कानून की कब्र पर बना है पीएम केयर्स फंड

 नई दिल्ली। केंद्र लगातार इस बात पर जोर देता रहा है कि पीएम केयर्स फंड आरटीआई एक्ट के तहत नागरिकों के प्रति जवाबदेह नहीं है क्योंकि यह एक सार्वजनिक प्राधिकार नहीं है। हालांकि जिस दिन फंड की घोषणा की गयी थी उसी दिन कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय (एमसीए) ने कहा था कि पीएम केयर्स एक ऐसा फंड है जिसे केंद्र सरकार द्वारा स्थापित किया गया है।

आटीआई के जरिये हासिल की गयी फाइल नोटिंग दिखाती है कि 28 मार्च की देर रात को एमसीए द्वारा एक मेमो जारी किया जाता है। इसमें यह बात बिल्कुल स्पष्ट है कि पीएम केयर्स फंड को केंद्र सरकार द्वारा इस तर्क के साथ स्थापित किया गया है कि भारत की कंपनियों का योगदान उनकी कारपोरेट सामाजिक जवाबदेहियों के तहत गिना जाएगा। वरना सार्वजनिक और निजी समेत भारत के बड़े कारपोरेट सेक्टरों से तत्काल रिलीज होने वाले हजारों करोड़ रुपयों को उनकी सीएसआर जवाबदेहियों से अलग कैसे गिना जा सकता था।

दो महीन बाद 26 मई को कंपनी एक्ट में बदलाव किया जाता है। दिलचस्प बात यह है कि यह बदलाव पीछे की तारीख में जाकर 27 मार्च से लागू होता है। इसमें इस बात को पारित कर दिया गया है कि सीएसआर डोनेशन की वैधता इस बात पर आधारित नहीं होगी कि फंड को केंद्र द्वारा स्थापित किया गया है। यानी सीएसआर डोनेशन के लिए फंड के केंद्र की स्थापना की दरकार नहीं होगी।

तीन दिन बाद 29 मई को पीएमओ ने पहली बार कहा कि आरटीआई एक्ट के तहत पीएम केयर्स फंड कोई सार्वजनिक प्राधिकार नहीं है। पीएमओ का देर से आया यह जवाब कानून के छात्र हर्ष कुलकर्णी के आरटीआई में आया था। संस्थाएं जिनकी सरकारों द्वारा स्थापना की जाती है उन्हें सार्वजनिक प्राधिकार के तौर पर परिभाषित किया जाता है और वे सभी आरटीआई के दायरे में आती हैं।

पीएम केयर्स फंड को 27 मार्च को एक सार्वजनिक चैरिटेबल ट्रस्ट के तौर पर स्थापित किया गया था। और शनिवार, 28 मार्च को शाम 4.36 बजे पीएम द्वारा एक प्रेस रिलीज के जरिये इसकी घोषणा की गयी थी। स्थापना के साथ ही बड़े पैमाने पर दान आने शुरू हो गए थे। एमसीए की सीएसआर सेल की एक डिप्टी डायरेक्टर अपर्णा मडियम ने रात 9.52 बजे इस बात को स्पष्ट करते हुए एक सर्कुलर ड्राफ्ट किया कि पीएम केयर्स के लिए कारपोरेट योगदान सीएसआर एक्टिविटी के तहत वैध मानी जाएगी।

और इसके साथ ही इसको इससे संबंधित दूसरे अधिकारियों के पास भेज दिया। ढेर सारे मेलों के आदान-प्रदान के बाद कारपोरेट अफेयर्स सेक्रेटरी श्रीनिवास इनजेटि ने उसी दिन 11.29 बजे रात में सर्कुलर को जारी करने की संस्तुति दे दी। यह सब कुछ आरटीआई एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज द्वारा आरटीआई के जरिये हासिल जवाब में बताया गया है।

सर्कुलर कंपनीज एक्ट, 2013 का उदाहरण देता है जो योगदान योग्य सीएसआर गतिविधियों की सूची मुहैया कराता है जिसमें “ सामाजिक-आर्थिक विकास या फिर सहायता के लिए भारत सरकार या फिर राज्य सरकारों द्वारा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष या फिर दूसरे फंड में योगदान के लिए…. “शामिल है।

सर्कुलर पर फाइल नोटिंग मंत्रालय के मत को बिल्कुल स्पष्ट कर देते हैं। यह कहता है कि “कंपनी एक्ट, 2013 की अनुसूची VII का आइटम नंबर-(viii) केंद्र सरकार द्वारा सामाजिक-आर्थिक विकास और राहत के लिए बनाए गए किसी फंड में योगदान की छूट देता है।”

हालांकि 27 मई को एमसीए सूची में सीधे पीएम केयर्स फंड को डालकर अनुसूची VII में बदलाव कर देता है। इस तरह से इस बात पर निर्भर रहने की कोई जरूरत नहीं है कि फंड केंद्र सरकार द्वारा ही स्थापित किया गया हो। यह बदलाव पीछे जाकर 28 मार्च से लागू होता है।

अंजिल भारद्वाज ने पूछा कि “अगर एमसीए इस बात पर भरोसा कर रहा था कि पीएम केयर्स एक ऐसा फंड था जिसे केंद्र सरकार द्वारा स्थापित किया गया है तब पीएमओ कैसे आरटीआई एक्ट के तहत मांगी गयी सूचनाओं को खारिज कर रहा था और इस बात का दावा कर रहा था कि फंड सार्वजनिक प्राधिकार नहीं है।” “पीछे जाकर कानून में बदलाव करने की क्यों जरूरत पड़ी”?

भारद्वाज ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि अभी जबकि वित्तीय साल को पूरा होने में केवल दो दिन बचे थे ऐसे में शनिवार, 28 मार्च को रात में पूरी आपाधापी के बीच सर्कुलर जारी करने की क्या जरूरत थी? पीएम केयर्स की वेबसाइट पर मौजूद डाटा दिखाता है कि 31 मार्च तक 3,076 करोड़ रुपये एकत्रित हो गए थे। इंडियन एक्सप्रेस द्वारा डाली गयी आरटीआई भी इस बात को दिखाती है कि ढेर सारी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने 2019-20 में अपने इस्तेमाल न हो पाने वाले सीएसआर को पीएम केयर्स में दान दे दिया।

सर्कुलर और एक्ट में बदलाव के संदर्भ में हिंदू ने एमसीए से पूछताछ की लेकिन अभी तक उसके पास इसका कोई जवाब नहीं आया था।

भारद्वाज ने पीएम केयर्स फंड के बारे में जानने के लिए दूसरे विभागों में भी आरटीआई डाली थीं। कानून मंत्रालय ने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया कि क्या फंड के बारे में उससे राय मांगी गयी थी। जबकि कैबिनेट सेक्रेटरिएट ने कहा कि “किसी भी कैबिनेट बैठक में पीएम केयर्स फंड के निर्माण के बारे में कोई एजेंडा आइटम नहीं था।”

पीएमओ से पीए केयर्स से संबंधित सभी फाइलें मुहैया कराने के संदर्भ में डाली गयी आरटीआई को यह कह कर खारिज कर दिया गया कि फंड आरटीआई एक्ट के तहत आने वाला सार्वजनकि प्राधिकार नहीं है।  

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