मुंगेर मामले में आम लोगों के निशाने पर नीतीश!

बिहार में आज 28 अक्तूबर को पहले चरण के 16 जिलों की 71 सीटों पर मतदान है। पहले चरण की इन 71 सीटों में मुंगेर भी एक है, जहां पिछली 26 अक्तूबर की रात को मूर्ति विसर्जन के दौरान पुलिस ने फायरिंग की थी। घटना के दौरान एक व्यक्त की घटना स्थल पर ही मौत हो गई थी। कई लोग बुरी तरह घायल हो गए। इनमें से काफी गंभीर स्थिति में पांच लोगों को पटना रेफर किया गया है। कुछ लोग जो घटना बाद लापता हैं, वे अभी तक घर नहीं लौटे हैं। उनको लेकर लोगों को संदेह है कि वे पुलिस की गोली के शिकार हो चुके हैं। पुलिस ने ही उन्हें गायब कर दिया है।

घटना के बारे में बताया जा रहा है कि 26 अक्तूबर की रात को मुंगेर के दीनदयाल चौक से जब मूर्ति विसर्जन के लिए लोग गुजर रहे थे, तभी पुलिस ने आकर उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। इसको लेकर पुलिस और मूर्ति विसर्जन में शामिल लोगों में झड़प हो गई। पुलिस ने पहले लाठीचार्ज किया, जब लोग पीछे हटने को तैयार नहीं हुए तब पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दी। घटना के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई, और कई लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायल पांच लोगों को पटना रेफर किया गया है। प्रशासन का कहना है कि पुलिस की गोली से किसी की मौत नहीं हुई है। पुलिस टीम का नेतृत्व मुंगेर जिले की एसपी लिपि सिंह कर रहीं थीं, जो जदयू के वरिष्ठ नेता आरपी सिंह की पुत्री हैं। आरपी सिंह नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं। नीतीश कुमार ने उन्हें एक बार राज्यसभा भी भेजा था।

इस घटना पर पुलिस फायरिंग से मुंगेर रेंज के डीआईजी मनु महाराज ने साफ इंकार किया है। वे कहते हैं कि प्रशासन ने मूर्ति विसर्जन की तारीख 25 अक्तूबर को निधारित की थी, लेकिन 26 को प्रतिमा विसर्जन किया जाने लगा गया। पुलिस ने इसे रोका तो असामाजिक तत्वों ने गोलीबारी शुरू कर दी। इससे एक व्यक्ति की मौत हो गई।

सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि तीन लोगों की मौत को पुलिस प्रशासन क्यों छुपा रहा है? वहीं असामाजिक तत्वों द्वारा गोलीबारी करने के पीछे का मकसद क्या है? कहीं ऐसा तो नहीं कि इस घटना को सांप्रादायिक रंग देने की प्रशासनिक कोशिश थी? अगर ऐसी मंशा थी तो प्रशासन की मंशा को मुंगेर की जनता ने फेल कर दिया है। अब यह मामला जनता बनाम जिला प्रशासन का हो गया है। भले ही आज के चुनाव के मद्देनजर लोग चुप्पी मारे हुए हैं, मगर प्रशासन के खिलाफ यहां के लोगों में भीतर ही भीतर आक्रोश है। बता दें कि चुनावी मैदान में मुंगेर विधानसभा से एनडीए उम्मीदवार भाजपा के प्रणव यादव हैं, वहीं राजद से अविनाश कुमार हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार हुई थी।

इस घटना पर प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन के अंजनी बताते हैं कि मुंगेर जिले की एसपी लिपि सिंह के नेतृत्व में विसर्जन के समय निर्दोष युवा और बच्चों पर गोलियां चलाई गईं हैं। इसमें एक व्यक्ति की घटना स्थल पर ही मौत हो गई और पांच लोग पटना रेफर हैं। कुछ युवा घटना के बाद अभी तक घर नहीं लौटे हैं। एसपी लिपि सिंह जदयू पार्टी के वरिष्ठ नेता आरपी सिंह की पुत्री हैं। वह सत्ता के नशे में चूर हैं और उन्होंने निर्दोष युवाओं पर भी गोली चलवाने से परहेज नहीं किया।

घटना के बाद से ही लिपि सिंह मुंगेर जिले से कहीं चली गई हैं। इस घटना के बाद लोगों के बीच भय का माहौल है। पूरा इलाका पुलिस छावनी में तब्दील हो चुका है। प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन ने एसपी को बर्खास्त करने की मांग की है। संगठन ने लोगों से पुलिसिया जुल्म के खिलाफ प्रतिरोध करने को कहा है। ऑर्गनाइजेशन के मानस कहते हैं कि जब इस व्यवस्था में पुलिस प्रशासन ही आम आदमी की भक्षक बन जाए तो आप किससे उम्मीद कर सकते हैं। भाजपा-जदयू इस तरह बौखला गए हैं कि अब खुलेआम यूपी की तरह बिहार में भी भय का पैदा करना चाहते हैं। भाजपा पूरे देश में गोलियों के भय पर अपनी सत्ता चलाना चाहती है। संगठन ने मांग की हैं कि एसपी समेत दोषी पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए और उनकी गिरफ्तारी हो।

(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

विशद कुमार
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