बीबीसी डाक्यूमेन्टरी: जेएनयू में जैमर और जामिया में पुलिस

बीबीसी डाक्यूमेन्टरी “इंडिया: द मोदी क्वेश्चन” पर सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। भारत सरकार के बीबीसी और ब्रिटेन सरकार से शिकायत करने के बाद लग रहा था कि मामला शांत हो गया। लेकिन इस डाक्यूमेन्टरी को प्रतिबंधित करने के बाद भी यह छात्रों-नौजवानों की पहुंच से दूर नहीं है। केंद्र सरकार और प्रशासन डाक्यूमेन्टरी को देखने पर सख्त रूख अपना रहा है। लेकिन मंगलवार को दिल्ली के जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों ने बीबीसी डाक्यूमेन्टरी “इंडिया: द मोदी क्वेश्चन” का स्क्रीनिंग करने का प्रयास किया।

जेएनयू के छात्रों द्वारा बीबीसी डाक्यूमेन्टरी, “इंडिया: द मोदी क्वेश्चन” की स्क्रीनिंग का प्रयास करने के एक दिन बाद आज यानि बुधवार को अब जामिया मिलिया इस्लामिया में छात्रों ने आज शाम 6 बजे अपने परिसर में बीबीसी डाक्यूमेन्टरी, “इंडिया: द मोदी क्वेश्चन” की स्क्रीनिंग करने का एलान किया है। लेकिन प्रशासन ने इस पर सख्त रूख अपनाया है और स्क्रीनिंग के पहले ही छात्रों को हिरासत में लेना शुरू कर दिया है और जामिया के गेटों को बंद कर परिसर को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया है। मिली जानकारी के मुताबिक अब तक पुलिस ने 4 छात्रों को हिरासत में लिया है।

जामिया मिलिया इस्लामिया में एसएफआई इकाई ने आरोप लगाया है कि स्क्रीनिंग से पहले उसके कुछ सदस्यों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। और छात्र संगठन ने विश्वविद्यालय गेट के पास धरना देना शुरू कर दिया है।

जामिया में प्रदर्शनकारी छात्रों को गिरफ्तार कर ले जाती दिल्ली पुलिस

जेएनयू छात्र संघ कार्यालय में मंगलवार को बीबीसी के दो भाग वाले वृत्तचित्र ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ के पहले एपिसोड की स्क्रीनिंग के लिए एकत्र हुए कई छात्रों ने दावा किया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्यक्रम को रोकने के लिए बिजली और इंटरनेट काट दिया। इस बीच, कथित तौर पर उन पर पत्थर फेंके जाने के बाद छात्रों ने विरोध भी किया। कुछ ने आरोप लगाया कि हमलावर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्य थे, इस आरोप पर आरएसएस से जुड़े छात्र संगठन ने इनकार किया। बाद में रात में, “इंकलाब जिंदाबाद” के नारे लगाते हुए और जेएनयू प्रशासन के खिलाफ, प्रदर्शनकारी छात्रों ने “पत्थरबाजों” के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए वसंत कुंज पुलिस स्टेशन तक मार्च किया।

मंगलवार रात जेएनयू प्रशासन की सख्त चेतावनी के बावजूद छात्रों ने छात्र संघ कार्यालय पर एकत्र होकर 2002 के गुजरात दंगों पर बनी ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन ’नामक बीबीसी की डाक्यूमेन्टरी देखी। छात्र प्रोजेक्टर पर डाक्यूमेन्टरी की स्क्रीनिंग न कर सकें, इसके लिए जेएनयू प्रशासन ने कार्यालय के आसपास की बिजली कटवा दी और जैमर लगवाकर इंटरनेट सेवाएं बाधित करा दी। इसके बावजूद वहां मौजूद छात्रों ने फोन व लैपटाप में पहले से डाउनलोड डाक्यूमेन्टरी सामूहिक तौर पर देखी।

जेएनयू छात्र संघ कार्यालय पर इकट्ठे होकर वामपंथी छात्र संगठनों से जुड़े छात्रों ने 2002 के गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेन्टरी को देखा। वहीं, कुछ छात्रों ने जेएनयू परिसर से बाहर निकलकर भी मोबाइल का इंटरनेट चला कर डॉक्यूमेन्टरी को डाउनलोड किया।

सोमवार को जेएनयू प्रशासन ने स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद छात्र डॉक्यूमेन्टरी की स्क्रीनिंग पर अड़े रहे। रात नौ बजे स्क्रीनिंग के समय पर छात्र छात्रसंघ कार्यालय पर स्क्रीनिंग के लिए जमा हुए। मगर स्क्रीनिंग दिखाने की योजना पर पानी फिर गया, क्योंकि छात्र संघ कार्यालय के आसपास बिजली काट दी गई थी। छात्रों ने प्रशासन की अस्वीकृति के बावजूद इसे आगे बढ़ाने की योजना बनाई थी। जब बिजली चली गई तो एकत्र हुए छात्रों ने इसे मोबाइल और लैपटॉप पर साथ बैठ कर देखा।

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