MSP क़ानून, टेनी की गिरफ्तारी, शहीद किसानों को मुआवजा की मांग को लखनऊ महापंचायत में दोहराई गयी

‘अजय टेनी का घर कहां, जेल में, जेल में’, ‘संयुक्त किसान मोर्चा संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं’, ‘अजय मिश्रा को बर्खास्त करो’ ‘एमएसपी पर ख़रीद का क़ानून हमारा अधिकार’ की नारे के साथ राजधानी लखनऊ में संयुक्त किसान मोर्चा की महापंचायत शुरु हुई।  

राजधानी लखनऊ का इकोगार्डंन (पुरानी जेल) बंगला बाज़ार किसानों से खचाखच भरा हुआ था। बावजूद इसके कि यूपी पुलिस तमाम किसानों को यहां पहुंचने से रोक रही थी और कई स्थानीय किसान नेताओं को आवास पर नज़रबंद कर दिया था। लखनऊ में आयोजित किसान महापंचायत को राकेश टिकैत, दर्शनपाल, बलबीर सिंह राजेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां किसान संघर्ष समिति के महासचिव आशीष मित्तल, योगेंद्र यादव समेत कई बड़े नेताओं ने संबोधित किया। एमएसपी पर ख़रीद की गारंटी का क़ानून, 750 किसान शहीद हुए उनके परिजनों को समुचित मुआवजा, उनकी स्मृति में एक राष्ट्रीय स्मारक बनाए जाने और आन्दोलन के दौरान किसानों व उनके नेताओं पर दर्ज़ हुए मुकदमों की वापसी और लखीमपुर खीरी केस में अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करके जेल भेजने समेत 09 मांगें मुख्य रूप से महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा रखी गई।

किसान नेता डॉ. दर्शनपाल ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा की मांग है कि अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करो। और उनके ऊपर जनसंहार का मुक़दमा दर्ज़ करके उसे जेल भेजो। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा भाजपा नेताओं के घेराव करने और काला झंडा दिखाने के आह्वान के बाद उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा को भाजपा के नेता को बाहर नहीं निकलने नहीं दिया जाता। 2022 में चुनाव है और इन्हें बाहर निकलकर वोट मांगने जाना है तो इसीलिये इन्होंने तीन काले क़ानूनों को वापिस लेने की घोषणा की है। सरकार ने तीन काले क़ानून हम पर थोपकर हमारे खेतों खलिहानों पर हमला बोला जिसके ख़िलाफ़ हम एक साल से दिल्ली की सीमा पर धरना दे रहे हैं। हमने इस आंदोलन में अपने 750 किसान भाईयों को खोया है उनके परिवारों की भरपाई कौन करेगा। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब के किसान 2022 में भाजपा को सबक सिखायेंगे, इनकी सत्ता ध्वस्त करेंगे। जो बंगाल में ताक़त दिखाई वो यूपी में भी दिखाएंगे।

उन्होंने आगे कहा कि किसानों को उनके फसलों के दाम पूरे नहीं मिल रहे हैं। हम तब तक लड़ेंगे जब तक हर का कर्ज़ वापिस नहीं हो जाता, जब तक हर किसान को उसके फसल का पूरा दाम नहीं मिल जाता। जो तानाशाह पिछले 08 साल से किसी भी फैसले पर पीछे नहीं हटता था उसने यूपी चुनाव के मद्देनज़र किसान क़ानून वापिस ले लिया है। लेकिन जब तक एमएसपी पर ख़रीद का कानून नहीं बनता हम आंदोलन करते रहेंगे।

बलबीर सिंह रजोवाल ने महापंचायत को संबोधित करते हुये कि आखिर आप लोगों के संघर्ष के आगे मोदी को आपके आगे घुटने टेकने पड़े। उस देश नहीं पूंजीपतियों से माफ़ी मांगी है। कि वो उनके हित में किसानों को नहीं समझा पाई। एमएसपी, बिजली संशोधन क़ानून, ऐसी कई हमारे मांगे अभी नहीं मानी गई हैं। इनके पूरे होने तक हमारा आंदोलन चलता रहेगा। हमारे चार किसानों को भाजपा के मंत्री ने मार दिया उनके आरोपी केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अपने पद पर बरक़रार है, मोदी साहेब को शर्म आनी चाहिये। 

