पाकिस्तान में जलाये गये मन्दिर का पुनर्निर्माण, चीफ़ जस्टिस ने वहीं मनाई दिवाली

भारत में आसानी से किसी को विश्वास नहीं होगा कि पाकिस्तान का सुप्रीमकोर्ट संविधान के अनुरूप देश को चलाने की अवधारणा पर कायम है और पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गुलज़ार अहमद का कहना है कि हर इंसान को अपने धर्म की रक्षा करने का हक़ है। पाकिस्तान के संविधान में जो लिखा है, वही सबसे ऊपर है और उसी से देश चल रहा है और हमेशा चलता रहेगा। पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद ने सोमवार को पुनर्निर्मित टेरी मंदिर का लोकार्पण करके देश के कट्टरपंथी मुसलमानों को बड़ा और कड़ा संदेश दिया। भारत में वास्तविक लोकतंत्र के दावों के बीच बाबरी विध्वंस मामले में उच्चतम न्यायालय ने विध्वंस को जघन्य कार्य घोषित किया था पर फैसला राष्ट्रवादी मोड में देते हुए विवादित स्थल को रामजन्म भूमि मन्दिर बनाने के लिए हिन्दू पक्ष को सौंप दिया था, जबकि मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए विवादित स्थल से दूर 05 एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया था।

लेकिन सैनिक वर्चस्व वाले पाकिस्तान में  हिंदू संत श्री परम हंस जी महाराज के मंदिर का निर्माण वैसे तो क़रीब 100 साल पहले हुआ, लेकिन दिसंबर 2020 में स्थानीय लोगों की नाराज़ भीड़ ने मंदिर तोड़कर उसमें आग लगा दी थी। जस्टिस अहमद ने इसके बाद इस मंदिर के पुनर्निर्माण का आदेश दिया था। क्या भारत में ऐसा होना सम्भव है तो जवाब यही होगा कि कदाचित नहीं।

उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान में स्थित एक सदी पुराने इस मंदिर को पिछले साल कट्टरपंथियों ने आग के हवाले कर दिया था, तब मुख्य न्यायाधीश अहमद ने ही प्राधिकारों को मंदिर के पुनर्निर्माण का आदेश दिया था। खैबर पख्तूनख्वा के करक जिले में स्थित श्री परमहंस जी महाराज मंदिर में पिछले साल दिसंबर में कट्टरपंथियों ने तोड़फोड़ के बाद आग लगा दी थी। भीड़ का नेतृत्व कुछ स्थानीय मौलवी कर रहे थे, जो जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल से जुड़े थे। तब चीफ जस्टिस अहमद ने प्राधिकारों को मंदिर का पुनर्निर्माण कराने और उसका पैसा हमलावरों से वसूलने का आदेश दिया था।

पाकिस्तान हिंदू परिषद के आमंत्रण पर मंदिर पहुँचे जस्टिस गुलज़ार अहमद ने कहा कि उन्होंने मंदिर और हिंदुओं के लिए जो कुछ भी किया, वो एक जज के रूप में उनकी जिम्मेदारी थी। ये मंदिर पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह प्रांत के करक ज़िले के टेरी गांव में प्रसिद्ध हिंदू संत श्री परम हंस जी महाराज की ऐतिहासिक समाधि पर स्थित है। पिछले साल दिसंबर में जब भीड़ ने इस मंदिर में तोड़फोड़ करते हुए आग लगा दी, तो मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अहमद ने इस घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए बहुत कड़ा रुख़ अख़्तियार किया था और मरम्मत का आदेश दिया था।

अब मंदिर की मरम्मत का काम क़रीब-क़रीब पूरा हो चुका है। सोमवार की शाम पूरे पाकिस्तान से सैकड़ों लोग दिवाली मनाने के लिए टेरी मंदिर में जमा हुए। नवनिर्मित मंदिर को रोशनी और फूलों से सजाया गया। इस मौके पर सिंध से पाकिस्तान की पहली हिंदू महिला एडवोकेट जनरल कल्पना देवी ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि अल्पसंख्यक जहाँ भी रहते हैं, वहां कुछ समस्याएं होती हैं। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक बेहतर दशा में हैं और कोई भी समस्या होने पर उच्च स्तर पर उनकी आवाज़ सुनी जाती है।

टेरी में स्थित हिंदू संत श्री परम हंस जी महाराज की ऐतिहासिक समाधि को तहस-नहस करने की घटना दिसंबर 2020 में हुई थी। इस घटना के सामने आने के बाद चीफ़ जस्टिस की अगुवाई में तीन जजों की पीठ ने जनवरी में मामले की सुनवाई की। सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दो हफ़्ते के भीतर इस मंदिर को फिर से बनाने का काम शुरू करने का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह प्रांत के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी कोर्ट में मौजूद थे। सुप्रीम कोर्ट में पुलिस आईजी सनाउल्लाह अब्बासी ने बताया था कि इस मामले में 92 पुलिस वालों को निलंबित किया गया। इसमें एसपी और डीएसपी भी शामिल थे। इस घटना को अंजाम देने वाले 109 लोग गिरफ़्तार किए गए। पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि एक मौलवी शरीफ़ ने हिंसा के लिए भीड़ को भड़काया था।

चीफ़ जस्टिस गुलज़ार अहमद ने कहा था कि सरकार के आदेश का किसी भी स्थिति में पालन होना चाहिए। उनके अनुसार, उस घटना ने पाकिस्तान की छवि दुनिया भर में ख़राब की। उन्होंने कहा कि इस मामले में शामिल लोगों को गिरफ़्तार करना काफी नहीं है।

ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह प्रांत के मुख्य सचिव डॉ. काज़ीम नियाज़ ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया था कि प्रांतीय सरकार मंदिर को फिर से बनाने का ख़र्च उठाएगी। इस पर चीफ़ जस्टिस ने सरकार से समाधि में आग लगाने वालों से पैसे वसूलने को कहा था। जस्टिस अहमद ने कहा था कि वो ऐसा दोबारा करेंगे, यदि उनकी जेब से पैसे नहीं निकले। इस मामले के 123 अभियुक्तों से क़रीब 3.3 करोड़ पाकिस्तानी रुपये की वसूली करने का आदेश मिला था। हालांकि अब इसका ज्यादातर हिस्सा अभियुक्तों से वसूल कर लिया गया है।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

जेपी सिंह
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