मनी लॉन्ड्रिंग की आपराधिक साजिश हो तभी बनेगा पीएमएलए केस: सुप्रीम कोर्ट

धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) पर सुप्रीम कोर्ट का एक और फैसला 29 नवंबर को आया है। सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए के तहत केस को लेकर अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में साफ कहा है कि आपराधिक साजिश मनी लॉन्ड्रिंग के लिए होगा तभी पीएमएलए के तहत केस बनेगा। ईडी सेक्शन 120 का इस्तेमाल कर मनी लॉन्ड्रिंग का केस नहीं बना सकती है।

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी के तहत दंडनीय अपराध तभी अनुसूचित अपराध बनेगा, जब कथित साजिश विशेष रूप से अनुसूची में शामिल अपराध करने की हो। सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य मामले में पहले कहा था कि अनुसूचित अपराध से बरी किए गए व्यक्ति पर पीएमएलए के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।

पीठ ने व्यवस्था दी है कि आपराधिक साजिश की धारा का इस्तेमाल उसी अपराध के लिए हो सकता है जिस अपराध के लिए साजिश रची गई हो। उस आधार पर, हमने कार्यवाही रद्द कर दी है। पीठ ने कर्नाटक हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ अपील में यह फैसला सुनाया, जिसने पीएमएलए के तहत उसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के लिए स्पेशल जज, बैंगलोर के समक्ष लंबित मामले में कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया था।

विधेय अपराध में धारा 143, 406, 407, 408, 409, 149 आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। पीएमएलए केवल उन अपराधों से पैदा “अपराध की आय” के संबंध में लागू किया जा सकता है, जिनका उल्लेख अधिनियम की अनुसूची में किया गया हो। हालांकि वर्तमान मामले में अपराध “अनुसूचित अपराध” नहीं थे, प्रवर्तन निदेशालय ने आईपीसी की धारा 120बी (जो एक अनुसूचित अपराध है) का इस्तेमाल करके पीएमएलए लागू किया ‌था।

मौजूदा मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने बेंगलूर के स्पेशल कोर्ट में याचिकाकर्ता के खिलाफ पीएमएलए का केस खारिज करने से मना कर दिया था। तब मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया। सुप्रीम कोर्ट ने उक्त आधार पर केस खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में आरोपी के खिलाफ जो धाराएं लगाई गई थी वह आईपीसी की धाराएं थी और वह मनी लॉन्ड्रिंग के तहत होने वाले लगातार अपराध की श्रेणी में नहीं थे। ऐसे में ईडी आईपीसी की धारा-120 बी का इस्तेमाल कर पीएमएलए का केस नहीं चला सकती है। मौजूदा मामले में ईडी ने आरोपी के खिलाफ 7 मार्च 2022 को शिकायत दर्ज कराई थी। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया था।

पिछले हफ्ते, विशेष पीठ जो विजय मदनलाल चौधरी के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए आवेदनों पर सुनवाई कर रही थी, ने मौखिक रूप से टिप्पणी की थी कि जब आपराधिक साजिश किसी अनुसूचित अपराध से जुड़ी नहीं है, तो ईडी आईपीसी की धारा 120 बी लागू नहीं कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल विजय मदनलाल चौधरी मामले में पीएमएलए कानून को वैध करार दिया था। इसके तहत ईडी को अधिकार है कि वह संपत्ति को अटैच कर सके, आरोपी की गिरफ्तारी कर सके और सर्च कर सके और अवैध संपत्ति को सीज कर सके।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटिशन दाखिल की गई थी। जिस पर सुनवाई होनी है पिछले हफ्ते सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी यही टिप्पणी की थी, इसी बीच सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ ने उक्त आदेश पारित किया है जो मामले में अहम व्यवस्था के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि ऐसे तमाम मामले अदालतों में पेंडिंग है जिनमें साजिश की धारा का इस्तेमाल कर मनी लॉन्ड्रिंग का केस चला है।

अब आने वाले दिनों में जब रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई नए बेंच के सामने होनी है और तब पीएमएएल कानून का गहन परीक्षण होगा लेकिन इसी बीच साजिश के मामले जो सुप्रीम व्यवस्था आई है उससे आगे का रास्ता तय होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य मामले में पिछले हफ्ते कहा था कि ईडी, आपराधिक साजिश की धारा-120 बी का इस्तेमाल कर पीएमएलए (मनी लॉन्ड्रिंग) का केस तब तक नहीं बना सकती है जब तक कि साजिश मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित न हो।

सुप्रीम कोर्ट में पीएमएलए के तहत ईडी को दी गई शक्तियों को बरकरार रखने के शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ दाखिल रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना ने पिछले हफ्ते उक्त मौखिक टिप्पणी की थी। पीएमएलए कानून को वैध ठहराए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई अभी लंबित है।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

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