दो छात्रों की हत्या के बाद फिर जल उठा मणिपुर, इंटरनेट सेवाएं फिर ठप; न्यूयार्क में विदेश मंत्री ने दी सफाई

मणिपुर में एक बार फिर तनाव का माहौल है। मंगलवार 26 सितंबर, 2023 को इंफाल में जुलाई में कथित तौर पर अपहृत दो युवकों की हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया। जिसमें 30 से अधिक छात्र घायल हो गए जिनमें ज्यादातर लड़कियां हैं। 27 सितंबर की सुबह इंफाल के सिंगजामेई इलाके में छात्रों और रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) कर्मियों के बीच झड़प के बाद स्थिति शांत लेकिन तनावपूर्ण बनी हुई है।

विरोध-प्रदर्शन और हिंसा की आशंका के चलते इंफाल घाटी में बड़ी संख्या में मणिपुर पुलिस, सीआरपीएफ और आरएएफ के जवानों की तैनाती देखी गयी। इससे पहले 6 जुलाई को मैतेई समुदाय के दो छात्र लापता हो गए थे जिनकी हत्या कर दी गई थी। जिसके विरोध में 26 सितंबर मंगलवार को इंफाल घाटी में सैकड़ों स्कूल और कॉलेज छात्रों ने विरोध-प्रदर्शन किया।

मारे गए मैतेई छात्रों में 20 वर्षीय फिजाम हेमजीत और 17 वर्षीय हिजाम लिनथोइनगांबी हैं। जिनकी तस्वीरें शनिवार को मोबाइल इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह से बहाल होने के दो दिन बाद मंगलवार को सोशल मीडिया पर सामने आईं। एक तस्वीर में दोनों छात्र एक-दूसरे के बगल में बैठे नजर आ रहे हैं और उनके पीछे कुछ दूरी पर दो हथियारबंद लोग खड़े हैं। एक अन्य तस्वीर में छात्र जमीन पर लेटे हुए नजर आ रहे हैं।

तस्वीर को देखकर स्थानीय लोग गुस्से में आ गए और वे हत्या का विरोध करने लगे। जिसमें 26 सितंबर की रात आरएएफ कर्मियों के साथ उनकी झड़प हो गई। जिसके बाद पुलिस के जवानों ने आंदोलनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े, रबर की गोलियां चलाईं और लाठीचार्ज किया। प्रदर्शनकारियों में से 45 लोग घायल हो गए जिनमें अधिकतर छात्र थे। इस बीच प्रदर्शनकारियों ने इंफाल पश्चिम के बाबूपारा में मुख्यमंत्री और भाजपा नेता एन. बीरेन सिंह के बंगले तक मार्च करने की कोशिश की लेकिन सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक दिया।

हालांकि राज्य सरकार ने 27 सितंबर को स्कूलों में छुट्टी की घोषणा की है, लेकिन इंफाल स्थित कुछ जगहों के छात्रों ने अपने स्कूलों में इकट्ठा होने की कसम खाई है, जिससे दिन में और अधिक विरोध-प्रदर्शन की अटकलें लगायी जा रही हैं। एक अधिकारी के मुताबिक, “किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सुरक्षा बढ़ा दी गई है।”

सिंगजामेई में तनावपूर्ण शांति बनी रही, हालांकि दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान खुले रहे और सड़कों पर गाड़ियां चलती रहीं। राज्य सरकार ने सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी है। हालांकि, छूट में सक्षम प्राधिकारी से अनुमोदन प्राप्त किए बिना कोई सभा/धरना विरोध/रैली नहीं होगी।

झड़पों के बाद गलत सूचना और अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से 1 अक्टूबर शाम 7.45 बजे तक इंटरनेट मोबाइल सेवाओं पर फिर से रोक लगा दिया है। मणिपुर में पांच महीने बाद शनिवार को इंटरनेट सेवा बहाल की गई थी और अब फिर इंटरनेट बंद कर दिया गया है।

राज्य सरकार ने मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए 27 और 29 सितंबर को स्कूलों में छुट्टी की घोषणा की है, साथ ही 28 सितंबर को मिलाद उन-नबी (पैगंबर मुहम्मद का जन्मदिन) के मद्देनजर सार्वजनिक अवकाश है।

