विपक्षी दलों समेत तमाम संगठनों ने अराजकता के लिए केंद्र को ठहराया जिम्मेदार

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रेस कांफ्रेंस करके कल ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा को केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय की साजिश बताया है। उन्होंने कहा है कि “दिल्ली में उपद्रव को रोकने में असफल रहे गृह मंत्री अमित शाह के इशारे पर दिल्ली पुलिस उन उपद्रवियों पर मुकदमा दर्ज़ करने की बजाय संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं पर मुकदमा दर्ज़ कर भाजपा सरकार की साजिश को साबित करती है। किसान आंदोलन की आड़ में हुई हिंसा के लिए सीधे-सीधे गृहमंत्री अमित शाह ज़िम्मेदार हैं। उन्हें एक पल भी अपने पद पर बने रहने का अधिकार नहीं, उन्हें बर्खास्त किया जाना चाहिए। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ये मांग है।”

वहीं कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कल की हिंसा में प्रशासन की मिलीभगत की ओर इशारा करते हुए कहा है कि “किसानों ने 15 लोगों को पकड़कर दिल्ली पुलिस को दिया है। उनके पास सरकारी मुलाजिम होने का पहचान पत्र मिला है। यह आंदोलन को गलत रास्ते पर दिखाने का षड्यंत्र था। लाल किले पर खालसा पंथ का झंडा नहीं था, पहले तिरंगा झंडा था उसके नीचे किसान यूनियन और खालसा का झंडा था।”

कल गणतंत्र दिवस पर किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा को राष्ट्रीय लोक दल (INLD) के नेता अभय चौटाला ने केंद्र सरकार की साज़िश बताते हुए विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। किसान आंदोलन के समर्थन में अभय चौटाला ने चंडीगढ़ में विधानसभा स्पीकर को अपना इस्तीफ़ा सौंपा। इस्तीफा देने के बाद उन्होंने मीडिया से कहा कि ” जो किसान नेता आंदोलन की अगुवाई कर रहे थे उनके खिलाफ केंद्र सरकार ने मुकदमे दर्ज़ किए। कल दिल्ली में जो हुआ वह केंद्र सरकार की साजिश थी।”

वहीं महाराष्ट्र की शिवसेना पार्टी के प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कल दिल्ली में हुई हिंसा के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार बताया है। उन्होंने अपने ट्विटर एकाउंट पर लिखा है, “यह केंद्र सरकार की एक बड़ी विफलता है कि इस मुद्दे का जल्द कोई समाधान नहीं खोजा गया और इसे महीनों तक जारी रहने दिया गया। सुरक्षा से जुड़ी अलग-अलग एजेंसियों ने लगातार इस बात का इनपुट दिया कि दिल्ली में हालात नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं, लेकिन सरकार ने इसे रोकने के लिए कोई तैयारी नहीं की।”

दिल्ली की क़ानून व्यवस्था पर उन्होंने अमित शाह को जिम्मेदार ठहराते हुए एक दूसरे ट्वीट में कहा कि ” आदरणीय गृह मंत्री जी…किसानों के गुस्से का पता चलने के बावजूद भारत सरकार ने इस घटना से बचने के लिए आखिर क्या कदम उठाए? अगर सरकार ने पहले ही अपना अहंकार त्याग दिया होता तो आज हम लोगों को ये दिन नहीं देखना पड़ता।”

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दिल्ली में कल की हिंसा के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहारते हुए कहा कि ” भाजपा सरकार ने जिस प्रकार किसानों को निरंतर उपेक्षित, अपमानित व आरोपित किया है, उसने किसानों के रोष को आक्रोश में बदलने में निर्णायक भूमिका निभायी है। अब जो हालात बने हैं, उनके लिए भाजपा ही कसूरवार है। भाजपा अपनी नैतिक ज़िम्मेदारी मानते हुए कृषि-क़ानून तुरंत रद्द करे।”

बसपा अध्यक्ष व यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कल की घटना के बाद केंद्र सरकार से कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग दोहराते हुए कहा है, ” देश की राजधानी दिल्ली में कल गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की हुई ट्रैक्टर रैली के दौरान जो कुछ भी हुआ, वह कतई भी नहीं होना चाहिए था। यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण तथा केन्द्र की सरकार को भी इसे अति-गंभीरता से ज़रूर लेना चाहिए। साथ ही, बीएसपी की केन्द्र सरकार से पुनः यह अपील है कि वह तीनों कृषि कानूनों को अविलम्ब वापस लेकर किसानों के लम्बे अरसे से चल रहे आन्दोलन को खत्म करे ताकि आगे फिर से ऐसी कोई अनहोनी घटना कहीं भी न हो सके। “

