जस्टिस कौशिक चंद्र पर बीजेपी का सदस्य होने का आरोप, ममता ने की चुनाव याचिका में जज बदलने की मांग

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के वकील ने शुक्रवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर नंदीग्राम से भाजपा के शुभेंदु अधिकारी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली उनकी याचिका दूसरी पीठ को सौंपे जाने का अनुरोध किया। पत्र में यह दावा किया गया है कि ममता को यह जानकारी मिली है कि उनकी याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति कौशिक चंद्र भाजपा के सक्रिय सदस्य  रह चुके हैं और चूंकि चुनाव याचिका पर फैसले के राजनीतिक निहितार्थ होंगे, इसलिए यह अनुरोध किया जाता है कि विषय को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश द्वारा दूसरी पीठ को सौंप दिया जाए। ममता ने अपनी चुनाव याचिका में इन्हीं आरोपों के साथ यह भी कहा है कि वोट काउंटिंग के दौरान फॉर्म 17सी में भी गड़बड़ी मिली है। इस मतगणना में वोटों और चुनाव परिणाम की डिटेल्स मौजूद होती हैं।

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख के वकील ने पत्र में यह भी कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने माननीय न्यायाधीश के नाम की कलकत्ता के माननीय उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में मंजूरी देने पर भी आपत्ति जताई थी और इस तरह संबद्ध न्यायाधीश की ओर से पूर्वाग्रह की आशंका है। ममता के वकील ने अनुरोध किया है कि चुनाव याचिका को दूसरी पीठ को सौंपे जाने के लिए पत्र को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया जाए, ताकि किसी पूर्वाग्रह से बचा जा सके।

जस्टिस कौशिक चंद्र ने नंदीग्राम से शुभेंदु अधिकारी के निर्वाचन को अवैध एवं अमान्य घोषित करने की ममता की याचिका पर सुनवाई दिन में 24 जून तक के लिए स्थगित कर दी। शुभेंदु वर्तमान में राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं। जस्टिस चंद्रा ने निर्देश दिया, ‘इस बीच उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार इस अदालत के सामने एक रिपोर्ट पेश करेंगे कि क्या यह याचिका जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 के अनुरुप दाखिल की गई है।

ममता बनर्जी की ओर से कलकत्ता हाई कोर्ट में दाखिल चुनाव याचिका में नंदीग्राम के विधायक शुभेंदु अधिकारी का चुनाव रद्द कराने की मांग की गई है। इस संबंध में याचिका दायर करते हुए ममता बनर्जी ने अदालत में कई तथ्यों को रखा है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण बात कहते हुए ममता ने दावा किया है कि शुभेंदु अधिकारी के पक्ष में परिणाम आने के बाद ममता ने जब रिकाउंटिंग की मांग की थी तो उसे खारिज कर दिया गया। ममता का दावा है कि रिटर्निंग ऑफिसर ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उसे जान से मारने की धमकी दी गई थी।

ममता बनर्जी ने पहला आधार रखा है कि शुभेंदु अधिकारी ने अपने चुनाव में रिश्वतखोरी, नफरत और शत्रुता को बढ़ावा देने वाले काम किए, जिसे देखते हुए उनका निर्वाचन रद्द होना चाहिए।ममता ने यह आरोप भी लगाया है कि शुभेंदु ने अपने चुनाव में धर्म के आधार पर वोट मांगने का भी काम किया।चुनाव को अमान्य घोषित करने की मांग करते हुए ममता ने याचिका में कहा है कि शुभेंदु ने मतदान के दौरान बूथ पर कब्जा करने और भ्रष्ट आचरण जैसे काम किए हैं।ममता ने याचिका में मतगणना की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि वोट काउंटिंग के दौरान फॉर्म 17सी में भी गड़बड़ी मिली है। इस मतगणना में वोटों और चुनाव परिणाम की डिटेल्स मौजूद होती हैं।

पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम सीट से ममता बनर्जी ने टीएमसी और शुभेंदु अधिकारी ने बीजेपी से दावेदारी की थी। 11वें राउंड की गिनती के बाद ममता शुभेंदु से आगे निकल गई थीं, हालांकि चुनाव परिणाम घोषित होने पर शुभेंदु को विजयी प्रत्याशी बताया गया था। ममता ने इस दौरान काउंटिंग दोबारा कराने की मांग भी रखी थी, हालांकि रिटर्निंग ऑफिसर ने इसे अस्वीकार कर दिया।

