देश के 65 संगठनों ने सभी संसाधनों को महामारी के लिए इस्तेमाल करने की मांग की

नई दिल्ली। कोविड महामारी भारत के लगभग सभी परिवारों को किसी न किसी रूप में बुरी तरीके से प्रभावित करते हुए, देश को रौंद रही है। सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की दयनीय स्थिति और केंद्र तथा राज्य सरकारों के द्वारा विशेषज्ञों के सुझाव और चेतावनी की लगातार उपेक्षा ने हमें इस हालात में पहुंचा दिया है। चिकित्सक, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, और अन्य फ्रंटलाइन कर्मी भारी दबाव में काम कर रहे हैं, और ड्यूटी के दौरान अपने कई सहकर्मियों को खो चुके हैं। भारत में इस महामारी की दूसरी लहर के भयानक असर पूरी तरीके से एक राजनैतिक विफलता है और सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराये जाने की ज़रूरत है। 

विषाणु के इस प्रसार ने पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के बीच गहरा संबंध को दिखा दिया है। जैसा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सोशल मेडिसिन एंड कम्युनिटी हेल्थ की प्रोफेसर और विकल्प संगम कोर ग्रुप की मेंबर ऋतु प्रिया कहती हैं “अब हमें अपने ध्यान को निश्चित ही मानव और पर्यावरण के स्वास्थ्य और बेहतरी पर लगाना चाहिये।” 

विकल्प संगम, जो कि सामाजिक एवं पारिस्थितिकीय रूप से सतता एवं समता पर आधारित एक बेहतर और वैकल्पिक तरीकों पर काम करने का मंच है, ने करोड़ों लोगों के जीवन और आजीविका पर पड़ रहे दुष्प्रभाव से निपटने के लिए तात्कालिक एवं दीर्घकालीन उपाय सुझाये हैं। यह बयान देश भर के 65  प्रमुख स्वयंसेवी संगठन और आंदोलन जो देश के विभिन्न हिस्सों में काम करते हैं और विकल्प संगम कोर ग्रुप का हिस्सा हैं, के द्वारा समर्थित है। 

तात्कालिक उपाय के तौर पर विकल्प संगम का सुझाव : ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में हल्के लक्षणों वाले मरीजों के लिये प्राथमिक तथा घर पर ही समय पर ऑक्सीजन एवं अन्य श्वसन सम्बन्धी देखभाल के लिए सुविधा को समय से सुनिश्चित करते हुए, विश्वसनीय वैज्ञानिक अध्ययन और लंबे अनुभव के आधार पर तर्कपूर्ण चिकित्सकीय उपाय को लेकर जागरूकता के द्वारा, तथा जो टिका लेना चाहते है उनके लिए टीकाकरण सुनिश्चित कराकर देखभाल की सुविधा प्रदान किया जाये। साथ ही साथ स्वास्थ्य के लिए विभिन्न तात्कालिक तथा दीर्घकालीन उपाय जैसे बेहतर प्रतिरोधक क्षमता तथा निदान प्रदान करने वाला विभिन्न पारंपरिक तथा आधुनिक चिकित्सा प्रणाली को सर्वसुलभ बनाने के उपाय किये जायें। 

विकल्प संगम की सक्रिय सदस्य और जागोरी ग्रामीण संगठन की आभा भैया कहती हैं: “जनसंख्या का सबसे संवेदनशील तबका इस संकट से सबसे बुरी तरीके से प्रभावित हुआ है। इसीलिए हमारा बयान ऐसे तबकों में आने वाले विभिन्न समूहों जैसे बुजुर्ग, अनाथ, बच्चे, पलायित तथा दिहाड़ी कामगार, विकलांग, ट्रांसजेंडर तथा यौनकर्मी, अकेली माँ, गर्भवती तथा धात्री महिला, छोटे-मझौले किसान, मछुआरे, चरवाहे जिनकी बाजार तक पहुंच नहीं है और उनमें से भी खासकर महिला, दलित तथा आदिवासियों के लिए मज़दूरी, भोजन तथा सामाजिक सुरक्षा की मांग करता है। 

विकल्प संगम मांग करता है कि सभी अनावश्यक खर्चे जैसे कि विलासी सेंट्रल विस्टा के निर्माण को निश्चित ही रोका जाये और सभी उपलब्ध संसाधन को आपातकालीन कोविड राहत में लगाया जाये। 

इसके अलावे विकल्प संगम के दीर्घकालीन सुझाव में सम्मिलित है: स्थानीय, आत्मनिर्भर आजीविका के विकल्प जो पारिस्थतिकीय रूप से सतत भी हो को बढ़ावा दिया जाये, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को पुनर्जीवित तथा लोकतांत्रिक बनाया जाये, मानसिक स्वास्थ्य और कॉउंसलिंग सेवा का प्रसार किया जायें, प्राकृतिक पर्यावरण-तंत्र के संरक्षण और संवर्धन को प्राथमिकता दिया जाये और सार्वजनिक भूमि और उत्पादक संसाधन के उपर स्थानीय स्वशासन तंत्र का अधिकार और अपनत्व तय किया जाये। 

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