बस्तर में मणिपुर जैसी घटनाएं लंबे समय से जारी हैं: सोनी सोरी

नई दिल्ली। सरकार द्वारा लगातार हो रहे लोगों के दमन के विरोध में शुक्रवार को दिल्ली के प्रेस क्लब में एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। जिसमें देश के अलग-अलग हिस्सों से आए लोगों ने अपने साथ हुई पुलिस प्रताड़ना के किस्से बताये।

भाजपा सरकार द्वारा लोगों के अधिकार के हनन को लेकर सबने एक ही बात रखी। “क्रिमिनलाइजिंग डिसेंट: किस किस को कैद करोगे” नाम से हुई इस प्रेस कांफ्रेंस में सभी वक्ताओं ने पुलिस हिरासत में हुई उनके साथ हुई प्रताड़ना के बारे में अपनी बात रखी। जहां वक्ताओं ने लंबे समय तक जेल रहते हुए जो उनके साथ किया गया और जिस तरह की प्रताड़ना को उन्होंने झेला है, उसका जिक्र किया।

शुरुआत करते हुए प्रोफेसर सचिन एन ने अपनी बात रखते हुए कहा कि हर प्रकार की हिंसा में राइट विंग के लोग ही शामिल नजर आते हैं। यहां तक की दिल्ली यूनिवर्सिटी में भी यही हाल है। इसके बाद भी इसे रोका नहीं जा रहा है। लगातार लोगों के अधिकारों का हनन हो रहा है।

‘किस किस को कैद करोगे’ प्रेस कांफ्रेंस में बैठे वक्ता

इसके बाद छात्र कार्यकर्ता आसिफ इकबाल तन्हा ने जेल के अपने दिनों के बात को याद करते हुए कहा कि आज भी आतंकवाद के नाम पर सबसे ज्यादा मुसलमानों को जेल में डाला जा रहा है। जबकि देश में सिर्फ 14 प्रतिशत मुस्लिम है। लेकिन जेल में इनकी संख्या सबसे ज्यादा है। दलित, आदिवासी और मुसलमानों से जेल भरे हुए हैं और उनकी स्थिति बद से बदतर है। एक ही सेल में इतने लोगों को रखा गया है कि रात को सोना मुश्किल से हो पाता था।

आसिफ कहते हैं कि “मुझे रोजे़ के दौरान सीएए-एनआरसी के मामले में पुलिस ने हिरासत में लिया गया था। मैं 13 महीने तक जेल में रहा, वहां मैंने एक पुलिस वालों का भयावह रुप देखा, जहां मुसलमानों को आतंकवादी, जिहादी तक कहा जाता था। अपने जेल के दिनों की बात करते हुए वह कहते हैं कि रमजान के दौरान मुझे पुलिस ने हिरासत में लिया। इसी दौरान जेल में बाकी लोगों को रोजे के दौरान खाना दिया जाता था। लेकिन जब मैंने मांगा तो जेल सुपरिटेंडेंट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि आपका सेल बदला जाएगा और न ही हमें आपको खाना देने की अनुमति है। “आपको आजादी चाहिए थी। अब आपको आजादी मिल गई है।”

देश में अल्पसंख्यकों की क्या स्थिति है इस बात का अंदाजा कुछ दिन पहले लोकसभा में हुई घटना से लगाया जा सकता है। जहां भाजपा के सांसद रमेश बिधूड़ी ने बसपा के सांसद दानिश अली को लोकसभा में आतंकवादी, जिहादी तक कह दिया था। जहां से देश में सभी के लिए बराबरी की बात की जाती है। वहां एक सांसद के साथ दुर्व्यवहार किया गया।

आयोजन के दौरान बोलते वक्ता

दलितों के साथ भी लगातार अत्याचार हो रहे हैं। जहां जातिगत भेदभाव के साथ-साथ लोगों को विभिन्न तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है। पंजाब देश का दूसरे नंबर का राज्य है जहां बड़ी संख्या में दलित समुदाय के लोग रहते है। यहां अब दलित अपने हक के लिए सड़कों पर आ रहे हैं। लेकिन उन्हें तरह-तरह से प्रताड़ित कर कुचलने की कोशिश की जा रही है।

