केवल कॉर्पोरेट मामले प्राथमिकता सूची में न हों, हमें कमजोर वर्ग को भी प्राथमिकता देनी होगी: चीफ जस्टिस

चीफ़ जस्टिस एनवी रमना ने सोमवार को कहा कि उल्लेख प्रणाली(मेंशनिंग) को सुव्यवस्थित किया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अकेले कॉर्पोरेट मामले प्राथमिकता सूची में न हों। चीफ़ जस्टिस ने कहा कि हम मेंशनिंग को सुव्यवस्थित कर रहे हैं। ये सभी कॉर्पोरेट लोग अपने मामलों का उल्लेख करना शुरू कर देते हैं और अन्य मामले बैकस्टेज में चले जाते हैं। आपराधिक अपील और अन्य मामले भी लंबित हैं। हमें अन्य लोगों यानी कमजोर वर्ग भी को प्राथमिकता देनी होगी।

चीफ़ जस्टिस ने इससे पहले कहा था कि वरिष्ठ और कनिष्ठ वकीलों के बीच समानता लाने के लिए मेंशनिंग रजिस्ट्रार के समक्ष उल्लेख करने की प्रणाली शुरू की गई है। चीफ़ जस्टिस रमना ने कहा था कि सीनियर्स को कोई विशेष प्राथमिकता नहीं देनी चाहिए और जूनियर्स को उनके अवसरों से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। इसलिए यह सिस्टम बनाया गया है, जहां सभी उल्लेख करने वाले रजिस्ट्रार के समक्ष उल्लेख कर सकते हैं।चीफ़ जस्टिस ने कहा था कि यदि मेंशनिंग रजिस्ट्रार के समक्ष उल्लेख किए जाने के बाद भी मामले सूचीबद्ध नहीं होते हैं तो वकील पीठ के समक्ष उल्लेख कर सकते हैं।

रोहिणी कोर्ट शूटआउट पर चीफ़ जस्टिस ने जताई चिंता

चीफ़ जस्टिस एनवी रमना ने रोहिणी कोर्ट परिसर में वकीलों के ड्रेस में दो अपराधियों द्वारा खुलेआम फायरिंग किए जाने और गैंगस्टर जिंद्रा जोगी को मार गिराये जाने की घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की है। सीजेआई मौका-ए-वारदात पर जाना चाहत थे, लेकिन उन्हें वहां न जाने की सलाह दी गई।चीफ जस्टिस रमना ने दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल से बात करके घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है, तथा केंद्र सरकार के सहयोग से राजधानी की सभी अदालतों में सुरक्षा के बंदोबस्त चाक-चौबंद करने की सलाह दी है।

चीफ जस्टिस को बताया गया था कि अपराधियों की फायरिंग और उसके जवाब में दिल्ली पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में दो अपराधियों को ढेर कर दिया गया। एक गोली न्यायिक अधिकारी के आसन के डायस में लगी, लेकिन सौभाग्यवश कोई घायल नहीं हुआ।चीफ जस्टिस ने कहा है कि न्याय देने की बेहतर प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक अधिकारियों, जजों और वकीलों के साथ-साथ वादियों-प्रतिवादियों में भी कोर्ट परिसरों में सुरक्षा का भाव आना चाहिए।

उच्चतम न्यायालय ने धनबाद में गत जुलाई में एक जज की टेम्पो से कुचलकर कथित हत्या की पृष्ठभूमि में जजों और अदालत परिसरों में पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध न कराये जाने पर स्वत: संज्ञान लिया था। इसने कोर्ट परिसरों के भीतर और जजों को उनके घरों पर पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने को लेकर राज्य सरकारों से जवाब तलब किया था। अब इस मामले में स्वत: संज्ञान मामले को अगले माह सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।

जनहित याचिकाकर्ता दुनिया की हर चीज नहीं मांग सकते

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि जनहित याचिका दायर करने वालों को पूरी तैयारी करके आना चाहिए और यह ध्यान रखना चाहिए कि वे दुनिया की हर चीज नहीं मांग सकते। शीर्ष अदालत ने कहा कि नीति के मामले में कमी को इंगित करना जनहित याचिकाकर्ता का दायित्व है और इसके समर्थन में कुछ आंकड़े और उदाहरण भी होने चाहिए।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने उस जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार कर दिया, जिसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति- 2017 को लागू करने, कोरोना से मृत लोगों के आश्रितों के लिए आजीविका की व्यवस्था करने और अन्य निर्देश देने की मांग की गई थी।

इससे पहले पीठ ने कहा कि इस तरह की याचिकाओं के साथ समस्या यह है कि आप कई मांगें करते हैं, अगर आप सिर्फ एक मांग करें तो हम इससे निपट सकते हैं, लेकिन आप दुनिया की हर चीज की मांग करने का दावा करते हैं। याचिकाकर्ता हर चीज अदालत या सरकार पर नहीं छोड़ सकता और नीति के अमल में कमी को दर्शाने वाले उदाहरण या आंकड़े तो दिखाने होंगे।

याचिकाकर्ता सी. अंजी रेड्डी की ओर से पेश अधिवक्ता श्रवण कुमार ने कहा कि उन्होंने आंध्र प्रदेश के रमेश का उदाहरण दिया है, जिन्होंने कोरोना महामारी के दौरान निर्धन और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए मुफ्त और सस्ती स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में अस्पताल में भर्ती होने पर लाखों रुपये खर्च किए। पीठ ने कहा किआंध्र प्रदेश के एक रमेश कुमार के आधार पर हम पूरे देश के लिए निर्देश जारी नहीं कर सकते।

छत्तीसगढ़ के निलंबित एडीजी गुरजिंदर पाल सिंह मामले में लताड़

छत्तीसगढ़ के निलंबित एडीजी गुरजिंदर पाल सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फिर बड़ी टिप्पणी की है। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि आप हर मामले में सुरक्षा नहीं ले सकते।आपने पैसा वसूलना शुरू कर दिया क्योंकि आप सरकार के करीब हैं।यही होता है अगर आप सरकार के करीब हैं और इन चीजों को करते हैं तो आपको एक दिन वापस भुगतान करना होगा।जब आप सरकार के साथ अच्छे हैं, आप वसूली कर सकते हैं, लेकिन अब आपको ब्याज के साथ भुगतान करना होगा।कोर्ट ने कहा कि यह बहुत ज्यादा हो रहा है।हम ऐसे अधिकारियों को सुरक्षा क्यों दें? यह देश में एक नया ट्रेंड है।

इस टिप्पणी के बाद उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ में दर्ज तीसरी एफआईआर पर भी गुरजिंदर पाल सिंह को गिरफ्तारी पर अंतरिम संरक्षण दे दिया। साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस जारी कर 1 अक्तूबर को सारे मामले की सुनवाई तय की।गुरजिंदर पाल सिंह 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह निदेशक राज्य पुलिस अकादमी के पद पर पदस्थ थे। एसीबी और ईओडब्ल्यू की संयुक्त टीम ने एडीजी सिंह के निवास पर छापा मारा था। यह कार्रवाई करीब 64 घंटे तक चली थी।इस दौरान 10 करोड़ से अधिक की चल-अचल संपत्ति का खुलासा हुआ है। इस छापे की जद में एडीजी सिंह के करीबी लोग भी आए हैं।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

जेपी सिंह
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