पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों पर केरल सरकार ने शुरू की कानूनी कार्रवाई

नई दिल्ली। योग गुरु रामदेव अपने उत्पादों और आयुर्वेदिक दवाओं को लेकर तमाम तरह के दावे करते रहते हैं। वह अपनी दवाओं से असाध्य रोगों के इलाज का विज्ञापन भी करते हैं। उनके दावे पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। लेकिन अब केरल के औषधि नियंत्रण विभाग ने भ्रामक विज्ञापनों के लिए रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद उत्पादों के निर्माता दिव्य फार्मेसी पर मुकदमा दर्ज करने का संकेत दिया है। रामदेव के भ्रामक विज्ञापनों पर केंद्र और उत्तराखंड की सरकार मौन है।   

कन्नूर स्थित नेत्र रोग विशेषज्ञ के.वी. बाबू की शिकायत पर राज्य के शीर्ष दवा नियामक विभाग ने कहा है कि बाबू ने विज्ञापनों के 29 उदाहरणों का दस्तावेजीकरण किया है, जो कथित तौर पर केरल राज्य के ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 का उल्लंघन करते हैं।

पतंजलि उत्पादों के विज्ञापनों में दावा किया गया था कि प्रामाणिक आयुर्वेदिक दवाएं अन्य बीमारियों के अलावा उच्च रक्तचाप और मधुमेह को “ठीक” कर सकती हैं। डीएमआर अधिनियम उच्च रक्तचाप और मधुमेह सहित कुछ स्वास्थ्य विकारों के इलाज के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाता है।

राज्य औषधि नियंत्रक विभाग के के. सुजीत कुमार ने कहा कि “हमने डॉ. बाबू की शिकायत के आधार पर इन विज्ञापनों पर कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी है।” विभाग ने केरल भर में अपने उप-कार्यालयों से जांच में तेजी लाने और अदालतों में आरोपपत्र दाखिल करने को कहा है।

हालांकि पतंजलि आयुर्वेद ने किसी भी भ्रामक विज्ञापन को जारी करने से इनकार किया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंगलवार को उसके उत्पादों के माध्यम से स्थायी इलाज का वादा करने वाले प्रत्येक भ्रामक विज्ञापन के लिए 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की चेतावनी दी थी।  

सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी देने के एक दिन बाद पतंजलि से जुड़े योग प्रचारक रामदेव ने बुधवार को कहा, “हमने गलत सूचना नहीं फैलाई है।” उन्होंने दावा किया कि आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा एकीकृत और प्रामाणिक उपचार प्रणालियों के माध्यम से “नियंत्रण और इलाज” प्रदान करते हैं। उन्होंने दावा किया, “यह झूठ नहीं है, यह सच है।”

रामदेव ने कहा, “अगर हम झूठ बोल रहे हैं, तो आप जो चाहें, हम पर जुर्माना लगाएं, हम मौत की सजा भी स्वीकार करेंगे।”  

इस महीने केरल ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट द्वारा पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों पर कार्रवाई शुरू की गई है, जो बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों से पहले ही शुरू हो गयी थी।  

केवी बाबू ने 2022 की शुरुआत में केंद्रीय आयुष (आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) मंत्रालय को सचेत किया था कि उन्होंने डीएमआर अधिनियम में शामिल कई स्वास्थ्य विकारों के इलाज का दावा करके डीएमआर अधिनियम का उल्लंघन करने वाले विज्ञापनों पर आरोप लगाया था।

आयुष मंत्रालय ने बाबू की शिकायत का हवाला देते हुए अप्रैल 2022 में उत्तराखंड राज्य के अधिकारियों को “आवश्यक कार्रवाई करने” के लिए लिखा था।

बाबू ने कहा, “मेरी शिकायत के बाद 18 महीनों में, न तो आयुष मंत्रालय और न ही उत्तराखंड के अधिकारियों ने भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं।” “हमने उनकी निष्क्रियता को देखा है, यही वजह है कि मैंने केरल ड्रग विभाग को एक नई शिकायत भेजी है।”

बाबू आधुनिक चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों के एक वर्ग में से हैं, जो कहते हैं कि वे चिंतित हैं कि आयुर्वेद निर्माताओं के भ्रामक विज्ञापन गंभीर स्वास्थ्य विकारों वाले रोगियों को ऐसे उत्पाद खरीदने के लिए प्रभावित कर सकते हैं जो उनकी मदद नहीं करेंगे।

मार्च 2022 में खुद आयुष मंत्रालय ने संसद को बताया था कि उसके फार्माकोविजिलेंस केंद्रों ने 2018 और 2021 के बीच 18,812 “आपत्तिजनक विज्ञापनों” की सूचना दी थी, जबकि भारतीय विज्ञापन मानक परिषद ने 2017-2019 के दौरान 1,229 भ्रामक विज्ञापनों की सूचना दी थी। कई डॉक्टरों ने भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ बाबू के लगातार अभियान की सराहना की है।

सुप्रीम कोर्ट की पतंजलि पर टिप्पणियां बुधवार को देश के डॉक्टरों के सबसे बड़े संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा पिछले साल दायर एक याचिका के जवाब में सामने आईं, जिसमें पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापनों पर आपत्ति जताई गई थी, जिसमें कुछ स्वास्थ्य विकारों के इलाज का दावा किया गया था।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

Leave a Reply