‘दमन विरोधी दिवस’ पर मोर्चे ने लिखा राष्ट्रपति को पत्र, कहा- जेल में बंद किसानों की तत्काल हो रिहाई

संयुक्त किसान मोर्चे द्वारा आज ‘दमन प्रतिरोध दिवस’ के रूप में मनाया गया, जिसके तहत देश भर में सैकड़ों स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किये गए। मोर्चे द्वारा आज राष्ट्रपति को एक पत्र भेजा गया जिसमें तालुका और जिला स्तर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों और उनके समर्थकों पर हो रहे अत्याचारों को खत्म करने की माँग की गई।

मोर्चे  द्वारा ‘टूलकिट मामले’ में  दिशा रवि की जमानत पर हुई रिहाई का स्वागत किया गया, इसके साथ न्यायमूर्ति धर्मेंद्र राणा द्वारा आदेश में व्यक्त किये बिंदुओं की भी सराहना की गई। मोर्चे ने दिल्ली पुलिस के खिलाफ भी तुरंत कार्रवाई की माँग की है। मोर्चे का कहना है कि दिल्ली पुलिस द्वारा दिशा रवि की गैर-कानूनी और गैर-संवैधानिक गिरफ्तारी के दौरान कई मापदंडों का उल्लंघन किया गया।

इसके साथ ही मोर्चे ने दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल द्वारा भाकपा (माले) के दिल्ली प्रदेश सचिव रवि राय को डराने के लिए रची जा रही साजिश की भी आलोचना की, पुलिस द्वारा ‘ट्रॉली टाईम्स’ की नवकिरन नट का पीछा किया गया और इस तरह से नियमों का दोबारा उल्लंघन किया गया।

बिहार के सीतामढ़ी में संयुक्त किसान मोर्चे के आह्वान पर रेल रोको प्रदर्शन में भाग ले रहे प्रदर्शनकारियों पर बिहार पुलिस द्वारा दर्ज केस और करवाई की निंदा की गयी।  और इसके साथ ही इन सभी मामलों को तुरंत वापस लेने की मांग की गई। 

मोर्चे का कहना है कि किसान महा पंचायतें किसानों के पूर्ण और मजबूत सहयोग के साथ हरियाणा, राजस्थान और अन्य राज्यों में लगातार जारी रहेंगी।

किसानों पर जारी दमन, आंदोलन को बदनाम करने, किसान नेताओं, पत्रकारों व बुद्धिजीवियों पर देशद्रोह जैसी धाराओं में मुकदमे दर्ज करने के खिलाफ आज संयुक्त किसान मोर्चा के आहवान पर आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट और जय किसान आंदोलन से जुड़े मजदूर किसान मंच के कार्यकर्ताओं ने पूरे प्रदेश में दमन विरोधी दिवस मनाया। इसमें हुए कार्यक्रमों में कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति महोदय को पत्र भेजकर तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लेने, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों की फसल खरीद के लिए कानून बनाने, यूएपीए, एनएसए, देशद्रोह जैसे काले कानूनों को खत्म करने, आंदोलन में गिरफ्तार सभी किसानों को बिना शर्त रिहा करने, किसान नेताओं पर लगाए सभी मुकदमे वापस लेने, राजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ताओं पर हमले पर रोक लगाने और असहमति के अधिकार की रक्षा करने जैसी मांगों को प्रमुखता से उठाया।

इस अवसर पर आईपीएफ नेताओं ने कल पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को दिल्ली जिला न्यायालय द्वारा जमानत मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि किसान आंदोलन को बदनाम करने और उसका दमन करने का सरकार का हर प्रयास विफल होता जा रहा है। किसानों के जारी आंदोलन को मिल रहे भारी समर्थन ने देश में मोदी सरकार द्वारा तानाशाही थोपने की कोशिशों पर विराम लगाने का काम किया है। सरकार को चाहिए कि वह कारपोरेट हितों के लिए किसानों पर दमन करने के बजाए किसानों से वार्ता करे और किसानों के सवालों को हल करे। कार्यक्रमों के बारे में जारी प्रेस बयान में आईपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस. आर. दारापुरी व मजदूर किसान मंच के महासचिव डा. बृज बिहारी ने यह जानकारी दी।

‘विरोधी दमन दिवस’ पर राष्ट्रपति को भेजा गया मांग पत्र

 प्रति

 श्री राष्ट्रपति महोदय,

 भारत

 विषय: किसान आंदोलन के दौरान जेलों में बंद निर्दोष किसानों की बिना शर्त रिहाई और झूठे केसों व जारी किए जा रहे नोटिस रद्द करने सम्बधी।

 महोदय,

  विनम्र निवेदन है कि पिछले छह महीनों से देश के किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ और एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित कुछ अन्य मांगों के लिए विभिन्न तरीकों से और विभिन्न स्तरों पर लड़ रहे हैं।

 संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में, पिछले तीन महीनों से, किसान अनिश्चित काल के लिए दिल्ली के आसपास धरना लगाए हुए हैं, लेकिन सैकड़ों किसानों और आन्दोलन समर्थकों को भारत सरकार और कई राज्य सरकारों द्वारा जेलों में डाल दिया गया है और झूठे मामले बनाए गए हैं। ।

आज पूरे देश में दमन-विरोधी दिवस मनाते हुए, हम निम्नलिखित मांगों को जिला और तहसील अधिकारियों के माध्यम से आपके पास भेज रहे हैं।  हमें उम्मीद है कि आप इस संबंध में तत्काल कार्रवाई करेंगे।

 1. जेलों में बंद निर्दोष किसानों के खिलाफ दर्ज पुलिस मामलों को खारिज कर दिया जाना चाहिए और उन्हें तुरंत बिना शर्त रिहा किया जाना चाहिए।

 2. किसानों और उनके संघर्ष के समर्थक व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ में दर्ज झूठे पुलिस मामलों को खारिज कर दिया जाना चाहिए।

 3. दिल्ली पुलिस, एनआईए और अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा संघर्ष में शामिल किसानों को डराने-धमकाने के लिए भेजे जा रहे नोटिस को तुरंत रोका जाना चाहिए और पहले के नोटिस को रद्द कर दिया जाना चाहिए।

 4. दिल्ली की सीमाओं पर किसान मोर्चा की पुलिस की घेराबंदी के नाम पर, आम आदमी की बंद सड़कों को खोला जाना चाहिए।

 सधन्यवाद

 संयुक्त किसान मोर्चा, शामिल संगठन और व्यक्ति

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