370 पर SC का फैसला J&K को केंद्रशासित प्रदेश में बदलने के असंवैधानिक कार्य को जारी रखने की अनुमति: जस्टिस रोहिंटन नरीमन

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के शीर्ष अदालत के हालिया फैसले पर तीखा हमला बोला। जस्टिस नरीमन ने कहा कि यह फैसला बहुत परेशान करने वाला है और संघवाद पर बड़े पैमाने पर असर डालता है।

जस्टिस नरीमन ने कहा कि अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश में बदलने के असंवैधानिक कार्य को जारी रखने की अनुमति देता है।

जस्टिस नरीमन ने कहा कि राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदलने पर निर्णय लेने से इनकार करके उच्चतम न्यायालय  ने केंद्र सरकार को अनुच्छेद 356 को दरकिनार करने की अनुमति दी है। जिसके अनुसार किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन केवल एक वर्ष के लिए संभव है।

जस्टिस नरीमन ने कहा, “अनुच्छेद 356 संवैधानिक विघटन से संबंधित है, जब केंद्र सत्ता संभालता है। किसी भी परिस्थिति में यह एक वर्ष से अधिक नहीं हो सकता है, जब तक कि राष्ट्रीय आपातकाल न हो या चुनाव आयोग को यह न कहना पड़े कि चुनाव संभव नहीं हैं। इसे दरकिनार करने के लिए, केंद्र सरकार ने राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदलने का अनोखा तरीका निकाला।

उन्होंने कहा, “तो आप अनुच्छेद 356 को कैसे दरकिनार कर सकते हैं? आप राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के इस सरल तरीके से इसे दरकिनार कर सकते हैं, जहां आपके पास सीधे केंद्रीय नियंत्रण है और समय (सीमा) के बारे में कोई समस्या नहीं है।” सुप्रीम कोर्ट ने इस पर निर्णय लेने से इनकार करते हुए इस असंवैधानिक कार्रवाई को चलने दिया है।

उन्होंने कहा “तो, इसमें कहा गया है कि ‘हम फैसला नहीं करेंगे’ का मतलब है, वास्तव में, आपने फैसला कर लिया है। आपने इस असंवैधानिक अधिनियम को अनिश्चित काल के लिए आगे बढ़ने की अनुमति दी है और आपने अनुच्छेद 356 (5) को नजरअंदाज कर दिया है। ये सभी बहुत हैं परेशान करने वाली बाते हैं।

सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता के इस आश्वासन पर कि जम्मू-कश्मीर को जल्द ही राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा, इस पर निर्णय नहीं लेने के न्यायालय के तर्क के संबंध में, जस्टिस नरीमन ने कहा कि एसजी के पास उत्तराधिकारी सरकार या विधायिका को बाध्य करने का अधिकार नहीं है। और जम्मू-कश्मीर को वापस केंद्रशासित प्रदेश में बदलने के लिए एक कानून की आवश्यकता होगी।

जस्टिस नरीमन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रश्न पर निर्णय नहीं लिया क्योंकि उसने कहा, ‘हम भारत के सॉलिसिटर जनरल के आश्वासन को स्वीकार करते हैं कि जल्द ही राज्य का दर्जा मिलेगा और चुनाव होंगे।’

उन्होंने बताया कि कैसे एसजी मेहता (तत्कालीन अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल) द्वारा न्यायालय को आश्वासन दिया गया था कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (आईटी अधिनियम) की धारा 66 ए का सरकार द्वारा दुरुपयोग नहीं किया जाएगा। जस्टिस नरीमन तब प्रावधान की वैधता की जांच करने वाली पीठ में थे।

जस्टिस नरीमन ने कहा कि मुझे याद है कि मैंने श्रेया सिंघल मामले में कहा था, जो मेरे शुरुआती फैसलों में से एक था, जब सॉलिसिटर जनरल ने मुझे इसी तरह का आश्वासन दिया था, ‘सरकारें आ सकती हैं और जा सकती हैं लेकिन आईटी अधिनियम की धारा 66 ए हमेशा के लिए चलती रहती है।

वह “भारत का संविधान: नियंत्रण और संतुलन” विषय पर 30वां बंसारी शेठ एंडोमेंट व्याख्यान दे रहे थे। अपने व्याख्यान में जस्टिस नरीमन ने कहा कि अनुच्छेद 370 के फैसले के अलावा, हाल के दिनों में तीन अन्य परेशान करने वाली घटनाएं हुईं- बीबीसी पर आयकर छापे, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर कानून और केरल के राज्यपाल की कार्रवाई।

