दिल्ली हाईकोर्ट से केजरीवाल को कोई राहत नहीं, 3 अप्रैल को फिर सुनवाई

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को रिहा करने के लिए कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिन्हें दिल्ली आबकारी शुल्क नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया है। वे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में है। अरविंद केजरीवाल को ट्रायल कोर्ट ने “पूछताछ के लिए” 28 मार्च तक प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेजा है।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने यह भी कहा कि हिरासत में पूछताछ के दौरान क्या ED को कोई अतिरिक्त जानकारी या सबूत मिले हैं। केजरीवाल की रिहाई पर कोई आदेश देते वक्त यह भी देखना जरूरी होगा। एजेंसी द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका पर नोटिस जारी किया है और 2 अप्रैल तक जवाब मांगा है। कोर्ट ने अंतरिम राहत पर कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। इस मामले में अगली सुनवाई 3 अप्रैल को होगी।

यह मामला दिल्ली के उप-राज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा दायर 2022 की शिकायत में निहित है, जिसमें 2021-22 के लिए दिल्ली आबकारी शुल्क नीति के निर्धारण में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है। शिकायत में आरोप लगाया गया कि आम आदमी पार्टी के नेताओं, जिनमें पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और अन्य अज्ञात और अनाम निजी व्यक्ति/संस्थाएं शामिल हैं, ने आबकारी शुल्क नीति के निर्माण के चरण में एक आपराधिक साजिश रची थी।

यह आरोप लगाया गया था कि साजिश में नीति में जानबूझकर छोड़ी गई या बनाई गई खामियां शामिल थीं। ये खामियां कथित तौर पर निविदा प्रक्रिया के बाद कुछ शराब लाइसेंसधारियों और साजिशकर्ताओं को फायदा पहुंचाने के लिए थीं।

इस मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी भारत में पहली घटना है जहां एक मौजूदा मुख्यमंत्री को सलाखों के पीछे डाला गया। इसी मामले में डिप्टी सीएम सिसोदिया और आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह पहले से ही जेल में हैं। 15 मार्च को ईडी ने मामले में भारत राष्ट्र समिति के विधायक और तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता को भी गिरफ्तार किया था।

वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलील में कहा था कि आचार संहिता के दौरान एक मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया गया। यदि आप समान खेल के मैदान को बाधित करने के लिए कुछ करते हैं, तो आप लोकतंत्र के दिल पर चोट करते हैं। सवाल गिरफ़्तारी के समय का है। मेरी प्रार्थना है कि मुझे अभी रिहा कर दें क्योंकि मेरी गिरफ़्तारी की बुनियाद ही गलत है, यही मेरी अंतरिम प्रार्थना है।

सिंघवी ने कहा कि अब समाप्त हो चुकी उत्पाद शुल्क नीति से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनकी गिरफ्तारी और रिमांड संविधान की मूल संरचना पर ‘प्रभाव’ डालता है। यदि आप समान अवसर को असमान्य बनाने के लिए कुछ भी करते हैं तो आप संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन कर रहे हैं।यह गिरफ्तारी समान अवसर पर प्रभाव डाल रही है।

सिंघवी ने आगे कहा,”आपको मुझे गिरफ्तारी की आवश्यकता बतानी होगी। यह एक ऐसा मामला है जहां लोकतंत्र स्वयं शामिल है, बुनियादी संरचना, समान अवसर शामिल है। जब गिरफ्तारी अवैध हो तो एक दिन बहुत लंबा होता है। अधिक समय मांगकर ईडी अपना नापाक मकसद हासिल कर रही है ।

ईडी ने अंतरिम राहत के लिए भी केजरीवाल की याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है।ईडी की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा, “अगर वे जल्द सुनवाई चाहते थे तो हमें याचिका की कॉपी देना उनका कर्तव्य था। यदि वे वास्तविक निष्पक्ष सुनवाई चाहते थे तो वे हमें शनिवार को ही याचिका की एक प्रति भेज सकते थे, और हमें तैयारी करने का अवसर दे सकते थे। यदि अंतरिम राहत दी जाती है तो यह मुख्य याचिका में राहत देने के समान होगी, इसलिए मुझे तैयारी के लिए अधिक समय की आवश्यकता होगी।

दिल्ली हाईकोर्ट की जज स्वर्ण कांता शर्मा कहा कि वह मुख्य याचिका पर ईडी को नोटिस जारी करेंगी। कोर्ट ने कहा कि अगर केजरीवाल अंतरिम राहत मांग रहे हैं, तो उस पर विचार किया जा सकता है। ईडी की ओर से एसवी राजू ने इसका विरोध किया और कहा कि हम इस पर अपना जवाब देना चाहते हैं, इसके लिए हमें थोड़ा वक्त चाहिए। फैसले में कोर्ट ने ईडी से दो अप्रैल तक जवाब तलब किया है।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार एवं कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

जेपी सिंह
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