धनबाद: न थम रहा है अवैध खनन और न थम रहा मौत का सिलसिला

धनबाद। झारखंड के धनबाद (कोयलांचल) में न अवैध खनन का कारोबार थम रहा है और न अवैध खनन के दौरान चाल धंसने से हो रही मौतों का सिलसिला थम रहा है। इस क्षेत्र का चाहे सीसीएल का इलाका हो या बीसीसीएल का- इन क्षेत्रों में कभी गोफ के बनने से लोगों के घर जमींदोज हो जाते हैं, तो कभी अवैध खनन के दौरान चाल धंसने से लोगों की मौत हो जाती है। फिर भी लोग न तो अपना आशियाना बदलते हैं और न ही अवैध खनन का काम रुकता है। वजह साफ है, पेट के लिए भोजन और सिर पर एक छत की मजबूरी।

ऐसा ही एक मामला 16 अक्टूबर को सामने आया, जब धनबाद के निरसा थाना क्षेत्र में ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के मुगमा एरिया में कोयले के अवैध खनन के दौरान अहले सुबह ही खदान के धंसने से एक दर्जन से अधिक लोग खदान में फंस गए या मलवे में दब गए, जिनमें से सिर्फ दो लोगों के शव निकाले जा सके। बाकी लोगों की भी खदान के मलबे में दबे होने से मौत की आशंका जताई जा रही है। मतलब साफ है कि जिनकी मलबे में दबे होने की आशंका जताई जा रही है, उनकी मौत गुमनामी में कैद हो जाएगी।

यहां बताना जरूरी हो जाता है कि मुगमा एरिया के कापासारा में आउटसोर्सिंग पर चलाई जाने वाली ईसीएल की यह खदान पिछले कुछ महीनों से बंद है, लेकिन यहां अवैध तरीके से खनन बदस्तूर जारी है।

मिली जानकारी के मुताबिक 14/15 अक्टूबर की मध्य रात्रि को एक दर्जन से ज्यादा लोग खदान में अवैध खनन करने पहुंचे थे। इसी दौरान खदान की चाल (छत) धंस गई। इसके मलबे में दबकर दम तोड़ चुके दो लोगों के शव कुछ लोग उठा ले गए।

मृतकों में सियारकनाली गांव निवासी जमुना राजवंशी (37) एवं केशरकूरल गांव निवासी तापस दास (20) के नाम की चर्चा है। दोनों के शव मलबे से निकालने के बाद तापस का शव आनन-फानन में लोगों ने दफना दिया और चुप्पी साध ली। वहीं, जमुना का शव उसके घर के आंगन में रख दिया गया। मृतक जमुना का पैतृक घर नवादा से परिजनों के आने का इंतजार है। वहीं आक्रोशित ग्रामीण शव को कोलियरी कार्यालय के समक्ष रखकर प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं।

कापासारा आउटसोर्सिंग के पूरब दिशा में सियारकनाली गांव की ओर यह घटना घटी। जहां दो मुहानों में बेरोकटोक अवैध खनन चल रहा था। 14 अक्टूबर की रात रोजाना की तरह पंद्रह लोगों की टीम एक मुहाने में घुसी। मुहाने में करीब दो सौ मीटर तक सियारकनाली गांव की ओर सुरंग है। एक-दो घंटा तक तो सब कुछ ठीक था। लेकिन रात करीब दो बजे तेज़ आवाज़ के साथ टीम पर चाल गिर गया। जिसमें दो तीन लोग तो बच गये, लेकिन बारह लोग मलबे में दब गये। जिसमें सभी की मौत की बात कही जा रही है।

घटना के बाद मौके पर न तो निरसा पुलिस पहुंची और न ही कोलियरी प्रबंधन के अधिकारी ही पहुंचे। वहीं दूसरी तरफ पूरे मामले को रफा दफा करने कोशिश की जा रही है।

