PM मोदी के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा देश की कीमत पर खुद के प्रचार का साधन बन गई: कांग्रेस

नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बयान जारी कर कहा है कि सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने 11 जनवरी को 2024 की अपनी वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जो बातें कहीं वे मोदी सरकार में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा परिवेश के कमज़ोर होने की याद दिलाती हैं।

जयराम रमेश ने कहा कि जनरल पांडे ने कहा कि ‘हमारा प्रयास 2020 के बीच से पहले जैसी स्थिति पर वापस जाने के लिए बातचीत (चीन के साथ) जारी रखने का है’। उनकी यह टिप्पणी याद दिलाती है कि घुसपैठ के लगभग चार साल बाद भी चीनी भारतीय सैनिकों को लद्दाख में 2,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र तक जाने से रोक रहे हैं।

जयराम रमेश ने कहा कि जनरल पांडे ने कहा कि “राजौरी-पुंछ में आतंकवादी गतिविधियों में बढोत्तरी देखी गई है” और “सीमा पार से राजौरी-पुंछ सेक्टर में आतंकवादी ढांचे को समर्थन जारी है।” इससे साफ़ होता है कि सीमा पार से आतंकवाद का ख़तरा बरकरार है। नोटबंदी या जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्ज़ा ख़त्म करके आतंकवाद को ख़त्म करने का दावा पूरी तरह से ग़लत साबित हुआ है।

5 अगस्त 2019 के बाद से जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमलों में 160 से अधिक जवान मारे गए हैं। हमारे जवानों पर हाल ही में 12 जनवरी को पुंछ में हमला हुआ है। लेकिन सौभाग्य की बात है कि इस बार कोई गंभीर नुक़सान नहीं हुआ।

जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा 19 जून 2020 को चीन को दी गई क्लीन चिट- जब उन्होंने कहा था “न कोई हमारी सीमा में घुस आया है, न ही कोई घुसा हुआ है”- हमारे शहीद जवानों का अपमान था। उस क्लीन चिट की वजह से ही 18 दौर की वार्ता के बावजूद 2,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर चीनी नियंत्रण जारी है।

जयराम रमेश ने कहा कि लेह के पुलिस अधीक्षक द्वारा प्रस्तुत एक पेपर में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि भारत अब 65 पेट्रोलिंग पॉइंट्स में से 26 तक नहीं जा सकता है। ये वे पेट्रोलिंग प्वाइंट्स हैं, जहां भारतीय सेना के जवान 2020 से पहले तक बिना किसी रोक-टोक के पेट्रोलिंग किया करते थे। आज रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देपसांग और डेमचोक जैसे क्षेत्र भी भारतीय सैनिकों की पहुंच से दूर हैं।

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि इस बीच चीन हमारे पड़ोस में भी अपनी पकड़ मज़बूत कर रहा है। सबसे ताज़ा उदाहरण यह है कि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भारत से पहले चीन का दौरा करने वाले वहां के पहले राष्ट्रपति बन गए हैं। हमारे क़रीबी सहयोगियों में से एक भूटान में भी चीन लगातार दखलंदाजी कर रहा है।

उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है जैसे प्रधानमंत्री ये मानते हैं कि समुद्र तट पर घूमना और सोशल मीडिया पर अभियान चलाना देश के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए की जाने वाली वास्तविक कार्रवाइयों के विकल्प हैं। ये सब तब हो रहा है जब चांग चुंग-लिंग और नासिर अली शाबान अहली जैसे व्यक्तियों को प्रधानमंत्री के क़रीबी मित्र द्वारा नियंत्रित महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में संदिग्ध भूमिका निभाने की इजाज़त दी गई है, वो भी बिना कोई सवाल पूछे।

जयराम रमेश ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति मोदी सरकार का संवेदनहीन रवैया- जिसे वह केवल चुनावी लाभ के चश्मे से देखती है- पूर्व सेना प्रमुख एमएम नरवणे की पुस्तक में हुए ख़ुलासे में भी सामने आया था। जिसमें उन्होंने बताया है कि अग्निपथ योजना से सेना “आश्चर्यचकित” थी और ” नौसेना और वायु सेना के लिए यह एक झटके की तरह था।”

जयराम रमेश ने कहा कि इन सभी उदाहरणों से साफ़ होता है कि प्रधानमंत्री के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा भी देश की क़ीमत पर व्यक्तिगत प्रचार-प्रसार और ख़ुद के महिमामंडन का एक साधन बन कर रह गई है।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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