केरल के एक नागरिक ने कहा- जब मैंने वैक्सीन की कीमत अदा की तो, मेरी रसीद में मोदी को क्रेडिट क्यों?

“जब मैंने अपने पैसे से कोरोना वैक्सीन ली है और सरकार सभी को फ्री में कोरोना वैक्सीन नहीं दे पा रही है तो फिर सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी की फोटो क्यों लगाई जा रही है?” उपरोक्त बातें केरल के कोट्टायम के रहने वाले बुजुर्ग और आरटीआई कार्यकर्ता पीटर म्यालीपराम्बिल ने केरल हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में कही है। अपनी याचिका में पीटर म्यालीपराम्बिल ने कोर्ट को दलील दिया है कि – “उनके व्यक्तिगत वैक्सीन सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री की तस्वीर उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

व्यक्तिगत वैक्सीन पर मोदी की फोटो मौलिक अधिकारों का हनन

अपनी याचिका में पीटर म्यालीपराम्बिल ने कोर्ट को दलील दिया है कि – “उनके व्यक्तिगत वैक्सीन सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री की तस्वीर उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

मामले में याचिका दायर होने के बाद केरल हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति पीबी सुरेश कुमार की पीठ ने नोटिस भेजकर केंद्र और राज्य सरकार को इस मामले में दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब पेश करने के लिए कहा है।
बता दें कि पीटर म्यालीपराम्बिबि ने कोर्ट में याचिका दायर करके अपनी कोरोना वैक्सीन सर्टिफिकेट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर हटाने की मांग की है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़ याचिकाकर्ता पीटर म्यालीपराम्बिल ने कोर्ट से कहा है कि मुफ्त टीकों के स्लॉट में कमी होने के कारण उन्हें एक प्राइवेट अस्पताल में कोरोना वैक्सीन की डोज के लिए 750 रुपए का भुगतान करना पड़ा। इसलिए वैक्सीन सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री की तस्वीर लगाकर सरकार को वैक्सीन के क्रेडिट लेने का दावा करने का कोई अधिकार नहीं है।

सिर्फ़ इतना ही नहीं याचिकाकर्ता पीटर म्यालीपराम्बिल ने हाईकोर्ट के सामने अमेरिका, इंडोनेशिया, इजराइल, कुवैत, फ्रांस और जर्मनी के भी टीकाकरण प्रमाण पत्र की कॉपी प्रस्तुत करके कोर्ट को दलील दी कि इनमें किसी पर भी प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या राष्ट्राध्यक्ष की तस्वीर नहीं है। पीटर म्यालीपराम्बिल ने कोर्ट के सामने यह भी कहा कि यह केवल एक व्यक्ति के टीकाकरण की स्थिति की पुष्टि करने के लिए जारी किया गया एक सर्टिफिकेट है। इसलिए सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर का होना कोई ज़रुरी नहीं है जैसा कि दूसरे देशों द्वारा जारी किए गए सर्टिफिकेट से साफ़ साफ़ देखा जा सकता है।

देश के खर्चे पर एक व्यक्ति को प्रोजेक्ट किया जा रहा है

अपनी याचिका में आरटीआई कार्यकर्ता ने इस बात का भी जिक्र किया कि वह इस बात से चिंतित है कि कोरोना महामारी के ख़िलाफ़ चल रहे अभियान को प्रधानमंत्री मोदी के मीडिया अभियान में बदला जा रहा है। ऐसा लगता है कि इस अभियान को वन मैन शो और देश के खर्चे पर एक व्यक्ति को प्रोजेक्ट करते हुए प्रचार किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना टीकाकरण अभियान में प्रधानमंत्री को इतनी प्रमुखता दी जा रही है कि उससे विचार भी प्रभावित हो रहे हैं।
उन्होंने अपनी याचिका में आगे केरल हाईकोर्ट से कहा है कि देश में चल रहे टीकाकरण अभियान को दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी को इसका श्रेय दिया गया और यूजीसी तथा केंद्रीय विद्यालयों ने प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद करते हुए बैनर भी लगाए।
(तस्वीर – इंडियन एक्सप्रेस)

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