हड़ताल, विरोध का अधिकार खत्म करने वाला अनिवार्य रक्षा सेवा विधेयक 2021 को लोकसभा से मंजूरी

लोकसभा ने विपक्षी सदस्यों के गतिरोध के बीच मंगलवार को ‘अनिवार्य रक्षा सेवा विधेयक, 2021’ को संख्या बल के बूते मंजूरी दे दी। बता दें कि यह विधेयक संबंधित ‘अनिवार्य रक्षा सेवा अध्यादेश, 2021’ की जगह लेगा। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि देश की रक्षा तैयारियों के लिये सशस्त्र बलों को आयुध मदों की निर्बाध आपूर्ति बनाये रखना और आयुध कारखानों का बिना किसी व्यवधान के कार्य जारी रखना अनिवार्य है।

इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में बिल पेश करते हुये कहा कि यह विधेयक राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लाया गया है। इसका मकसद है कि हथियारों एवं गोला-बारूद की आपूर्ति में बाधा नहीं आए। उन्होंने सदन में आगे कहा कि इस संबंध में आयुध कारखानों के नियोक्ताओं एवं मजदूर संगठनों के प्रतिनिधियों से अच्छी चर्चा की गई है। इसमें कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखा गया है, इस विधेयक को आम-सहमति से पारित किया जाना चाहिए।

राजनाथ सिंह से पहले विधेयक को चर्चा और पारित कराने के लिए रखते हुए रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि देश की उत्तरी सीमा पर जो स्थिति है उससे पूरा सदन अवगत है। इसलिए हमारी सेना को आयुध की निर्बाध आपूर्ति होनी चाहिए।

बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा आयुध कारखानों को निजी हाथों में बेचे जाने के बाद विगत वर्षों से आयुध कर्मी की बार हड़ताल और विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। बीते दिनों केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लगभग 200 वर्ष पुराने आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB) के निगमीकरण की योजना को मंजूरी दी थी।

क्या है आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक 2021 में

राज्यसभा में आज पास कराया गया ‘आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक 2021’ आंदोलन और हड़ताल किये जाने पर पूरी तरह रोक लगाता है। अधिसूचना में ये बताया गया है कि कोई भी व्यक्ति, जो अध्यादेश के तहत अवैध हड़ताल का आयोजन करता है अथवा इसमें हिस्सा लेता है, उसे एक साल जेल या 10,000 रुपए तक जुर्माना या फिर दोनों सजा दी जा सकती है।

विधेयक में कहा गया है कि रक्षा उपकरणों के उत्पादन, सेवाओं और सेना से जुड़े किसी भी औद्योगिक प्रतिष्ठान के संचालन या रखरखाव के साथ-साथ रक्षा उत्पादों की मरम्मत और रखरखाव में कार्यरत कर्मचारी अध्यादेश के दायरे में आएंगे।

विधेयक में ये भी कहा गया है कि इसके तहत दूसरे लोगों को आंदोलन या हड़ताल में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करना भी एक दंडनीय अपराध होगा।

विपक्ष ने विधेयक का किया विरोध

रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के एन के प्रेमचंद्रन ने ‘अनिवार्य रक्षा सेवा विधेयक, 2021’ को पेश किये जाने का विरोध करते हुए सदन में कहा कि इसमें कर्मचारियों की हड़ताल रोकने का प्रावधान है जो संविधान में मिला मौलिक अधिकार है।

एन के प्रेमचंद्रन ने सदन में आगे कहा कि यह विधेयक कामगार वर्ग के लोकतांत्रिक अधिकारों को समाप्त करने वाला है और सदन में व्यवस्था नहीं होने पर इस विधेयक को पेश नहीं कराया जाना चाहिए।

वहीं लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि सरकार आयुध कारखानों में काम करने वाले कर्मचारियों के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनना चाहती है। उन्होंने आगे कहा कि – “सदन नहीं चल रहा है तो इस तरह का विधेयक पारित नहीं होना चाहिए। हम चाहते हैं कि पेगासस मामले पर चर्चा हो और फिर सभी मुद्दों पर चर्चा हो। तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने भी विधेयक का विरोध किया।

विपक्षी दलों की आपत्तियों के जवाब में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में बताया कि पहले का कानून 1990 में खत्म हो चुका है। आवश्यक रक्षा आयुध सेवाओं के लिए कोई कानून नहीं था। उस समय संसद का सत्र नहीं चल रहा था, इसलिए मंत्रिमंडल ने 30 जून को अध्यादेश को मंजूरी दी।

वहीं रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी कर्मचारी और अधिकारी के हितों को प्रभावित करने वाला कोई प्रावधान विधेयक में नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हमारे मित्रों (सदस्यों) ने जो आपत्तियां दी हैं वे निराधार हैं। कहीं भी मौलिक अधिकार का हनन नहीं होता है। कर्मचारियों को मिलने वाली सुख-सुविधा में कोई कटौती नहीं होती है। सभी लोग मिलकर इस विधेयक को पारित करें क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है।”

विधेयक के पक्ष में सरकार ने दलील दिया है कि रक्षा से संबद्ध सभी संस्थानों में अनिवार्य रक्षा सेवाओं के अनुरक्षण को सुनिश्चित करने के लिये लोकहित में या भारत की सम्प्रभुता और अखंडता या किसी राज्य की सुरक्षा या शिष्टता या नैतिकता के हित में सरकार के पास शक्तियां होनी चाहिए। इसमें कहा गया है कि चूंकि संसद सत्र नहीं चल रहा था और तुरंत विधान बनाने की ज़रूरत थी, ऐसे में राष्ट्रपति ने 30 जून, 2021 को ‘अनिवार्य रक्षा सेवा अध्यादेश, 2021’ प्रख्यापित किया था।

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