पत्रकार सिद्दीक कप्पन जेल से हुए रिहा, कहा- मैं मीडिया का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं

केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन आज जेल से रिहा हो गए हैं। लखनऊ के जेल से रिहा होने के बाद वह अपने परिवार वालों से मिले। सिद्दीक को साल 2020 में हुए हाथरस में दलित युवती के साथ गैंगरेप के मामले में रिपोर्टिंग करने के लिए जाते वक्त मथुरा टोल प्लाजा के पास चार लोगों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था। उस वक्त पुलिस का कहना था कि कप्पन हाथरस में माहौल खराब करने जाने रहे हैं। साथ ही पुलिस ने यह भी कहा था कि सिद्दीक कप्पन का पीएफआई के साथ कनेक्शन है। अब कप्पन 28 महीने जेल में रहने के बाद रिहा हुए हैं।

जिला जेल के जेलर राजेन्द्र सिंह के मुताबिक सिद्दीक कप्पन को कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद सुबह रिहा कर दिया गया। बुधवार रात करीब आठ बजे कप्पन का रिहाई आदेश जेल पहुंचा था। हाईकोर्ट से कप्पन को ईडी (प्रवर्तन निदेशालय), दर्ज गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और आईटी एक्ट समेत अन्य सभी मामलों में जमानत मिलने के बाद जेल प्रशासन ने उन्हें रिहा कर दिया।

मुझ पर झूठे आरोप लगाए गए

जेल से रिहा होने के बाद कप्पन ने कहा, “मैं 28 महीने बाद जेल से बाहर आया हूं, सपोर्ट करने के लिए मैं मीडिया का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। मुझ पर झूठे आरोप लगाए गए थे। अब बाहर आकर मैं बहुत खुश हूं”।

मीडिया ने जब उनसे पूछा कि वह हाथरस क्या करने गए थे तो उनका कहना था कि रिपोर्टिंग करने गया था, और मेरे साथ जो बाकी लोग थे वह छात्र थे। पुलिस द्वारा की गई बरामदगी के बारे में उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी के वक्त उनके पास एक लैपटॉप और मोबाइल था। जबकि साथ वाले लोगों के पास दो पेन और एक नोटपैड थे।

मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में मिली जमानत

उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 23 दिसंबर को ही ईडी के मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कप्पन को जमानत दे दी थी। इससे पहले यूपी पुलिस ने कप्पन पर देशद्रोह और कड़े आंतकवाद विरोधी कानून यूएपीए (UAPA)के तहत आरोप दर्ज किए थे। इस मामले में पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ उन्हें जमानत दे दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि यूपी के जेल से रिहा होने के बाद उन्हें छह महीने दिल्ली में रहना होगा। हर सोमवार को दिल्ली पुलिस स्टेशन में हाजिरी लगानी होगी। पासपोर्ट सरेंडर करना होगा। छह महीने तक यह सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद वह केरल वापस जा सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट में यूएपीए से राहत मिलने के बाद अब मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में भी कप्पन को रिहाई मिल गई है। अब वह लखनऊ से दिल्ली आएंगे।

कोर्ट की कानूनी प्रक्रिया

पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने कप्पन को अन्य सभी मामलों में जमानत दे दी थी , हालांकि, पीएमएलए मामले के लंबित रहने के कारण वह जेल से बाहर नहीं निकल सके। अक्टूबर 2022 में, लखनऊ सत्र अदालत ने पीएमएलए मामले में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिसंबर 2022 में उन्हें मामले में जमानत दे दी क्योंकि यह नोट किया गया था कि आरोपों के अलावा उनके सह-आरोपी (अतीकुर रहमान) के बैंक खाते में 5 हज़ार रुपए ट्रांसफर किए गए थे। इसके अलावा कोई अन्य लेनदेन नहीं था।

पीठ ने कहा, ” यहां तक कि अगर यह माना जाता है कि अपराध की आय का हिस्सा सह-आरोपी अतीकुर रहमान के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिया गया था तो यह साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है कि अभियुक्त-आवेदक ने अपराध की आय 1,36,14,291/- रुपये से कार्रवाई की है जो कथित तौर पर केए रऊफ शरीफ से लिए गए थे।”

23 दिसंबर को हाईकोर्ट ने सिद्दीक कप्पन को सशर्त जमानत दी थी। हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद पीएमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश संजय शंकर पांडे ने कप्पन को एक-एक लाख रुपये की दो जमानतें और इसी धनराशि का मुचलका दाखिल करने पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था।

कप्पन की ओर से बीते 9 जनवरी को जमानतनामे कोर्ट में दाखिल किए गए थे। इस पर कोर्ट ने जमानतदारों की हैसियत का सत्यापन कराए जाने का आदेश दिया था। बुधवार को जमानतदारों व उनके द्वारा दाखिल दस्तावेजों का सत्यापन हो गया। जिस पर कोर्ट ने आरोपी को रिहा करने का आदेश दे दिया है।

पत्नी ने कहा-मैं गर्व से कहती हूं कप्पन पत्रकार हैं

सिद्दीक कप्पन की रिहाई के बाद उनकी पत्नी रेहाना ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि दोनों मामलों में कप्पन को महीनों पहले जमानत मिल गई थी। यूएपीए के मामले में तो उच्चतम न्यायालय ने ही उन्हें बेगुनाह साबित कर दिया था। इतने लंबे समय में मैंने और मेरे बच्चों ने कई तरह की परेशानियों को देखा है। लेकिन देर से ही सही अब कप्पन को रिहाई मिल गई है। हमें इसी बात की खुशी है। “मैं और मेरे बच्चे गर्व से कहते हैं कि सिद्दीक कप्पन एक पत्रकार हैं।”

अब मेरा परिवार उनकी रिहाई से खुश है। बस दुख इस बात का है कि कप्पन की मां उनकी रिहाई से पहले ही दुनिया से अलविदा कह गईं। जून 2021 में उनका निधन हो गया था।

पूनम मसीह
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