें न तो राशि दी गयी थी और न ही कोई दूसरी जानकारी लेकिन उसको लेकर केंद्र सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक प्रेस कांफ्रेंस की और पोर्टल पर तमाम तरह के आरोप लगाए। संसद में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने 38 करोड़ रुपये तक का जिक्र कर डाला। जिसका उस खबर में कोई जिक्र नहीं है। और पूरे मामले पर न्यूज़क्लिक की तरफ से जो सफाई आई है उसमें कहा गया है कि सारा मामला कोर्ट में है और अभी तक कोर्ट ने किसी गंभीर आरोप की तरफ इशारा नहीं किया है। ऐसे में इस तरह का आरोप पोर्टल को महज बदनाम करने के लिए किया जा रहा है।

मोदी शासनकाल में न्यूज़क्लिक को बदनाम करने की यह कोई पहली घटना नहीं है। पहले भी केंद्र सरकार के इशारे पर प्रवर्तन निदेशालय ने न्यूज़क्लिक पर कार्रवाई की थी।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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  • जन चौक ने न्यूज़ क्लिक द्वारा सरकार के काले कारनामे को उजागर करने के कारण न्यूज़ क्लिक्ब को दनाम करने और अभिव्यक्ति के अधिकार पर हमला करने के कुत्सित प्रयास को उजागर करने के लिए बहुत बहुत बधाई। हरीश चन्द्र आई ए एस ( अव प्रा)

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