उधर मुख्यमंत्री एन बीरेन ने एक्स पर कहा कि सीबीआई निदेशक, एक “विशेष टीम” के साथ, “इस महत्वपूर्ण जांच में तेजी लाने” के लिए बुधवार सुबह एक विशेष उड़ान से इंफाल पहुंचेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह अपराधियों का पता लगाने और उन्हें न्याय के दायरे में लाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ लगातार संपर्क में हैं। इससे पहले, घाटी के 24 विधायकों ने उनसे औपचारिक रूप से अनुरोध किया था कि वे दो युवकों की हत्या में शामिल लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए सीबीआई को “शीघ्र कार्रवाई” करने का निर्देश दें।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी मंगलवार को एक्स पर कहा कि ”मणिपुर से और चौंकाने वाली खबर। बच्चे जातीय हिंसा के सबसे अधिक शिकार होते हैं। यह हमारा कर्तव्य है कि हम उनकी सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करें। मणिपुर में हो रहे भयानक अपराध शब्दों से परे हैं, फिर भी उन्हें बदस्तूर जारी रहने दिया जा रहा है। केंद्र सरकार को अपनी निष्क्रियता पर शर्म आनी चाहिए।”

मणिपुर में 3 मई से उस समय हिंसा शुरु हो गई जब मैतेई समुदाय को आरक्षण देने का विरोध करने के लिए कुकी समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए और रैली की। उस दिन के बाद से राज्य में लगातार हिंसा जारी है जिसमें 175 से अधिक लोग मारे गए हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं, जबकि हजारों लोग बेघर हो गए हैं शरणार्थी शिविर में रहने के लिए मजबूर हैं।

इससे पहले मणिपुर में दो कुकी महिलाओं के साथ अमानवीय बर्बरता की वीडियो सोशल मीडिया में आया था जिसने सबको हिला कर रख दिया था और देश-विदेश में मणिपुर में हो रही घटनाओं की चौतरफा निंदा की गई।

वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पहली बार मणिपुर पर कहा है कि राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा ऐसा रास्ता खोजने का प्रयास किया जा रहा है जिससे स्थिति सामान्य हो सके और और पर्याप्त कानून-व्यवस्था लागू हो। न्यूयॉर्क में काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस में मणिपुर के हालात पर चर्चा की गई और चिंता जताई गई। चर्चा के दौरान मणिपुर की स्थिति को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, ”अगर आप मुझसे पूछें कि आज मणिपुर में क्या हो रहा है…मणिपुर में समस्या का एक हिस्सा यहां आए प्रवासियों का अस्थिर करने वाला प्रभाव है…यहां ऐसे तनाव भी हैं जिनका एक लंबा इतिहास है…प्रयास अपनी ओर से है राज्य सरकार और केंद्र सरकार को एक ऐसा रास्ता खोजना होगा जिससे स्थिति सामान्य हो सके।”

जयशंकर ने कहा कि समस्या का एक हिस्सा क्षेत्र में प्रवासियों के अस्थिर प्रभाव से उत्पन्न हुआ है। इसके अलावा उन्होंने मणिपुर में ऐतिहासिक तनावों का भी उल्लेख किया जिसने राज्य के सामने आने वाली चुनौतियों में योगदान दिया है।

सितंबर की शुरुआत में, संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने “भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में गंभीर मानवाधिकारों के उल्लंघन और दुर्व्यवहार की रिपोर्टों के बारे में चिंता जताई थी जिसमें यौन हिंसा, गैर-न्यायिक हत्याएं, गृह विनाश, जबरन विस्थापन, यातना और दुर्व्यवहार के कथित कृत्य शामिल थे।”

इससे पहले 13 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो दिवसीय फ्रांस दौरे से पहले फ्रांस के स्ट्रासबर्ग स्थित यूरोपीय संसद में मणिपुर के हालात पर चिंता जताई गई और यूरोपीय संसद ने एक प्रस्ताव भी पास किया जिसमें मणिपुर हिंसा को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना की गई थी।

मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53% है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि नागा और कुकी सहित आदिवासी 40% हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

(कुमुद प्रसाद की रिपोर्ट।)

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