जमीन प्राप्ति संघर्ष समिति के प्रेसिडेंट मुकेश मालोदह ने कहा कि जो पिछले कई सालों से पंजाब में दलितों के लिए साल 1968 के कानून के अनुसार भूमि सुधार नियम के तहत उनकी जमीन दिलाने का काम कर रहे हैं। यह करना इतना आसान नहीं है। पहले तो दलितों को इतना दबाया गया है कि वह आगे आकर मांगना ही नहीं चाहते थे। लेकिन हमारे प्रयत्न से आज लोग कम से कम आगे आ रहे हैं।

लेकिन सरकार को इससे बहुत परेशानी है। कोई भी सरकारी पार्टी दलितों के लिए नहीं है। यहां तक की आम आदमी पार्टी भी दलितों के हक की बात नहीं कर रही है। गांव के सरपंच से लेकर बड़े अधिकारी तक कोई भी दलितों को जमीन देने को राजी नहीं है।

दलितों पर लगातार अत्याचार हो रहा है। उन्हें झूठे मुकदमों में जेलों में भरा जा रहा है। यहां तक की महिलाओं को भी प्रताड़ित किया जा रहा है। हमारे एक्टिव मेंबर में से 22 लोगों पर तरह-तरह के झूठे केस लगाकर उन्हें जेल में डाल दिया गया। हालांकि कुछ लोग बाहर आ गए हैं, किंतु कुछ अभी भी जेल में बंद है।

खुद पर हुए दमन के बारे में बताते हुए आसिफ तन्हा

लगातार दो महीने तक आंदोलन के करने के बाद सरकार भूमि सुधार कानून पर बात करने को तैयार हुई है।

इस कार्यक्रम में बस्तर की सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी, हिड़मे मरकाम, अतीकुर्रहमान, दामोदर तुरी और बिक्कर सिंह शामिल भी हुए थे। सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी और हिड़मे मरकाम कुछ कारणों से दिल्ली नहीं आ पाई। उन्होंने वीडियो के द्वारा अपना संदेश भेजा।

सोनी सोरी ने बस्तर की स्थिति को बयां करते हुए कहा कि आज भी बस्तर में आदिवासियों को प्रताड़ित किया जा रहा है। मुझे पुलिस ने गिरफ्तार कर, प्रताड़ित किया। मुझे कहा जाता था कि मैं नक्सलियों के साथ काम करती हूं। जबकि बाद में ये साबित भी हो गया कि मैं निर्दोष हूं। लेकिन इस दौरान जिन पुलिस वालों ने मुझे प्रताड़ित किया। उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

मणिपुर के मौजूदा हाल पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति देखकर बहुत दुख होता है। लेकिन ये सारी चीजें बस्तर में लंबे समय से चली आ रही हैं। महिलाओं के साथ लगातार रेप हो रहे हैं। हमारे लिए ये सारी बातें नई नहीं हैं।

वहीं दूसरी ओर हिड़मे मरकाम ने अपनी बात गोंडी में रखी। जिसका हिंदी में अनुवाद किया गया। अपने संदेश में अपनी गिरफ्तारी के दिनों के बारे में बात करते हुए वो कहती हैं; “पहले मुझे यह समझ नहीं आया की पुलिस ने मुझे क्यों गिरफ्तार किया और जेल में डाला, बाद में पता चला कि ये हमारे जल-जंगल-जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं। जिसके लिए हमें प्रताड़ित किया जा रहा है। यहां तक की हमें नक्सली कहकर जेल में डाला जा रहा है।

सरकार कोई भी हो वो आदिवासियों की नहीं है। हर कोई हमें जल-जंगल-जमीन से भगाना चाहते हैं।

वहीं इस मामले में सोनी सोरी का कहना था कि सरकार और पुलिस दोनों ही अडानी के लिए काम करते हैें। बेलाडिला के पहाड़ों पर उनकी नजर है। हमारे लंबे संघर्ष के कारण आज अडानी और सरकार पहाड़ों और जंगल की लूट की मंशा में कामयाब नहीं हो पाए हैं। हमारा संघर्ष अभी लंबा चलेगा और इसके लिए हम कमर कस के खड़े हैं।

(पूनम मसीह की रिपोर्ट।)

पूनम मसीह
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