खालिद पर शख्सियतें- संवैधानिक मूल्यों के पक्ष में खड़ी युवा आवाज को दबाने की कोशिश

नई दिल्ली। विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी 36 से ज्यादा जानी-मानी शख्सियतों ने जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद की यूएपीए के तहत गिरफ्तारी की निंदा की है। उन्होंने खालिद को बहादुर युवा के साथ ही देश के संवैधानिक मूल्यों के लिए बोलने वाली आवाज करार दिया। 

शख्सियतों का कहना है कि एक नागरिक के तौर पर वे लोग संवैधानिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध हैं। खालिद की गिरफ्तारी शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने वाले सीएए विरोधियों को निशाना बना कर उनके खिलाफ चलाए जा रहे विद्वेषपूर्ण अभियान का हिस्सा है। खालिद के खिलाफ यूएपीए से लेकर देशद्रोह और यहां तक कि हत्या तक की साजिशों की धाराएं लगायी गयी हैं। फिल्म और समाज के अलग-अलग हिस्सों से जुड़ी इन हस्तियों ने सरकार के इस रवैये पर बेहद नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह बात बिल्कुल स्पष्ट है कि जांच फरवरी, 2020 में हुए दंगों से संबंधित नहीं है। बल्कि यह देश भर में सीएए के खिलाफ शांतिपूर्ण हुए प्रदर्शनों का एक तरह से बदला लिया जा रहा है।

उनका कहना था कि उमर खालिद उन सैकड़ों आवाजों में से एक थे जिन्होंने संविधान को बचाने के लिए उस आंदोलन में हिस्सेदारी की थी। उमर खालिद संविधान और लोकतंत्र के पक्ष में सामने आने वाली युवा भारतीय आवाजों में सबसे मजबूत आवाज बनकर उभरे हैं। दिल्ली पुलिस द्वारा लगातार उनकी आवाज को दबाने के लिए अलग-अलग तरीके से षड्यंत्र रचा जा रहा है। जिसमें उनके खिलाफ तमाम किस्म के कपोल कल्पित मामले गढ़कर विरोध की इस आवाज को चुप कराने की कोशिश की जा रही है।

उन्होंने कहा कि यह बेहद महत्वपूर्ण बात है कि 20 गिरफ्तार लोगों में 19 की उम्र 31 वर्ष से कम है। इनमें 17 के खिलाफ यूएपीए की धाराएं लगायी गयी हैं। और सभी को दिल्ली की हिंसा से जोड़ दिया गया है। जबकि जिन्होंने पूरी हिंसा को अंजाम दिया और उसका षड्यंत्र रचा उनको छुआ तक नहीं गया। उन्होंने कहा कि इन गिरफ्तार लोगों में पांच महिलाएं हैं और एक को छोड़कर बाकी सभी छात्राएं हैं।

इन शख्सियतों ने कहा कि लोकतंत्र का मूल चेतना की स्वतंत्रता है और किसी भी देश की ताकत उसके युवा मस्तिष्क होते हैं। उन्होंने साफ-साफ कहा कि वे खालिद समेत सभी युवा एक्टविस्टों और महिलाओं तथा पुरुषों की गिरफ्तारी की निंदा करते हैं।

उन्होंने कहा कि जीवन का अधिकार केवल खाना, जीना और सांस लेना नहीं होता है यह बैगर भय के और सम्मान के साथ जीने की बात करता है और बोलने की आजादी इसका अभिन्न हिस्सा हो जाती है। जिसमें विरोध भी शामिल है। जांच का मूल लक्ष्य लोकतांत्रिक आवाजों को चुप कराना है। और इसके साथ ही भय पैदा करना और उसका हिस्सा हो जाता है। इन सबके लिए ही इस तरह से निशाना बनाया जा रहा है।

कोर्ट परिसर में कन्हैया और 2018 में खालिद पर कांस्टीट्यूशन क्लब के पास गन से हुए हमले की घटना को याद दिलाते हुए इन शख्सियतों ने कहा कि खालिद के जीवन की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए और जब तक वह स्टेट की कस्टडी में रहते हैं यह उसकी जिम्मेदारी बन जाती है। 

इसके साथ ही कोर्ट ने इस बात पर भी गौर किया कि एक पूरे मीडिया ट्रायल को संचालित करने के लिए गलत सूचनाएं चुनिंदा तरीके से लीक करायी जा रही हैं। और उसके जरिये न्याय की पूरी प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है।अगर कानून को अपना काम करने दिया जाता है तो हमें इस बात का पूरा विश्वास है कि न्याय की जीत होगी।

हस्ताक्षरकर्ता:

1-  सईद मिर्जा, फिल्ममेकर

2- सईदा हमीद, पूर्व सदस्य, प्लानिंग कमीशन

3- अरुंधति रॉय, लेखिका

4- टी एम कृष्णा, आर्टिस्ट

5- रामचंद्र गुहा, इतिहासकार

6- प्रशांत भूषण, वरिष्ठ एडवोकेट

7- पी साईनाथ, वरिष्ठ पत्रकार

8- बृंदा करात, सीपीएम

9- जिग्नेश मेवानी, एमएलए, गुजरात

10- कविता कृष्णन, ऐपवा

11- मिहिर देसाई, वरिष्ठ एडवोकेट

12- आकार पटेल, जर्नलिस्ट एंड एक्टिविस्ट

13- बिराज पटनायक, पब्लिक पॉलिसी एक्सपर्ट

14- दराब फारूकी, लेखक और गीतकार

15- फराह नकवी, लेखक और एक्टिविस्ट

16- गीता हरिहरन, लेखक और एक्टिविस्ट

17- हर्षमंदर, आथर और एक्टिविस्ट

18- जयराम वेंकटेसन, सामाजिक कार्यकर्ता, चेन्नई

19- कविता श्रीवास्तव, एक्टिविस्ट

20- नवशरण सिंह स्वतंत्र रिसर्चर

21- एनडी पंचोली, वरिष्ठ वकील

22- प्रबीर पुरकायस्थ

23-प्रोफेसर अतुल सूद, जेएनयू

24- प्रोफेसर नंदिनी सुंदर, दिल्ली विश्वविद्यालय

25- प्रोफेसर अपूर्वानंद, 

26- प्रोफेसर जयति घोष, जेएनयू

27- प्रोफेसर मैरी जान

28- प्रो. प्रभात पटनायक

29-प्रो. सतीश देशपांडे

30- प्रोफेसर सुरजीत मजूमदार

31- प्रो. आएशा किदवई

32- प्रो. डीके लोबियाल

33- पुरवा भारद्वाज, एजुकेशनिस्ट

34- रवि किरन जैन, पीयूसीएल

35-शुद्ध प्रभा सेनगुप्ता

36- वी सुरेश

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