जनता के पैसे का इस्तेमाल पार्टी के एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए कर रहे हैं मोदी

“अपने कैरियर के शुरू में उन्हें बताया गया था कि सत्तारूढ़ दल और सरकार दो अलग-अलग चीजें हैं। कभी भी दल को सरकार के कामों में दख़ल नहीं देना चाहिए। दोनों के बीच एक लक्ष्मण रेखा खीची गई है। समय के साथ जो धारणा विकसित हुई उसके मुताबिक, जनता के पैसे का इस्तेमाल पार्टी के एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए नहीं किया जाएगा। लेकिन आज लक्ष्मण रेखा की धज्जियां सरेआम उड़ रही हैं। लोअर लेवल की बात तो छोड़ ही दें, जो सत्ता के शीर्ष पर हैं वो ही मर्यादा को ताक पर रखने से गुरेज नहीं रख रहे हैं। जेवर में लक्ष्मण रेखा की मर्यादा को तार-तार होते देखा गया।”-उपरोक्त बातें पूर्व वित्त मंत्री और एक समय भाजपा के दिग्गज नेता रहे यशवंत सिन्हा ने नरेंद्र मोदी ने जेवर एयरपोर्ट प्रोग्राम पर सवाल खड़ा करते हुये कहा है।

उन्होंने कहा कि केवल यूपी चुनाव जीतने की खातिर सरकार ने लक्ष्मण रेखा ही लांघ दी है। आज प्रधानमंत्री का केवल एक ही लक्ष्य है और वह कैसे भी चुनाव जीतना।
यशवंत सिन्हा ने आगे कहा कि प्रोग्राम में योगी का रवैया देखकर ज्यादा हैरत नहीं हुई, क्योंकि उनकी एक ही लाइन है। जिन्ना और अब्बाजान। वो समझते हैं कि इसके सहारे वो सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करके चुनाव जीत सकते हैं। 
यशवंत सिन्हा ने सवाल किया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनकी अमर्यादित भाषा के लिए कौन कोर्ट खींचकर ले जाएगा। स्वतः संज्ञान के मामलों में शीर्ष अदालत वैसे भी मुकदमों के बोझ तले दबी हुई हैं। जिन लोगों पर सांप्रदायिकता को रोकने का जिम्मा है वो ही उसे सरेआम फैला रहे हैं। मोदी की मूक सहमति इसमें है।

यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी का एक ही मक़सद है कि जहां भी चुनाव हो, उसे जीतना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अटल जी की पार्टी और आज की पार्टी में ज़मीन और आसमान का अंतर है। अटल सर्वसम्मति पर विश्वास करते थे। लेकिन आज की मोदी सरकार सिर्फ़ दबाने में विश्वास करती है। उसका लोकतंत्र में यकीन ना के बराबर है। मोदी को शेखी बघारने में बहुत ज्यादा लुत्फ़ आता है। 

सांप्रदायिक एजेंडा चलाने वाले कार्पोरेट मीडिया पर सवाल खड़े करते हुये यशवंत सिन्हा ने कहा कि – “फिलहाल मीडिया ने सरकार की कमियों को ढक रखा है। अलबत्ता एक दिन ऐसा आएगा जब नाटकबाजी पर विराम लगेगा। तब तक अपनी सीट बेल्ट को कसकर बांध लें।  

बता दें कि पूर्व IAS अधिकारी यशवंत सिन्हा 1984 में इस्तीफा देकर राजनीति में आए तो सबसे पहले जनता पार्टी में शामिल हुए। 1988 में वह राज्यसभा सदस्य चुने गए। 1989 में जनता दल बनने पर उन्हें पार्टी में महासचिव बनाया गया। वह चंद्रशेखर सरकार में वित्त मंत्री भी बनाए गए। फिर भाजपा में शामिल हो गए। जहां उन्होंने भाजपा पार्टी प्रवक्ता से अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री और विदेश मंत्री तक का सफ़र तय किया। भजपा में मोदी के दबदबे के बाद विरोध स्वरूप वो तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गये।

(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

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