ईराक पर अमरीकी हमले पर फिदेल कास्त्रो ने कहा था- इस युद्ध के एकमात्र विजेता हथियारों के निर्माता होंगे

(गतांक से आगे…)

विश्व अर्थव्यवस्था पहले से ही मौजूद जबरदस्त संकट से नहीं उबर पाई है। इस युद्ध के उसके लिए गंभीर परिणाम होंगे। इसके बाद दुनिया के किसी देश के लिए सुरक्षा और शांति नहीं रहेगी। विश्व जनमत भी विरोध कर रहा है। यह उनकी और दुनिया के अन्य देशों की सुरक्षा के लिए जरूरी है। दुनिया को अपनी ताकत से धमकाने, अपने नए हथियारों के परीक्षण या अपनी सेनाओं को प्रशिक्षण देने के लिए अमरीका को युद्ध की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह हलचल सब जगह देखी जा सकती है, लेकिन मलेशिया में गुट निरपेक्ष आंदोलन की शिखर बैठक में यह बिलकुल स्पष्ट थी।

यह बहुत महत्वपूर्ण बैठक थी, जिसमें देश तथा शासन प्रमुखों ने तहजीबपूर्ण भाषा में अपने विचार रखे, निष्कपट घोषणाएं कीं और उत्तरदायित्व की भावना प्रदर्शित की। डॉ. महातिर ने बड़े व्यवस्थित, गंभीर और सक्षम तरीके से विचार-विमर्श का संचालन किया। अमरीका और उसकी वित्तीय संस्थाओं पर तीसरी दुनिया के देशों की पूरी तरह से निरर्भता के कारण कुछ समझदारी भी दिखाई गई, क्योंकि उनको छेड़ने का मतलब है सरकार का खात्मा या अर्थव्यवस्था को अस्थिर बनाना।

सम्मेलन के दौरान दिए गए भाषणों में कुछ बातों पर लगभग एकमत था।
एक: ईराक के खिलाफ युद्ध नहीं छेड़ा जाना चाहिए, संयुक्त राष्ट्र की अनुमति के बगैर तो बिलकुल नहीं।
दो: ईराक सुरक्षा परिषद द्वारा स्वीकार किए गए विनियमों का पालन करे।
तीन: किसी को आशा नहीं थी कि युद्ध टाला जा सकता है।
चार: उम्मीद के अनुसार अल्पविकास, गरीबी, भूख, अज्ञान, बीमारी, अदा न किया जा सकने वाला विदेशी ऋण, अस्थिरता पैदा करने वाले अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं के प्रयास तथा तीसरी दुनिया पर आघात करने वाली अन्य असंख्य विपदाओं का विश्लेषण किया गया और उनकी निंदा की गई।

हमारे शिष्टमंडल ने शिखर सम्मेलन के सभी सत्रों में हिस्सा लिया तथा दूसरे शिष्टमंडलों से भी मिला। हमसे सूचना देने, अनुभव बांटने और कुछ खास क्षेत्रों में सहयोग करने के लिए कहा गया।हमने देखा कि किस तरह से बिल्कुल अलग-अलग संस्कृतियों, धार्मिक विश्वासों और राजनीतिक विचारों वाले व्यक्तियों ने हमारे प्रति आत्मीयता और विश्वास दिखाया। हमारे सामने यह बात स्पष्ट हो गई कि अपने भाईचारे, सिद्धांतों के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता के कारण हमारे लोगों की प्रशंसा की जाती है।

हमने उनमें से बहुतों को वेनेजुएला में फासीवादी तख्तापलट के बारे में बताया तथा इस बारे में दस्तावेजी सूचना देने का प्रस्ताव किया। इस घटना के कारण प्रति दिन तीस लाख बैरल तेल का उत्पादन रुक गया, जिससे दुनिया को बहुत नुकसान पहुंचा। बोलिवरियन अवाम की जबरदस्त जीत के कारण तेल उत्पादन शुरू हो गया है। हमने धनी और गरीब राष्ट्रों को स्पष्ट किया कि मध्य पूर्व जैसे नाजुक क्षेत्र में युद्ध कितना जोखिमपूर्ण होगा। हमने दूसरों को अपने इस विश्वास के बारे में बताया कि यदि ईराक सुरक्षा परिषद ही नहीं बल्कि अमरीका जहां बहुतों को संदेह है और उसके परम मित्रों ग्रेट ब्रिटेन, स्पेन और इटली जहां बहुत लोग विरोध कर रहे हैं, सहित पूरी दुनिया की विधायिकाओं को, संसदों को, गुट निरपेक्ष देशों के नेताओं, सामाजिक संगठनों के नेताओं को यह दिखा सके कि वह संयुक्त राष्ट्र के संकल्प सहित सभी अपेक्षाओं को पूरा कर रहा है तो युद्ध टाला जा सकता है।

