मजदूर नेता शिव कुमार को पुलिस ने क्रूरता की हद तक किया टॉर्चर, जीएमसीएच की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

मजदूर अधिकार कार्यकर्ता शिव कुमार को हरियाणा पुलिस ने क्रूरता की हद तक टॉर्चर किया। महीने बाद भी क्रूरता के सबूत उनके शरीर पर मौजूद हैं। राजकीय चिकित्सा कॉलेज और हॉस्पिटल (GMCH) चंडीगढ़ ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में कल शिव कुमार की मेडिकल परीक्षण रिपोर्ट दाखिल की है। मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक 24 वर्षीय शिव कुमार के शरीर में कई गंभीर चोटें और सूजन पाई गई है। उनके बाएं हाथ और दाएं पैर पर फ्रैक्चर पाया गया है, जोकि किसी ठोस वस्तु से मारे जाने से हुई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ये चोटें दो सप्ताह पुरानी हैं। मेडिकल रिपोर्ट में हाथों और पैरों में फ्रैक्चर, टूटे हुए नाख़ून और पोस्ट ट्रॉमैटिक डिसऑर्डर (किसी अप्रिय घटना के बाद लगने वाला सदमा) जैसी बातें कही गई हैं।

शिव कुमार की मेडिकल रिपोर्ट में दाएं और बाएं पैर में चोट, लंगड़ा कर चलना, दाएं पैर में सूजन, बाएं पैर में सूजन, बाएं पैर के अंगूठे में कालापन, बाएं अंगूठे और तर्जनी में कालापन, कलाई में सूजन, बाईं जांघ पर कालापन पाया गया है। शिव कुमार के शरीर पर ये चोटें गिरफ़्तारी के एक महीने बाद तक भी मौजूद हैं।

मजदूर कार्यकर्ता नवदीप कौर की गिरफ़्तारी के अगले दिन यानी 16 जनवरी को मजदूर अधिकार संगठन के अध्यक्ष शिव कुमार को गिरफ्तार किया गया था। 24 वर्षीय मज़दूर अधिकार कार्यकर्ता शिव कुमार भी नवदीप कौर मामले में सहआरोपित हैं। वो हरियाणा के कुंडली इंडस्ट्रियल एरिया (केआईए) में प्रवासी मज़ूदरों का बकाया वेतन दिलाने की मुहिम चला रहे मज़दूर अधिकार संगठन के अध्यक्ष हैं। नवदीप कौर इसी संगठन की सदस्य हैं।

पिता की याचिका पर हाई कोर्ट ने मेडिकल परीक्षण का दिया आदेश
शिव कुमार के पिता राजबीर ने हाई कोर्ट को बताया था कि पुलिस ने उनके बेटे को पुलिस कस्टडी में निर्दयतापूर्वक टॉर्चर किया है। इसके बाद 19 फरवरी को हाई कोर्ट ने सोनीपत जेल के एसपी को निर्देश दिया था कि वो शिव कुमार का मेडिकल एक्जामिन कराने के लिए GMCH लेकर जाएं। हाई कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के डॉक्टरों से मेडिकल परीक्षण के लिए कहा था।

शिव कुमार के वकील अर्शदीप चीमा के मुताबिक, “पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में पेश की गई उनकी मेडिकल रिपोर्ट में गंभीर चोटों की बात सामने आई है। वहीं अब हाई कोर्ट ने हरियाणा पुलिस से शिव कुमार की पुरानी रिपोर्ट भी मांगी है, जिसमें दावा किया गया था कि उनके शरीर पर कोई चोट नहीं है।

बता दें कि शिव कुमार की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर करके कहा गया था कि उनके केस की जांच सीबीआई को सौंपी जाए। हरियाणा पुलिस उनके प्रति दुराग्रह से भरी हुई है। हाई कोर्ट मामले को सीबीआई को ट्रांसफर करने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जहां सोनीपत (हरियाणा) के जेल अधिकारियों ने अदालत को बताया कि शिव कुमार को दो फ़रवरी को जेल में लाया गया था। शिव कुमार पर दंगा भड़काने और धमकाने समेत सेक्शन 148, 149, 323, 384 और 506 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। इसके अलावा 12 जनवरी को उन पर हत्या के प्रयास, दंगे और अन्य मामलों में केस दर्ज किया गया, जबकि तीसरा केस भी उसी दिन कुंडली पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था।