वहीं दिल्ली प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी आम आदमी पार्टी के नेता व सांसद संजय सिंह ने कल की घटना के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि “कल जो भी हुआ उसकी जिम्मेदार केंद्र में बैठी धृतराष्ट्र सरकार है, किसान विरोधी मोदी सरकार है। किसान काले कानून को वापस लेने के लिए कई महीनों से मांग कर रहे हैं और मोदी सरकार चुपचाप बैठकर किसानों की जान जाते देख रही है।”  

वहीं सीपीआई एम ने दिल्ली हिंसा को किसानों की मांग से ध्यान भटकाने साजिश बताते हुए कहा है कि “जो अप्रिय घटनाएं कल घटित हुई हैं, वे मुख्य मांग से ध्यान नहीं हटा सकती हैं। ये घटनाएं एजेंटों व भड़काने वालों की करतूत हैं, जिनका सत्तारूढ़ दल के साथ लिंक है, इन घटनाओं की पूरे किसान आंदोलन द्वारा निंदा की गई है”।

एआईपीएफ ने स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेन्द्र यादव, भारतीय किसान यूनियन प्रवक्ता राकेश टिकैत, किसान यूनियन उगराहा के अध्यक्ष जोगिन्दर सिंह उगराहा, संयुक्त किसान मोर्चा के नेता गण दर्शन पाल, बलबीर सिंह राजेवाल, गुरूनाम सिंह चढ़ूनी, राजेन्द्र सिंह आदि पर मुकदमें कायम करने की कड़ी आलोचना की है। एआईपीएफ की राष्ट्रीय कार्यसमिति के प्रस्ताव को प्रेस को जारी करते हुए राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आईजी एसआर दारापुरी ने बताया कि सरकार को किसान आंदोलन के दमन का दुस्साहस नहीं करना चाहिए। किसी को भी अब यह भ्रम नहीं होना चाहिए कि किसान आंदोलन हताशा या निराशा में जायेगा। यह किसान आंदोलन जनांदोलन बन गया है और आगे बढ़ने से अब इसे कोई रोक नहीं सकता है।

किसानों का आंदोलन बेहद व्यवस्थित और शांतिपूर्ण रहा है। ये बेमिसाल है कि इसमें इतनी बड़ी संख्या में लोगों के आने के बावजूद एक चाय वाले का कप तक नहीं टूटा। जहां तक लाल किले पर झंडा फहराने का मामला है उसकी कहानी ही अलग है। जिस व्यक्ति ने लाल किले पर मुठ्ठीभर लोगों के साथ झंडा फहरवाया वस्तुतः उसका किसान आंदोलन से कभी कोई सम्बंध ही नहीं रहा है। लाल किले की घटना पर गृह मंत्री अमित शाह को देश को बताना चाहिए कि कैसे मुठ्ठीभर लोग लाल किले में घुस गए और उनकी पुलिस वहां हाथ बांधे खड़ी रही। क्या यह सब बिना सत्ता के समर्थन के सम्भव था। अब तो यह बात भी पुष्ट हो गई है कि जिसने कल लाल किले पर झंड़ा फहरवाया था उसकी तस्वीरें प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ आयी हैं। सरकार को इस वायरल हो रही तस्वीरों पर अपनी स्थिति साफ करनी चाहिए।

प्रस्ताव में आंदोलन में मृत व घायल हुए लोगों के प्रति दुख व्यक्त करते हुए कहा गया कि किसानों की गणतंत्र परेड का हरियाणा, पंजाब समेत हर जगह सड़क के दोनों किनारे पर खड़े होकर जनता ने स्वागत किया और महाराष्ट्र समेत पूरे देश में आम लोगों ने किसानों के साथ मिलकर गणतंत्र दिवस मनाया। किसानों का आंदोलन जनता की भावना के साथ जुड़ा हुआ है इसलिए सरकार को देश की अर्थव्यवस्था और आम नागरिकों के हितों का ख्याल करते हुए तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए और न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाना चाहिए।

जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष एन साई बालाजी ने दिल्ली हिंसा के लिए भाजपा को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि “कोमल शर्मा- जेएनयू फीस वृद्धि के विरोध से ध्यान हटाने के लिए हिंसा का इस्तेमाल किया। कपिल मिश्रा ने विरोधी सीएए के विरोध से ध्यान हटाने के लिए हिंसा भड़काई। दीप सिद्धू- लोगों को उकसाया और खेत विरोध से ध्यान हटाने के लिए जिम्मेदार है। आप उनमें से समानताएं जानते हैं? बी जे पी”

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