ईराक की शांति और अखंडता के लिए लड़ाई सैनिक नहीं बल्कि राजनीतिक है। यदि सत्य की स्थापना और झूठ का पर्दाफाश हो जाए तो इस क्षेत्र में शांति बनी रह सकती है। इसमें अमरीकी अवाम का भी लाभ होगा। इस युद्ध के एकमात्र विजेता हथियारों के निर्माता होंगे या वे लोग जो यह असंभव सपना संजोए हुए हैं कि 6.3 अरब मानवों, जिनमें से बहुसंख्यक भूखे और गरीब हैं, पर ताकत के जोर से शासन चलाया जा सकता है। अपनी अल समद मिसाइलों को नष्ट करने के ईराकी सरकार के फैसले का हम समर्थन करते हैं। हम ईराक से आग्रह करते हैं कि यदि उसके पास कोई रासायनिक या जैव हथियार बचा है तो वह उसे नष्ट कर दे।

अमरीकी सरकार के पास ईराक पर हमले का कोई कानूनी या नैतिक बहाना नहीं है, विशेषकर ऐसी स्थिति में जब दुनिया फिलिस्तीनी अवाम का नरसंहार देख रही है और इज्रायल के पास अमरीका द्वारा प्रदान किए गए सैकड़ों परमाणु हथियार और उन्हें चलाने के साधन उपलब्ध हैं। दुनिया के सामने अकाट्य रूप में प्रदर्शित किया गया संपूर्ण सत्य ही ईराकी अवाम को नैतिक ताकत और पूर्ण अंतरराष्ट्रीय समर्थन देगा, जिससे कि वे अपने खून के आखिरी कतरे तक अपने देश और उसकी अखंडता की रक्षा कर सकें।

अपने समय की स्पष्ट समझ के अभाव में इस घटना, जिसने हमें यहां इकट्ठा किया है, का केवल सापेक्ष महत्व होगा। क्यूबा दुनिया के कुछ खास देशों में से है, जिसकी विशेष स्थितियां हैं। शेष दुनिया की तरह हमारे लिए भी भूमंडलीय जोखिम हैं, लेकिन कोई भी देश दुनिया के अधिकांश हिस्सों में मौजूद समस्याओं से जूझने तथा इस धरती पर मानवीय और न्यायपूर्ण समाज स्थापित करने के लिए योजना बनाने तथा सपने संजोने के मामले में हमसे बेहतर तैयार नहीं है। आंतरिक और बाह्य खतरों का मुकाबला करने में इससे अधिक एकताबद्ध, अधिक अटल या अधिक सक्षम और कोई देश नहीं है।

जब मैं आंतरिक खतरों की बात करता हूं तो इसका मतलब राजनीतिक खतरे नहीं हैं। पिछले 44 वर्ष के वीरतापूर्ण संघर्ष से हमने इतनी ताकत और जागरूकता पैदा कर दी है कि साम्राज्यवाद की सेवा में तत्पर विश्वव्यापी विनाश और अस्थिरीकरण के कपटी आचार्य हमारी आंतरिक व्यवस्था और हमारी क्रांति के समाजवादी रास्ते में तोड़-फोड़ नहीं कर सकते। जब एक अत्यंत शक्तिशाली विदेशी सत्ता ने हमसे यह रास्ता छोड़ देने को कहा तो हमारी जनता ने उत्तर में देश के संविधान में क्यूबा की समाजवादी प्रकृति पर कायम रहने की धारा जोड़ दी। अब अपनी क्षुद्र और हास्यास्पद उम्मीद को पूरा करने के लिए वे चालबाजी और झूठ पर उतर आए हैं।