शिव कुमार का आरोप, तीन दिन तक पुलिस ने सोने नहीं दिया
शिवकुमार के मुताबिक 16 जनवरी को जब वो किसानों के आंदोलन में थे, तो पुलिस ने उन्हें उठा लिया। कथित रूप से उनके साथ मारपीट की गई। पुलिस ने कथित तौर पर उनके दोनों पैर बांध दिए। उन्हें ज़मीन पर लेटा दिया, और उन्हें तलवों पर मारा।

शिव कुमार ने मेडिकल परीक्षण करने वाले डॉक्टरों को बताया है कि उनके हाथ-पैर बांधकर, सपाट लकड़ी से उन्हें मारा गया। उन्हें तीन दिनों तक सोने नहीं नहीं दिया गया। शिव कुमार की मेडिकल रिपोर्ट में मानसिक और शारीरिक यातना के गंभीर विवरण हैं।

शिव कुमार ने मेडिकल परीक्षण करने वाले डॉक्टरों को बताया कि 12 जनवरी की दोपहर सोनीपत में एक मजदूर संघ के धरने पर बैठने को लेकर पुलिस के साथ विवाद हुआ था, लेकिन वो खुद उस समय उस वक्त वहां मौजूद नहीं थे। कुंडली पुलिस स्टेशन की पुलिस ने आकर कुछ लोगों को गिरफ्तार किया और एसएचओ ने दोस्त के साथ मारपीट की।

पुलिस पर शिव कुमार का अपहरण कर टॉर्चर करने का आरोप
शिव कुमार की मित्र और संगठन की सदस्य मोनिका ने जनचौक को बताया कि हरियाणा पुलिस ने शिवकुमार को सिंघु बॉर्डर से 16 जनवरी को उठाया था। परिवार वाले खोजते रहे, लेकिन शिव कुमार का कहीं पता नहीं चला। 23 जनवरी को हरियाणा पुलिस ने परिजनों को बताया कि उन्होंने शिव कुमार को गिरफ़्तार किया है। इस तरह हरियाणा पुलिस ने शिव कुमार का किडनैप किया और उन्हें ग़ैर क़ानूनी तरीके से एक सप्ताह तक कैद करके रखा। घर वालों के मुताबिक उसी दर्मियान पुलिस वालों ने शिव कुमार के परिजनों से एक सादे कागज पर अंगूठा लगवा लिया। बाद में उसका इस्तेमाल ये साबित करने में किया गया कि शिव कुमार को 23 जनवरी को उनके घर से गिरफ़्तार किया जा रहा है।

मोनिका बताती हैं कि पुलिस ने जिस घटना के लिए शिव कुमार को गिरफ़्तार किया है। उस दिन शिव कुमार घटना स्थल पर थे ही नहीं। शिव कुमार आंखों की समस्या की वजह से एक्टिव रूप से शामिल नहीं होते थे। वो मज़दूरों का बकाया दिलाने के लिए बाक़ी लोगों के साथ कम ही जाते थे। वो अधिकतर सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन में लगाए अपने संगठन के टेंट के पास बैठे मिलते थे, जहां कई मज़दूर आकर अपने बकाया वेतन को दिलाने के लिए संगठन से मदद की गुहार लगाते थे।

12 जनवरी को संगठन के लोग, जिनमें ज़्यादातर मज़दूर ही शामिल हैं, किसी मज़दूर का बकाया वेतन दिलाने के लिए ही एक फ़ैक्टरी के बाहर धरना दे रहे थे, जहां पुलिस ने आते ही लाठीचार्ज कर दिया। मोनिका बताती हैं कि कोरोना की दुहाई देकर शिव कुमार के परिजनों को उनसे मिलने नहीं दिया गया। उन्हें बिना चश्मे के नहीं दिखता है, बावजूद इसके उन्हें उनका चश्मा तक नहीं देने दिया गया। इतना ही नहीं शिव कुमार के वकील तक को शिव कुमार से नहीं मिलने दिया गया।

हरियाणा पुलिस कह रही है कि उसने शिव कुमार को 16 जनवरी को नहीं बल्कि 23 जनवरी को उनके घर से गिरफ़्तार किया था। वहीं पुलिस का एक दूसरा दावा और पुलिस की बनवाई मेडिकल रिपोर्ट कि शिव कुमार के शरीर पर कोई चोट नहीं है GMCH की मेडिकल रिपोर्ट में झूठी साबित हो गई है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

सुशील मानव
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