बीबीसी की छापेमारी पर उन्होंने कहा कि वर्ष की शुरुआत में, आपके पास बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री थी- वास्तव में आपके पास दो डॉक्यूमेंट्री थीं, जो हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री, (तत्कालीन) गुजरात के मुख्यमंत्री के बारे में बोलती थीं। उन पर तुरंत प्रतिबंध लगा दिया गया था। टैक्स छापे मारकर बीबीसी को परेशान किया गया था। यह इस साल की शुरुआत में हुई पहली, कठिन संदिग्ध घटना थी।

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर प्रस्तावित कानून के बारे में पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि इससे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एक कल्पना बनकर रह जाएंगे।

उन्होंने कहा कि सबसे दुर्भाग्य से, हमने पाया है कि एक विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया था, जो अब एक अधिनियम बन गया है- निश्चित रूप से, यह लोकसभा में जाएगा और कुछ ही समय में एक अधिनियम बन जाएगा- जिसमें मुख्य न्यायाधीश का स्थान प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त एक मंत्री ने ले लिया है।

यह दूसरी सबसे परेशान करने वाली बात है क्योंकि यदि आप मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों को इस तरह से नियुक्त करने जा रहे हैं, तो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एक कल्पना बनकर रह जाएंगे।

उन्होंने कहा, मेरे हिसाब से इसे एक मनमाने कानून के रूप में खारिज किया जाना चाहिए क्योंकि यह चुनाव आयोग के कामकाज की स्वतंत्रता को गंभीर रूप से कमजोर करता है।

राज्य विधानमंडल द्वारा पारित सात विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेजने के केरल के राज्यपाल के कदम पर जस्टिस नरीमन ने कहा कि इससे राज्य की विधायी गतिविधि रुक जाएगी। तीसरा परेशान करने वाला तथ्य जो हमें इस साल मिला, वह है केरल के राज्यपाल, जो 23 महीने तक बिलों पर बैठे रहे। फिर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया, उन्होंने क्या किया? ऐसे 8 बिल थे। एक बिल था सहमति के बाद, सात को राष्ट्रपति के पास भेजा गया।

यह फिर से एक बहुत ही परेशान करने वाली बात है। यदि राष्ट्रपति के लिए एक थोक संदर्भ है, तो राज्य की विधायी गतिविधि रुक जाती है। राज्यपाल द्वारा एक विधेयक राज्य विधायिका को वापस भेजने के विपरीत एक बार जब यह केंद्र के दरवाजे पर पहुंच जाता है और केंद्र कहता है कि नहीं, तो यह बिल की मृत्यु है।

उन्होंने कहा कि वह उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जब सुप्रीम कोर्ट यह व्यवस्था देगा कि राज्यपाल और राष्ट्रपति का पद केवल स्वतंत्र व्यक्ति ही भरेंगे। मैं उस दिन का इंतजार कर रहा हूं जब सुप्रीम कोर्ट यह व्यवस्था देगा कि ‘देखो, केवल स्वतंत्र पदाधिकारियों को ही इन महान कार्यालयों (राज्यपालों और राष्ट्रपतियों) को भरना है’- उस तरह के लोग नहीं जो हम आज पाते हैं, जैसे कि केरल। जहां थोक में, बिलों पर सो जाने के बाद, आप उन्हें राष्ट्रपति को वापस दे देते हैं। 

उन्होंने बीके पवित्रा मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खारिज करने का आह्वान किया, जो राज्यपाल को राष्ट्रपति को बिल भेजने में सक्षम बनाता है। जस्टिस नरीमन ने कहा कि बीके पवित्रा को खारिज करना या कमजोर करना बहुत महत्वपूर्ण है, जो कहती है कि जब कोई विधेयक राज्यपाल के हाथ में आता है, और बिना अधिक जानकारी के वह इसे राष्ट्रपति को भेजता है, तो यह विधेयक का अंत और संघवाद का अंत है।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

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Amrendra Kumar
Amrendra Kumar
Guest
4 months ago

देशविरोधियों से दूर रहें
उनकी वाणी को आयाम ना दें
माननीय SC ने फ़ैसले मे सब साफ़ लिख़ा है
Even Review Petition will not be entertained. These types of comments ( as stated in your report ) will not take away the truth . We r well conscious now 🇮🇳🙏