आंतरिक खतरों से मेरा आशय सामाजिक या नैतिक खतरों से है जो हमारे लोगों को प्रभावित कर सकते हैं और उनकी सुरक्षा, शिक्षा या स्वास्थ्य को जोखिम में डाल सकते हैं। सब जानते हैं कि धूम्रपान की आदत के खिलाफ हमने कितनी जद्दोजहद की है और इस आदत को बहुत हद तक कम कर दिया है। इसी प्रकार हम शराब पीने की बुराई या गर्भ के दौरान शराब पीने जैसी दुर्भाग्यपूर्ण आदत के खिलाफ लड़ रहे हैं, क्योंकि इसकी वजह से मंद बुद्धि या गंभीर रूप से अपंग बच्चे पैदा हो सकते हैं।

नशीली दवाओं के सेवन की बुराई भी सिर उठा रही है। इन दवाओं के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए हमारे तटों पर इनकी सफाई की जाती है। इसमें से कुछ पदार्थ हमारे देश में पहुंच जाता है। धरती पर अधिकांश समाजों में लगी इस बीमारी को अपने यहां आने से रोकने तथा उसका उन्मूलन करने के लिए आवश्यक उपाय करने में हमने एक मिनट की हिचकिचाहट भी नहीं दिखाई। हमें पूरी तरह से मालूम था कि इस मुद्दे के थोड़े से भी उल्लेख से यह प्रचार हो जाएगा कि इस मामले में हमारी स्थिति बहुत खराब है, जबकि हमारे समाज की शुद्धता को देखते हुए हमारी स्थिति सर्वोत्तम है। फिर भी हम इस मुद्दे को यहां उठाने से नहीं हिचकिचा रहे हैं, क्योंकि हमारी सभी लड़ाइयां लोगों की हिम्मत पर लड़ी और जीती गई हैं।

और भी बहुत सी लड़ाइयां लड़ी जानी हैं। इनमें से कुछ काफी लंबा समय लेंगी, क्योंकि ये पुरानी आदतों और रिवाजों से ताल्लुक रखती हैं या वो कुछ ऐसे भौतिक तत्वों पर निर्भर हैं, जिन पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है, लेकिन हमारे पास भी अचूक हथियार हैं। इनमें सबसे बड़ा हथियार शिक्षा है, हालांकि इस क्षेत्र में हमने किसी भी राष्ट्र से अधिक बड़े प्रयास किए हैं, लेकिन इसकी अपार संभावनाओं को समझने में हम अभी भी बहुत पीछे हैं। हम स्वयं द्वारा निर्मित मानव पूंजी का पूरा उपयोग नहीं कर पाए हैं। हर चीज का कायाकल्प होगा और शीघ्र ही हम संसार के सर्वाधिक शिक्षित और सुसंस्कृत लोग होंगे। क्यूबा के बाहर और भीतर किसी को भी इस बात में संदेह नहीं है।

स्वास्थ्य सुविधा के क्षेत्र में भी उसी तेजी के साथ प्रगति की जा रही है। इस मामले में भी दुनिया में हमारा अग्रणी स्थान है। यहां गत वर्षों में संचित मानव पूंजी और अनुभव निर्णायक तत्व होंगे। संस्कृति, कला और विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति की जाएगी।

खेलों में हम सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचेंगे। हमारे सामने बड़े कार्यों के ये कुछ उदाहरण हैं। किसी की भी उपेक्षा नहीं की जाएगी, लेकिन हमेशा यही सही रहता है कि काम खुद अपनी दास्तान बतलाए। पतनशील साम्राज्यवादी-पूंजीवादी व्यवस्था अपनी नव उदार भूमंडलीकरण की अवस्था में पहुंच गई है। मानवता के सामने मौजूद विकराल समस्याओं का उसके पास कोई समाधान नहीं है। मुश्किल से एक शताब्दी में इन समस्याओं में चार गुनी वृद्धि हो गई है। इस व्यवस्था का कोई भविष्य नहीं है। यह प्रकृति को नष्ट कर रही है और भूखों की संख्या बढ़ा रही है। बहुत से क्षेत्रों में हमारा शानदार और मानवीय अनुभव दुनिया के बहुत से देशों के लिए उपयोगी होगा।