आउटसोर्सिंग परिसर में लोगों का आनाजाना बंद हो गया है। इस घटना के बाबत कंपनी के अधिकारी कुछ भी जानकारी देने से इनकार कर रहे हैं। जहां हादसा हुआ है वहां, ईसीएल की ओर से मिट्टी भराई का काम शुरू हो गया है।

इधर गांव के ही एक सामाजिक व्यक्ति प्रदीप बाउरी और पूर्व मुखिया लखी देवी ने घटना के लिये कोलियरी प्रबंधन को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा कि खदान की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। खदान को खुला छोड़ दिया गया है। ग्रामीण पेट के लिये मजबूरी में अपनी जान जोखिम में डालकर कोयला खनन करने मौत के मुंह में घुसते हैं। जिसे रोकना प्रबंधन का काम है। लेकिन डेंजर एरिया, वर्जित क्षेत्र आदि का बोर्ड लगाकर केवल खानापूर्ति की जाती है। खतरे का सायरन भी नहीं बजाया जाता है। एक दो लाठीधारी गार्ड के जिम्मे कापासारा की सुरक्षा छोड़ दी गई है।

उन्होंने बताया कि मृतक जमुना काफी गरीब और बेरोजगार था। वह घर का एक मात्र कमाऊ था। उसके पांच छोटे छोटे बच्चे हैं। अवैध खनन से उसे अधिक मजदूरी मिल जाती थी। इसलिये अवैध खनन उसकी मजबूरी थी। वहीं उसकी विकलांग पत्नी पूनम देवी का रो रोकर बुरा हाल है। वह बोल नहीं पाती है। इसलिये अपने दर्द को बयां भी नहीं कर पा रही है। सिर्फ बेजार रोए जा रही है।

एक तरफ जहां ईसीएल प्रबंधन का कोई जिम्मेदार अफसर समाचार पाकर मौके पर नहीं पहुंचा। वहीं दूसरी ओर ईसीएल की ओर से जेसीबी मशीन भेजकर धंसी खदान के पास मिट्टी भराई का काम कराया जा रहा है। तो जाहिर है जो लोग खदान के अंदर फंसे होंगे या मलबे दबे होंगे वे वहीं के वहीं रह जाएंगे। उनकी लाश भी उनके परिवार वालों को देखने को नहीं मिलेगी।

दूसरी तरफ अवैध खनन के दौरान चाल धंसने से घटनास्थल के ऊपर स्थित गर्म खदान (तालाब) में गोफ बन गया है। जिससे तालाब का सारा पानी गोफ में समा गया और वह सूख गया। कापासारा से सटे गांव के लोग इस तालाब का उपयोग नहाने व कपड़ा धोने में करते थे। तालाब सूखने से ग्रामीणों में अलग से गुस्सा है। लोगों ने कहा कि गांव पहले से ही पेयजल की घोर किल्लत है। कोलियरी प्रबंधन ने वेलफेयर के तहत कोई सुविधा नहीं दी है। ऊपर से एकमात्र सहारा तालाब भी नहीं रहा। कोलियरी प्रबंधन के खिलाफ इस मुद्दे को लेकर आंदोलन किया जायेगा ।

पीड़ितों को न्याय कैसे मिले, उनके रोजी-रोजगार की व्यवस्था कैसे हो, इस पर किसी का ध्यान नहीं है लेकिन इस घटना को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। बीजेपी के राज्यसभा सांसद आदित्य साहू ने कहा कि पूरे झारखंड में सबसे ज्यादा अवैध कोयले का खनन धनबाद में हो रहा है और यह खनन सोरेन सरकार के इशारे पर हो रहा है। इस अवैध खनन में सरकारी अमले के साथ-साथ प्रशासन के लोग भी मिले हुए हैं।

वहीं, इस घटना पर सत्ताधारी दल झामुमो के प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि अवैध खनन का दौर भाजपा शासन से चला आ रहा है, हमारी सरकार ने तो अवैध खनन पर रोक लगा दी है।

(विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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