सिमडेगा: पुलिस के सामने ही लोगों ने एक शख्स को जिंदा जला डाला

रांची से लगभग 150 किमी दूर सिमडेगा में बेसराजरा बाजार टांड़ के पास पिछली 4 जनवरी 2022 को एक युवक संजू प्रधान उर्फ भौवा को सैकड़ों ग्रामीणों ने उसके घर के बाहर ही जिंदा जलाकर मार डाला।

घटना के बारे में बताया जाता है कि संजू प्रधान आदिवासी मुंडा समुदाय का खूंटकटी कानून का उल्लंघन करते हुए जंगल की लकड़ियों की तस्करी ही नहीं करता था बल्कि ग्रामीणें द्वारा इसका विरोध करने पर वह खुद को माओवादी बताकर उन्हें धमकी भी देता रहता था। जबकि सूत्रों के अनुसार उसका माओवाद से कभी कोई रिश्ता नहीं था।

बताते चलें कि खूंटकटी कानून मुंडा समाज का एक ऐसा सिस्टम है जिसके तहत ग्राम सभा की जंगल समिति के आदेश के बाद ही घरेलू उपयोग के लिए जंगल से लकड़ी लायी जा सकती है। ऐसे में संजू प्रधान द्वारा खूंटकटी कानून का लगातार उल्लंघन किया जा रहा था। ग्राम सभा द्वारा पंचायत करके उसे मना किया गया बावजूद इसके वह नहीं माना और जंगल की लकड़ियों को काटता रहा। जंगल की लकड़ियों की अवैध कटाई को लेकर ग्रामीणों ने वन विभाग से शिकायत भी की थी। वन विभाग ने कहा था कि जब तक उसे रंगे हाथों नहीं पकड़ा जाता तब तक वह कोई कार्रवाई नहीं कर सकता।

वन विभाग के अधिकारी के अनुसार उसके खिलाफ एफआईआर था और वह मामला हाईकोर्ट में चल रहा था। हाईकोर्ट के आदेश के मामले पर कार्रवाई होनी चाहिए थी। लेकिन पुलिस ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की। यहां तक कि कोलेबिरा विधानसभा के स्थानीय विधायक नमन विक्शल कोंगरी को भी इस मामले की जानकारी थी। लेकिन किसी ने भी इस मामले को संज्ञान में लेने की गंभीरता नहीं दिखाई। बता दें कि संजू भाजपा से जुड़ा हुआ था। उसे पुलिस प्रशासन का भी संरक्षण प्राप्त था। जिस कारण वह किसी को कुछ नहीं समझता था।



शायद शासन-प्रशासन की इस लापरवाही से हताश निराश कई टोले के ग्रामीणों ने 4 जनवरी, 2022 को दिन के दो बजे बंबलकेरा पंचायत भवन में एक बैठक किया और वे सभी बेसराजरा बाजार टांड़ के पास रह रहे संजू प्रधान के घर के अंदर पहुंचे। उस वक्त उसका पूरा परिवार घर के पास ही था। घर में संजू और उसकी पत्नी सपना देवी थी।

सबसे पहले दो लोग घर में घुसे और उसे घर से निकालना चाहा। लेकिन उसके बाहर जाने से इनकार करने पर सभी ग्रामीण उसके घर में घुस गए और उसे घर से निकालकर पीटते हुए घर से करीब 100 कदम की दूरी पर ले गये, तब तक पुलिस भी पहुंच गई थी। लेकिन पुलिस सैकड़ों ग्रामीणों के बीच से उसे बचाने की हिम्मत नहीं कर सकी और पुलिस की उपस्थिति में ही भीड़ ने परिजनों के सामने ही संजू की हत्या कर दी। हत्या के बाद उसके ही घर में रखी लकड़ी को चिता बनाकर उसे जलाकर राख कर दिया।



बाद में पुलिसकर्मियों ने जिला मुख्यालय को घटना की जानकारी दी। इसके बाद भारी संख्या में पुलिस बल को घटनास्थल पर बुलाया गया। लेकिन तब तक संजू प्रधान का शव जलकर पूरी तरह से राख हो चुका था। पुलिस ने संजू प्रधान के जले हुए अवशेष को अपने कब्जे में ले लिया है।

वैसे सिमडेगा में हुई इस घटना को संज्ञान में लेते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जांच के आदेश दिये हैं। उन्होंने सिमडेगा डीसी को मामले की जांच कर कानून सम्मत कार्रवाई करते हुए सूचित करने का निर्देश दिया है।


हत्याकांड पर गंभीर रुख दिखाते हुए सिमडेगा के एसपी डॉ शम्स तबरेज ने कहा है कि घटना में जो भी दोषी होंगे, उन्हें बख्शा नहीं जायेगा। उपायुक्त ने कहा कि गांव में स्थिति सामान्य है और टीम गठित कर सभी बिंदुओं पर जांच की जा रही है। वहीं पुलिस अधीक्षक डॉ शम्स तबरेज ने कहा कि जांच जारी है। कुछ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। प्रथम दृष्ट्या मामला पेड़ काटे जाने का है। लेकिन कानून हाथ में लेने का अधिकार किसी को नहीं है।

दूसरी तरफ इस घटना पर राजनीतिक माहौल भी गरम हो गया है। घटना के खिलाफ सिमडेगा में भारतीय जनता पार्टी ने राज्य सरकार को निशाने पर लेते हुए पुतला दहन किया। जबकि कोलेबिरा में भोक्ता समाज ने सड़क जाम कर न्याय की मांग की है। बीजेपी जिलाध्यक्ष लक्ष्मण बड़ाईक ने घटना पर गहरा आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि इस घटना से झारखंड शर्मसार हुआ है। राज्य में दोहरी नीति चलाई जा रही है। बीजेपी को टारगेट किया जा रहा है। बीजेपी सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन करेगी।



कोलेबिरा पुलिस ने मृतक संजू प्रधान की पत्नी सपना देवी के फर्द बयान पर कांड संख्या 3/22 के तहत 13 नामजद एवं 20-25 अज्ञात लोगों पर हत्या, आगजनी और उपद्रव का केस दर्ज किया है। आरोपियों पर भादंवि की धारा 147, 148, 149, 364, 302, 201 लगाई गई है। पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।

घटना के बाद पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल बना हुआ है। इस घटना पर लोग स्थानीय पुलिस प्रशासन और क्षेत्र के राजनीतिक माहौल को दोषी मान रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर पुलिस पहले ही ग्रामीणों के आरोप पर गंभीर हो जाती तो ऐसी जघन्य घटना नहीं होती।

(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

विशद कुमार
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