विभिन्न कारणों से जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण क्षति, आर्थिक संकट, महामारी और तूफान आदि को देखते हुए हमारे भौतिक, वैज्ञानिक और तकनीकी संसाधन अधिक प्रचुर हैं। लोगों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। इससे बड़ी प्राथमिकता नहीं हो सकती है। विदेश से राजनीतिक खतरों और हमलों के बावजूद अपने देश और समाजवाद की रक्षा करने का हमारा दृढ़ निश्चय तनिक भी कमजोर नहीं पड़ेगा। इसके विपरीत हम जन युद्ध की अपनी अवधारणाओं के गंभीर अध्ययन और उन्हें उत्तरोत्तर आदर्श बनाने में लगे हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि कोई भी तकनीक, कितनी भी परिष्कृत हो इनसान को हरा नहीं सकती। साथ ही हमारा निश्चय और हमारी चेतना लगातार बलशाली होगी।

विचारों की हमारी लड़ाई में एक मिनट का भी आराम नहीं किया जाएगा जो कि हमारा सबसे शक्तिशाली राजनीतिक हथियार है। पिछली 24 फरवरी को जब हम मार्ती के आह्वान पर चलाए गए पिछले स्वतंत्रता संघर्ष की यादगार में आयोजन कर रहे थे तो जेम्स केसन नामक एक व्यक्ति, जो यूनाइटेड स्टेट्स इंटेरेस्ट्स सेक्शन इन क्यूबा का प्रमुख है, अमरीकी सरकार द्वारा पोषित प्रतिक्रांतिकारियों के एक समूह से मिला। वे क्राई ऑफ बेयर की यादगार मनाने के लिए मिले थे। इस तारीख का देशभक्तिपूर्ण महत्व है और हमारे लोगों के लिए यह बहुत पवित्र दिन है। दूसरे कूटनीतिज्ञों को भी निमंत्रण भेजा गया, लेकिन केवल यही महाशय पधारे।

लेकिन उसने चुपचाप इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया। जब उससे एक पत्रकार ने पूछा कि क्या उसकी वहां मौजूदगी से क्यूबा सरकार के आरोप सही सिद्ध नहीं हो जाते हैं तो केसन ने उत्तर दिया, “नहीं, क्योंकि उन्होंने सभी कूटनीतिज्ञों को निमंत्रण भेजा है और हमारा देश लोकतंत्र और बेहतर जीवन के लिए लोगों के संघर्ष का समर्थन करता है। मैं अतिथि के रूप में यहां आया हूं।” एक और पत्रकार ने पूछा कि क्या विरोधियों के बीच उसकी उपस्थिति को क्यूबा सरकार द्वारा अमित्रता का कार्य नहीं माना जाएगा क्योंकि वह विरोधियों को तोड़-फोड़ करने वाला समूह बताती है तो उसने कहा, “मुझे परवाह नहीं है।”

बहुत अच्छी स्पेनिश में उसने यह भी कहा, “दु:ख की बात है कि क्यूबा सरकार डरी हुई है। उसे अंतरात्मा की स्वतंत्रता से डर है, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से डर है, मानवाधिकारों से डर है। इस समूह ने दिखा दिया है कि वे निडर क्यूबावासी हैं। वे जानते हैं कि लोकतंत्र आ रहा है। हम उन्हें यह बताना चाहते हैं कि वे अकेले नहीं हैं। पूरी दुनिया उनके साथ है। हमारा देश लोकतंत्र तथा बेहतर जीवन और न्याय के लिए लड़ने वाले लोगों का समर्थन करता है।”

यह समाचार में लिखा था, “विदेशी कूटनीतिज्ञ अकसर विरोधियों से मिलते हैं लेकिन वे सामान्यत: जन समारोहों में नहीं आते और सरकार के बारे में अपनी राय प्रेस को नहीं बताते। मैं यहां एक अतिथि के रूप में आया हूं। मैं पूरे देश में घूमते हुए स्वतंत्रता और न्याय की चाह रखने वाले लोगों से मिलूंगा।” कोई भी देख सकता है कि यह एकदम निर्लज्ज और ढीठतापूर्ण उकसावा है। जाहिर है कि डर कूटनीतिक कवच पहने इस बदमाश और उससे ये सब बातें कहने देने वाले लोगों को है। उसकी हरकतों से ही पता चल जाता है कि इस ‘देश भक्तिपूर्ण’ समारोह में कितनी शराब चली।

