कनाडाई सिसायत में किंगमेकर बने जगमीत

कनाडा चुनाव में वामपंथी विचारधारा से प्रभावित न्‍यू डेमोक्रेटिक पार्टी के जगमीत सिंह किंगमेकर बन गए हैं। वह जस्टिन ट्रूडो के लिए खासे अहम हो गए हैं। कनाडा में इस बार त्रिशंकु संसद बनी है। सत्तारूढ़ रहे प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी सबसे ज्यादा सीटों के साथ पहले नंबर पर है, लेकिन जरूरी बहुमत से वह दूर है। 338 सीटों वाले हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी को 157 सीटें मिली हैं। सरकार गठन का जादुई आंकड़ा 170 है। विपक्षी कंजर्वेटिव को 121, न्‍यू डेमोक्रेटिक पार्टी ने 24 सीटें जीती हैं। ब्लॉक क्यूबेकोइस को 32, ग्रीन पार्टी को तीन और निर्दलीय को एक सीट मिली है।

ग्रीन पार्टी ने पहले ही विपक्ष में बैठने के संकेत दिए हैं। वहीं ब्लॉक क्यूबेकोइस नेता येव्स फ्रांकोइस ब्लैंचेट ने भी सरकार में शामिल होने से मना कर दिया है। ऐसे में सभी की निगाहें एनडीपी पर टिकी हैं। जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी को कम से कम एक विपक्षी दल को साथ लेना ही होगा। वामपंथी रूझान वाली न्‍यू डेमोक्रेटिक पार्टी का प्रदर्शन पिछले चुनाव के मुकाबले खराब रहा है। पिछली बार उन्हें 39 सीटें मिली थीं, जबकि इस बार 24 सीटें ही वह जीत सकी है। बदले सियासी हालात में इस बार एनडीपी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है। पार्टी के मुखिया जगमीत सिंह किंगमेकर की भूमिका में हैं। वह किसी बड़ी कनाडाई पार्टी के पहले सिख नेता हैं।

जगमीत सिंह के परदादा स्वतंत्रता सेनानी थे। माता-पिता पंजाब से कनाडा जाकर बसे थे। जगमीत कनाडा में ही दो जनवरी, 1979 को पैदा हुए। बायोलॉजी से बीएससी जगमीत यॉर्क यूनिवर्सिटी से लॉ ग्रेजुएट हैं। वह पेशे से क्रिमनल लॉयर  हैं। वह पहली बार तब चर्चा में आए जब उन्होंने लॉ की पढ़ाई के दौरान बढ़ी हुई ट्यूशन फीस के खिलाफ मोर्चा खोला। 2006 में उन्‍होंने बार काउंसिल की सदस्‍यता हासिल की। शरणार्थियों और अप्रवासी नागरिकों के पक्ष में वह आवाज उठाते रहे हैं। अहम बात यह है कि वह अपना पहला चुनाव हार गए थे। 2015 में उन्‍हें ऑन्‍टैरियो न्‍यू डेमोक्रेटिक पार्टी का डिप्‍टी लीडर चुना गया। 2017 में उन्‍होंने पार्टी का राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बनने के लिए चुनाव लड़ा। वह चार कैंडिडेट्स के बीच 53.8% वोट पाकर जीत गए।

न्‍यू डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष जगमीत सिंह ट्रूडो को समर्थन देने का इशारा कर चुके हैं। उन्होंने अपने भाषण में कहा है, ‘मुझे उम्मीद है कि ट्रूडो इस बात का सम्मान करते हैं कि अब एक अल्पमत की सरकार है, इसका मतलब हमें अब साथ मिलकर काम करना होगा।’ कनाडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन की खबर के मुताबिक, खुद प्रधानमंत्री पद के दावेदार रहे सिंह (40) ने कहा है कि वह चाहते हैं कि एनडीपी नयी संसद में रचनात्मक भूमिका निभाए। 

कनाडा में बड़ी संख्या में सिख समुदाय रहता है। यहां महारानी विक्टोरिया के जमाने में भारत सेे सिख समुदाय पहुंचा था। तकरीबन सवा सौ साल में सिख समुदाय ने काफी तरक्की की है। इनका राजनीति में दखल भी बढ़ा है। कनाडा में सिख समुदाय राजनीतिक प्रतिनिधित्व के मामले में भारत से भी आगे है। कनाडा की संसद में 18 सिख सांसद हैं। इसके मुकाबले भारत में यह आंकड़ा महज 13 का ही है। इनमें से भी 10 सांसद अकेले पंजाब से आते हैं। यानी बाकी भारत से सिर्फ तीन सिख ही भारत की संसद तक पहुंचे हैं।

एक बात अहम है कि कनाडा में चुने गए सिख सांसद में से 13 जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी के मेंबर हैं। इसके अलावा चार कंजरवेटिव पार्टी से हैं और एक सांसद जगमीत सिंह की पार्टी एनडीपी से चुना गया है। ट्रूडो सिख समुदाय के प्रति काफी उदार भी हैं। इसीलिए उन्हें मजाक में जस्टिन सिंह ट्रूडो भी कहा जाता है। 2015 में ट्रूडो ने कहा भी था कि उन्होंने जितने सिखों को अपनी कैबिनेट में जगह दी है उतनी जगह भारत की कैबिनेट में भी नहीं है।

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