गुजरात: विधायकों ने मांगी पूरे एमएलए फंड को कोविड पर खर्च करने की मांग, हाईकोर्ट में याचिका

अहमदाबाद। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में फैल रहे covid 19 संक्रमण को रोकने में सरकार गंभीर दिखने लगी है। “मारू गाम कोरोना मुक्त गाम” अभियान के तहत सरकार ने लोक भागीदारी से गावों में कम्युनिटी कोविड केयर सेंटर खोलने की ज़िम्मेदारी ग्राम पंचायत विभाग को दी है। सरकार द्वारा राज्य के सभी डी. डी. ओ. को लोक भागीदारी से ऐसे केंद्र खोलने तथा टी. डी. ओ. को निरीक्षण के लिए कहा गया है। सरकार का दवा है। दो दिनों में 10320 कम्युनिटी कोविड केयर सेंटर खुल भी चुके हैं। जिसमें 1 लाख से अधिक बेड की व्यवस्था हुई है।

वडगाम से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी ने जनचौक को बताया कि “सरकार मारू गाम कोरोना मुक्त गाम के नाम से फ्रॉड कर रही है। यह एक अभियान नहीं प्रचार मॉडल है। अभियान के तहत गांव के सरकारी स्कूलों तथा अन्य खाली जगह पर खटिया डाल देने से कोई गांव कोरोना मुक्त नहीं होगा। वहां न तो ऑक्सीजन है, न ही दवा इंजेक्शन है। सीएचसी और पीएचसी में तो डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं तो स्कूलों में बिछाई गई खटिया के मरीजों को देखने के लिए सरकार डॉक्टर कैसे उपलब्ध कराएगी। गावों में शहरी क्षेत्रों से अधिक फर्जीवाड़ा चल रहा है। यहां मनरेगा की तरह ही आंकड़ों में फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। सरकार जो टेस्टिंग और टीकाकरण के आंकड़े जाहिर कर रही है सही नहीं है।”

जिग्नेश मेवानी ने आगे बताया, ” DM , SDM और DDO की मिलाकर 2 करोड़ की ग्रांट होती है। विधायक को 1.5 करोड़ की ग्रांट मिलती है। साढ़े तीन करोड़ की ग्रांट से हर ज़िले में कोरोना से लड़ने के लिए ऑक्सीजन प्लांट , बेड , दवा इंजेक्शन, वेंटिलेटर इत्यादि की कमी पूरी की जा सकती है। परन्तु गुजरात सरकार हर ज़िले के DM, SDM और DDO के 2 करोड़ रुपए की ग्रांट दबाकर बैठी है। सभी जिलों की यह ग्रांट रिलीज़ नहीं की गई। विधायक अपनी ग्रांट से अधिकतम 25 लाख रूपए स्वास्थ्य में खर्च कर सकता है। और यह पैसा ऑक्सीजन प्लांट में नहीं खर्च कर सकेगा।” जिग्नेश के अनुसार ऐसी महामारी के समय दिशा और निर्देश को जनता के हित में तुरंत बदला जाना चाहिए। 26 अप्रैल को मुख्य सचिव को पत्र लिख ऑक्सीजन प्लांट के लिए विधायक फंड से 30 लाख , 10 लाख वेंटिलेटर और 10 लाख की remdisivir खरीदने की अनुमति मांगी थी। परन्तु सरकार द्वारा न तो फंड जारी किया गया न ही नियम में बदलाव का कोई प्रयत्न हुआ। जिसके बाद 29 अप्रैल को मुझे हाई कोर्ट में दिशनिर्देश के लिए जाना पड़ा। एडवोकेट आनंद याग्निक द्वारा की गई याचिका में कहा गया है। “मैं एक चुना हुआ नुमाइंदा होते हुए भी मैं असहाय और कमज़ोर महसूस कर रहा हूं। मेरी विधानसभा में इस महामारी से लड़ने के लिए कोविड सुविधा न के बराबर है।पाटन ज़िला अस्पताल ओवर लोड है। सीएचसी और पीएचसी ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की सुविधाएं नहीं। एक विधायक के तौर पर मुझे 1.5 करोड़ का फंड मिलता है। जिग्नेश ने गुजरात हाई कोर्ट से सरकार के मुख्य सचिव को दिशा निर्देश देने की दरखास्त के अलावा ज़िला प्रशासन को विधायक फंड से सीएचसी और पीएचसी के लिए ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर खरीदने की अनुमति देने को कहे। कोविड पर चल रही इसी याचिका में कांग्रेस पार्टी 65 विधायकों ने भी एडवोकेट आनन्द याग्निक के माध्यम याचिका दायर की है। जिसमें कहा गया है। “हम सभी 65 विधायक जिन्हें सरकार द्वारा डेढ़ करोड़ रुपए आवंटित किया जाता है। हम अपना पूरा फंड कोरोना के खिलाफ लड़ाई में उपयोग करना चाहते हैं। परन्तु नियमानुसार 25 लाख रू. से अधिक स्वास्थ्य के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता। इस समय हर तहसील में वेंटिलेटर की खरीदी करना आवश्यक है।हमें इसकी अनुमति दी जाए।” कोविड पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश विक्रमनाथ और जस्टिस बी. एन. कारिया ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है।

वडगाम में सरकार द्वारा विधायक फंड से ऑक्सीजन प्लांट खड़े करने की अनुमति न मिलने पर ऑक्सीजन प्लांट के लिए विधायक जिग्नेश मेवानी ने क्राउड फंडिंग का सहारा लिया है। प्लांट के लिए जिग्नेश मेवानी खुद डब्बा लेकर चंदा मांग रहे हैं। जिग्नेश मेवानी ने डाउन टू अर्थ को बताया दो दिनों में 23000/- रू. का चंदा डब्बे में आया है। इसके अलावा फिल्म कलाकार प्रकाश राज ने 2 लाख रु. पी. एन. कृष्णन ने 50 हज़ार रुपए चंदा दिया है। स्वरा भास्कर और अनुराग कश्यप भी इस प्लांट के लिए सहयोग राशि देंगे।

विपक्ष और हाई कोर्ट द्वारा बनाए गए दबाव के बीच गुरुवार शाम को मुख्य मंत्री ने स्वास्थ्य के लिए दी गई 25 लाख की सीमा को बढ़ाकर 50 लाख कर दी गई है। इन पैसों से अब मेडिकल इंस्ट्रूमेंट भी खरीदे जा सकते हैं। विधायक यह फंड सरकारी और नो प्रॉफिट नो लॉस उद्देश्य वाले चैरिटेबल ट्रस्ट में भी उपयोग कर सकेंगे। डीएम एसडीएम और डीडीओ को मिल रही 2 करोड़ की ग्रांट को रिलीज़ करने तथा उसके उपयोग को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

(अहमदाबाद से कलीम सिद्दीकी की रिपोर्ट।)

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