वास्तव में क्यूबा केवल इतना डरा हुआ है कि वह इस अजीब अधिकारी के बारे में शांति के साथ निर्णय लेगा। इंटेरेस्ट्स सेक्शन में काम करने वाले अमरीकी खुफिया एजेंट उसे यह बता सकते हैं कि क्यूबा का इस कार्यालय के बगैर भी काम चल जाएगा जो प्रतिक्रांतिकारी पैदा करने का ठिकाना और हमारे देश के खिलाफ तोड़-फोड़ के लिए कमांड चौकी बन गया है। स्विट्जरलैंड के अधिकारी, जो अमरीकी हितों को देखते थे, ने कई वर्षों तक उत्कृष्ट कार्य किया। उन्होंने खुफिया या तोड़-फोड़ का काम नहीं किया। यदि वे इस तरह ढीठ घोषणाओं द्वारा हमको उकसाना चाहते हैं तो ईमानदारी और साहस दिखाते हुए इसे स्वीकार करें। किसी न किसी दिन अमरीकी अवाम अपने देश का सच्चा राजदूत हमारे यहां भेजेंगे जो स्पेनी शूरवीरों के बारे में उनके विचारों के अनुसार ‘निडर और निष्कलंक’ होगा।

Cuba Fidel Castro

अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में हम हाल के वर्षों में अर्जित नए अनुभव का प्रयोग करेंगे। तेल उत्पादन और बचत में वृद्धि होगी। अब हम अपने उद्यमों की सक्षमता बढ़ाने और उनमें अनुशासन लाने की बेहतर स्थिति में हैं। ये उद्यम दुर्लभ मुद्रा के मामले में वित्तीय दृष्टि से आत्मनिर्भरता पर अधिक जोर देने के कारण ऐसी गलतियां कर देते हैं, जिससे देश के केंद्रीय संसाधनों पर असर पड़ता है।हमने बहुत सीखा है और बहुत कुछ सीखेंगे। राजस्व के नए स्रोत पैदा हो रहे हैं। संसाधनों का मुस्तैदी से प्रबंधन किया जाना चाहिए। पुरानी और नई बुरी आदतें छोड़ी जानी चाहिए। ईमानदारी और सक्षमता के लिए लगातार सतर्कता जरूरी है।

पिछले सदन ने इतिहास का एक महत्वपूर्ण चरण पूरा किया। इस सदन को भी पीछे नहीं रहना चाहिए। हमारे इतिहास में पिछले चुनाव सर्वोत्तम थे। यह मैं हर दृष्टि से सुधरे आंकड़ों या गुणवत्ता को देखकर नहीं कह रहा हूं। गुणवत्ता पहले ही बहुत अच्छी थी। यह मैं मतदाताओं के असाधारण उत्साह को देखते हुए कह रहा हूं। यह उत्साह मैंने अपनी अनुभवी आंखों से देखा है जो कि विचारों की लड़ाई और हमारी राजनीतिक संस्कृति के तेजी से विकास के कारण आया है।

कामरेड डिप्टियों, मैं आपका तथा अपने प्रिय अवाम का काउंसिल ऑफ स्टेट की ओर से तथा अपनी ओर से शुक्रगुजार हूं कि आपने 50 वर्ष लंबे क्रांतिकारी संघर्ष, जो पहली लड़ाई के दिन से ही शुरू नहीं हुआ था, के बाद एक बार फिर हममें अपना विश्वास व्यक्त किया है। हम सब जानते हैं कि समय गुजर रहा है और ऊर्जा भी खत्म हो रही है। संभवत: अनंत संघर्ष ने हमें इस लंबी लड़ाई के लिए तैयार किया। मेरे विचार से यह सब बड़े-बड़े सपनों, अक्षय जोश, अपने शानदार ध्येय के प्रति निरंतर बढ़ते प्रेम के कारण संभव हुआ है। यह सब दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है लेकिन जीवन के लिए अटल नियम हैं।

मैं आपसे वादा करता हूं कि आप जब तक चाहेंगे और जब तक मुझे यह लगेगा कि मैं आपके लिए उपयोगी हूं तब तक आपके साथ रहूंगा, बशर्ते कि कुदरत और कुछ फैसला न कर दे। इससे एक सेकेंड भी पहले या एक सेकेंड भी बाद नहीं। अब मैं समझता हूं कि जीवन की संध्या में विश्राम मेरे नसीब में नहीं है।

फिदेल कास्त्रो

विजय शंकर सिंह
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विजय शंकर सिंह