महसा अमीनी की कस्टोडियल हत्या के ख़िलाफ़ ईरान में महिलाओं ने उतारे हिजाब, लगाये ‘तानाशाह को मौत’ के नारे

महसा अमीनी के अंतिम संस्कार के बाद ईरान में शुरू हुए विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाओं ने हिजाब हटाकर प्रदर्शन किया, जिसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग कर दी, जिसमें काफी लोग घायल हुये हैं।

प्रदर्शनकारी महिलाओं ने हिजाब हटाकर ‘तानाशाह को मौत’ के नारे लगाये। ईरान में सार्वजनिक स्थान पर हिजाब उतारना अपराध माना जाता है। बावजूद इसके महसा अमीनी के अंतिम संस्कार के बाद ईरान में बड़े स्तर पर महिलाओं द्वारा हिजाब उतारकर प्रदर्शन किया है।

गौरतलब है कि तेहरान में मॉरलिटी पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के तीन दिन बाद 16 सितंबर को 22 वर्षीय कुर्दिश महिला महसा अमीनी की ईरान की नैतिकता पुलिस की बर्बर पिटाई से मौत हो गई। या यूं कहें कि हिजाब न पहनने के जु़र्म में ईरान की नैतिकता पुलिस (ग़श्त-ए-इर्शाद) ने उन्हें पीट – पीटकर मार डाला।

द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक़ महसा अमीनी अपने परिवार के साथ ईरान के पश्चिमी प्रांत कुर्दिस्तान से राजधानी तेहरान की यात्रा कर रही थीं, जब उन्हें कथित तौर पर महिलाओं की पोशाक पर देश के सख्त नियमों को पूरा करने में विफल होने के चलते गिरफ्तार कर लिया गया। प्रत्यक्षदर्शियों ने स्थानीय मीडिया को बताया कि महसा अमीनी को पुलिस वैन में पीटा गया था। ईरानी मानवाधिकार संगठन, हराना के अनुसार, अमीनी के परिवार को उनकी गिरफ्तारी के दौरान बताया गया था कि उन्हें “पुनर्शिक्षा सत्र” के बाद रिहा कर दिया जाएगा।

पुलिस ने बाद में कहा कि अमीनी को दिल का दौरा पड़ा था। हालांकि, महसा अमीनी के परिवार ने इस पर विवाद किया और कहा कि वह स्वस्थ थी और किसी भी तरह की कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं थी। परिजनों के मुताबिक़ अस्पताल पहुंचने के बाद अमीनी कोमा में थीं, उनके परिवार ने कहा, अस्पताल के कर्मचारियों ने उन्हें बताया कि वह ब्रेन डेड थी।

राज्य के मीडिया के मुताबिक इस घटना के बाद ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने गृह मंत्री को मामले की जांच शुरू करने का आदेश दिया है। गृह मंत्री ने ट्वीट करके कहा है कि उन्होंने अमीनी की मृत्यु की जांच के लिए सुरक्षा और इंटेलिजेंस में अपने डिप्टी को नियुक्त किया है और रिपोर्ट मांगी है।

12 जुलाई को राष्ट्रीय “हिजाब और शुद्धता दिवस” ​​घोषित होने के बाद पूरे देश में महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है। महिलाओं में से एक लेखक और कलाकार सेपिदेह रश्नो थे, जिन्हें टेलीविजन पर जबरन माफी मांगने से पहले कथित तौर पर पीटा गया और हिरासत में प्रताड़ित किया गया।

यह खबर ईरान के कट्टर राष्ट्रपति इब्राहिम रइसी द्वारा महिलाओं के अधिकारों पर कार्रवाई का आदेश देने और देश के अनिवार्य ड्रेस कोड को सख्ती से लागू करने का आह्वान करने के हफ्तों बाद आई है, जिसके लिए 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से सभी महिलाओं को हिजाब पहनना आवश्यक है।

ईरान में 1979 में हुई इस्लामिक क्रांति के बाद से ही महिलाओं को हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया गया था। नियमों के मुताबिक़ महिलाओं को अपना सिर ढकना अनिवाार्य है और सार्वजनिक स्थानों पर निकलने के पहले उनके बाल ढके होने चाहिए। वहीं दूसरी ओर राजनीतिक सुधार में लगे लोगों ने ईरान की संसद से हिजाब को लेकर बने कानून को रद्द करने की मांग की है।

बता दें कि ईरान में बीते कुछ वर्षों से महिलायें सख़्त ड्रेस कोड के ख़़िलाफ़ खुलकर बोलती नज़र आयी हैं। साल 2017 के बाद से ईरान में महिलायें सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब उतारकर विरोध कर रही हैं जिसके बाद प्रशासन द्वारा कड़ा रुख अपनाया जा रहा है।

मरहूम महसा अमीनी के समर्थन में मानवाधिकार संगठनों सहित अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी आवाज़ उठने लगी है। ईरानी सांसदों ने इस घटना में पुलिस के बर्ताव पर सवाल उठाये हैं। जाने-माने ईरानी फिल्म डायरेक्टर अज़गर फरहादी ने सोशल साइट्स पर लिखा है कि अधिकारियों की ‘अंतहीन क्रूरता’ के सामने, ‘हमने अपनी आंखें मूंद ली हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवियन ने शनिवार को ट्वीट कर कहा, ’22 वर्षीय महसा अमीनी की मौत से हम चिंतिंत हैं, जिसे कथित तौर पर ईरान की मॉरलिटी पुलिस ने कस्टडी में मारा। उसकी मृत्यु अक्षम्य है। हम इस तरह के मानवाधिकारों के हनन के लिए ईरानी अधिकारियों को जवाबदेह ठहराना जारी रखेंगे’।

(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

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