एमएसपी पर क़ानून बनवाने के लिये अभी बड़ी लड़ाई लड़नी पड़ेगी और हम लड़ेंगे। देश भर के किसानों के हित में हम यह लड़ाई लड़ेंगे। एमएसपी पर ख़रीद की गारंटी कानून पूरे देश के लिये लागू करवाना है।

वहीं किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहा ने कहा कि पंजाब देश के साथ है और जब तक एमएसपी पर गारंटी का क़ानून नहीं बन जाता आंदोलन जारी है। उन्होंने कहा कि हमारा राजनीति से कोई लेना देना है। लेकिन हम किसानों को एकजुट होकर लड़ना है।

उन्होंने आगे कहा कि तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने की घोषणा से हमें नया कुछ नहीं मिला। सरकार ने जो हम पर जबर्दस्ती थोपा था, उसे ही वापिस लिया है। अभी हमारी मांगे पूरी नहीं हुई हैं। आंदोलन में मुख्य मांग एमएसपी पर ख़रीद की गारंटी का क़ानून था। जो अभी पाना शेष है।

महापंचायत को संबोधित करते हुये भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अभी कोई भी ऐलान नहीं हुआ है। एमएसपी एक बड़ा सवाल है। एमएसपी पर ख़रीदारी को लेकर टिकैत ने कहा कि सरकार झूठ बोल रही है। झूठ का कोई इलाज़ नहीं है।

किसान महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत ने संयुक्त किसान मोर्चा के मांगों को दोहराते हुये कहा- “केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त किया जाए। MSP पर क़ानून बनाओ। 750 किसानों की मृत्यु हुई, उनका ध्यान रखा जाए। दूध के लिए भी एक नीति आ रही है उसके भी हम ख़िलाफ़ है, बीज क़ानून भी है। इन सब पर बातचीत करना चाहते हैं। राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिये जाने की गारंटी का मसला हल नहीं हुआ है। किसानों को केन्द्र सरकार से इस बारे में कोई आश्वासन नहीं बल्कि एक्शन चाहिए। बीजेपी ने कहा था कि सरकार बनने के बाद किसानों को गन्‍ना मूल्‍य का भुगतान 14 दिन के भीतर किया जाएगा, लेकिन यह व्यवस्था आज तक लागू नहीं हो सकी और साढ़े चार वर्ष में गन्‍ना मूल्‍य में मात्र 25 रुपये की बढ़ोतरी की गई है।

इससे पहले राकेश टिकैत ने बीजेपी और असदुद्दीन ओवैसी पर हमला बोला। टिकैत ने कहा कि बीजेपी और असदुद्दीन ओवैसी चाचा-भतीजे हैं। ये चाचा-भतीजे की पार्टी बात है। भतीजा मांग ले तो चाचा सीएए भी वापस कर लेगा।

स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव ने कहा लड़ाई जारी रहेगी। लड़ाई का स्वरूप क्या होगा यह तय करेंगे,  कहा कि बंगाल के चुनाव में पहला इंजेक्शन लगा। यूपी चुनाव में बड़ा इंजेक्शन, कृषि कानूनों की वापसी 70 साल में किसान आंदोलनों की सबसे बड़ी जीत है।

भाकियू की किसान महापंचायत की वजह से कानपुर रोड पर दरोगा खेड़ा, स्कूटर्स इण्डिया चौराहा, सरोजनीनगर, नादरगंज व पुरानी चुंगी तक सुबह से भीषण जाम लगा रहा। रायबरेली में किसान नेताओं को जिला प्रशासन ने हाउस अरेस्ट कर लिया है। किसान नेता अपने पंद्रह सौ साथियों के साथ इसमें भाग लेने वाले थे। शहर के मलिकमऊ आइमा निवासी भाकियू जिलाध्यक्ष संतोष कुमार को पुलिस ने घर में ही नज़रबंद कर दिया।

सदन से सारे मामले नहीं हल होंगे। 750 शहीद किसानों का मामला, आंदोलन के दौरान किसानों पर लादे गये मुकदमों की वापसी, के मसले सरकार को हल करने हैं सदन को नहीं।

महापंचायत स्‍थल पर तीन बड़े लंगर लगाए गए थे, और किसानों को पीने के पानी के लिए टैंकर और पानी की बोतलों का इंतजाम किया गया था।

लखनऊ के पुलिस आयुक्त डीके ठाकुर के नेतृत्व में सुरक्षा के पूरे बंदोबस्त किए गए थे और महापंचायत स्थल पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। 

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