उत्तराखंड में बहेगी शराब की गंगा, मिलेगी अब 30 फीसदी सस्ती लेकिन बिजली-पानी होंगे 15 फीसदी महंगे

देहरादून। होली के उल्लास में डूबे उत्तराखंड में जब एक परिवार चार दिन की भूख से तड़पने के बाद जहर खाकर आत्महत्या कर रहा था, तो शायद ही किसी को गुमान रहा हो कि हिन्दू हितों की बात करने वाली भारतीय जनता पार्टी शासित इस राज्य में नवरात्रि से दो दिन पहले राज्य सरकार प्रदेश को शराब में डुबोने का खाका तैयार कर देगी।

आकंठ कर्ज में डूबी उत्तराखंड सरकार जहां एक अप्रैल से बिजली और पानी जैसी जरूरत की चीजें महंगा करने जा रही है, वहीं वह शराब के दामों में तीस फीसदी कमी तक करने पर आमादा है।

संदर्भ के तौर पर याद दिलाते चलें कि होली के दिन राज्य के बागेश्वर जिले में एक महिला ने अपने तीन बच्चों के साथ भुखमरी की स्थिति में जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी। इस महिला के घर में अनाज का एक दाना तक नहीं था। गैस चूल्हा जरूर घर में था। लेकिन सिलेंडर के अभाव में उसकी भूमिका एक शो पीस से अधिक नहीं थी। मृतका की 14 वर्ष की बेटी अंजलि के सुसाइड नोट से साफ हो गया कि परिवार की स्थिति काफी खराब थी और मुखिया के सिर पर कर्ज काफी था।

हर गरीब परिवार को मुफ्त राशन और साल में तीन गैस सिलेंडर की सरकारी योजना के बाद इस लोमहर्षक घटना के समय ही सरकार की ओर से वर्ष 2023-24 का पिछले साल की तुलना में 18 फीसद की वृद्धि के साथ 77407 करोड़ का बजट पेश करते हुए दावा किया गया था कि इसके लिए सरकार 24744.31 करोड़ रुपये अपने संसाधनों से जुटाएगी। बाकी 52663 करोड रुपये सरकार कहां से जुटाएगी, इसका उल्लेख बजट में स्पष्ट रूप से नहीं किया गया था।

सरकार चली उल्टे बांस बरेली

उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था की बात करें तो खनन, शराब और पर्यटन ही सरकार के आय के प्रमुख साधन हैं। प्रदेश के लोगों की आर्थिक स्थिति महंगाई के चाबुक से पहले ही लहूलुहान है। ऐसे में सरकार शराब को कुछ महंगा करके अपना बजट घाटा पूरा कर सकती थी।

लेकिन सरकार ने उल्टे बांस बरेली वाली कहावत को चरित्रार्थ करते हुए शराब को सस्ता और बिजली-पानी को महंगा करने जैसा निर्णय लेना बेहतर समझा। जिस वजह से एक अप्रैल से प्रदेश में शराब जहां तीस फीसदी तक सस्ती होने जा रही है वहीं बिजली और पानी दस से पंद्रह फीसदी महंगे।

नई शिक्षा नीति के नाम पर स्कूली किताबों में हुआ फेरबदल ही किताबों को महंगा करने में भूमिका निभाएगा। इसके अलावा दूध और कई जरूरी चीजों के मद में भी लगने वाला महंगाई का तड़का लोगों की जिंदगी को मुश्किल बनाएगा।

कैबिनेट के फैसले में सरकार ने जिस आबकारी नीति को मंजूरी दी है उससे एक अप्रैल से देशी-विदेशी शराब के दाम 100 से 300 रुपये तक सस्ते हो जाएंगे। उत्तराखंड और यूपी के बीच अलग-अलग ब्रांड की शराब के दामों के बीच 20 रुपये तक का अंतर रहेगा। गोवंश संरक्षण, खिलाड़ियों व महिला कल्याण के नाम पर प्रति बोतल एक एक रुपये (कुल तीन रुपये प्रति बोतल) सेस लिया जाएगा।

कैबिनेट का यह निर्णय आते ही इसका प्रदेश में विरोध होना शुरू हो गया है। लोगों का कहना है कि शराब से राजस्व वृद्धि कर महंगे बिजली-पानी से लोगों को राहत दी जा सकती थी, लेकिन सरकार ने इससे उलट किया।

पूरे प्रदेश में सरकार का पुतला दहन

उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने शराब सस्ती किये जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि राज्य सरकार की आबकारी नीति पूर्ण रूप से शराब माफिया को संरक्षण देने, शराब की तस्करी को बढ़ावा देने तथा उत्तराखंड के गांवों में हर घर तक शराब पहुंचाने वाली है।

उन्होंने कहा कि एक ओर भाजपा सरकार आम जरूरत की चीजों- बिजली, पानी, सीवर; पठन-पाठन सामग्री- कापी, किताब, पेन, पेंसिल, रबर; रसोई गैस सिलेंडर और परिवहन निगम की बसों के किराये की दरों में भारी वृद्धि कर आम जनता का शोषण कर रही है। वहीं शराब को बढ़ावा देकर देवभूमि उत्तराखंड को शराब प्रदेश बनाकर यहां के बेरोजगार नौजवानों को नशे में डुबोने तथा लोगों के स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ करना चाहती है।

करन माहरा ने कहा कि राज्य में भिटोली का महीना चल रहा है। खाद्य पदार्थों के दामों में कमी करने के बजाय भाजपा सरकार द्वारा पानी के दामों में 15 प्रतिशत, बिजली के दामों में 12 प्रतिशत और पठन सामग्री पर 20 प्रतिशत बढोतरी कर प्रदेश के लोगों को तोहफा दिया गया है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी इस जन विरोधी नीति के खिलाफ 22 मार्च को प्रदेशभर के जिला एवं महानगर मुख्यालयों में भाजपा सरकार का पुतला दहन कर शराब नीति का विरोध करेगी।

(देहरादून से सलीम मलिक की रिपोर्ट)

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