2 मई को हुई मतगणना के बाद ममता बनर्जी ने फैसले को चुनौती देने के लिए कोर्ट जाने की बात कही थी। ममता ने काउंटिंग के अगले दिन मीडिया से बात करते हुए ये भी कहा था कि नंदीग्राम में चुनाव अधिकारियों को धमकी दी गई थी। उस दौरान ममता ने एक एसएमएस का जिक्र करते हुए मीडिया से कहा था कि उन्हें एक ऐसे मेसेज का पता लगा है, जिसमें नंदीग्राम के एक चुनाव अधिकारी ने कहा था कि अगर वो दोबारा काउंटिंग का आदेश करेंगे तो उनकी जान को खतरा होगा।

इस बीच, वकीलों के एक समूह ने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख की चुनाव याचिका न्यायमूर्ति कौशिक को सौंपे जाने को लेकर उच्च न्यायालय के सामने प्रदर्शन किया।एक वकील ने कहा, ‘‘हमारा न्यायाधीश से कोई व्यक्तिग द्वेष नहीं है लेकिन वह एक राजनीतिक पार्टी से जुड़े रहे हैं। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश को खुद ही ममता की याचिका पर सुनवाई से अलग हो जाना चाहिए”।

याचिका की सुनवाई करने वाले जज की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किये जाने लगे हैं। ममता बनर्जी की याचिका पर जिस जज की बेंच में सुनवाई होनी है, उनके खिलाफ कलकत्ता हाइकोर्ट के वकील लामबंद हो गये। वकीलों ने काला मास्क लगाकर और पोस्टर-बैनर हाथों में लेकर हाइकोर्ट परिसर में ही जस्टिस कौशिक चंद्र के खिलाफ प्रदर्शन किया। वकीलों के हाथ में जो पोस्टर-बैनर थे, उस पर लिखा था- न्याय व्यवस्था के साथ राजनीति न करें। विरोध प्रदर्शन की अगुवाई करने वाले अचिंत्य कुमार बंद्योपाध्याय ने कहा कि जस्टिस कौशिक चंद्र कभी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सक्रिय सदस्य थे।  इतने महत्वपूर्ण राजनीतिक मामले की सुनवाई अगर उनके एकल पीठ में होगी, तो इससे लोगों के मन में न्याय व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े होंगे। उन्होंने मांग की कि इस मामले को सुनवाई के लिए किसी और पीठ में भेजा जाये।

विरोध करने वाले वकीलों ने सवाल किया कि मामले के राजनीतिक महत्व को जानते हुए जस्टिस कौशिक चंद्र की एकल पीठ में इस मामले को क्यों भेजा गया? तृणमूल कांग्रेस के राज्य महासचिव कुणाल घोष और तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भी इस पर सवाल खड़े किये हैं। दोनों ने ट्वीट करके सवाल पूछा है, जबकि बीजेपी की ओर से अब तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है।

बंगाल भाजपा के नेताओं ने स्वीकार किया है कि कुछ समय तक कौशिक चंद्र बीजेपी लीगल सेल से जुड़े रहे थे। हालांकि, वह पार्टी में कभी किसी पद पर नहीं रहे। जस्टिस कौशिक चंद्र कलकत्ता हाइकोर्ट में केंद्र सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं। सीबीआई और केंद्र सरकार की तरफ से कई मामलों में वह वकील के रूप में कोर्ट में पेश हुए।

यही नहीं ममता बनर्जी की सरकार के खिलाफ कौशिक चंद्र कई केस लड़ चुके हैं। ममता बनर्जी सरकार ने जब इमामों को भत्ता देने की घोषणा की, तो उस मामले में बीजेपी के वकील एसके कपूर थे और कौशिक चंद्रा उनके जूनियर थे। इतना ही नहीं, अमित शाह की धर्मतल्ला के विक्टोरिया हाउस के सामने होने वाली एक जनसभा की अनुमति देने से पुलिस प्रशासन ने इनकार कर दिया, तो मामला कोर्ट पहुंचा था। इस मामले में बीजेपी के वकील कौशिक चंद्रा थे। उपरोक्त दोनों ही केस में फैसला भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में हुआ था।

टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने दो तस्वीरें ट्वीट की और लिखा कि वह व्यक्ति कौन है जो दोनों तस्वीरों में ‘चक्कर’ लगा रहा है? क्या वह कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस कौशिक चंद्र हैं? क्या उन्हें नंदीग्राम चुनाव मामले की सुनवाई के लिए नियुक्त किया गया है? क्या न्यायपालिका और नीचे गिर सकती है? उन्होंने तस्वीर में दूसरे शख्स का हवाला देते हुए कहा कि वो बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष हैं और उनके साथ जस्टिस कौशिक चंद्र मंच साझा कर रहे हैं ऐसे में क्या आप न्याय की उम्मीद कर सकते हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

जेपी सिंह
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