ग्राउंड रिपोर्ट: योगी की बेलगाम पुलिस ने किराया मांगने पर ऑटो चालक को पीटा, पत्रकार की लॉकअप में पिटाई

मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कानून व्यवस्था को लेकर बड़े बड़े दावे करती है। लेकिन यूपी पुलिस के कारनामे लोगों में जनाक्रोश का कारण बनते जा रहे हैं। हाल के दिनों में मिर्जापुर में आम जनता से लेकर मीडिया के लोगों पर पुलिस की बर्बरता की कई घटनाएं सामने आई हैं। इसी कड़ी में दलित समाज के हरिमोहन पर पुलिसिया कहर टूटा है। हरिमोहन भारती का जुर्म बस यही रहा है कि उसने दरोगा से ऑटो का किराया मांगने का साहस कर दिया, दरोगा को यह नागवार गुजरा और उसने सरेआम हरिमोहन की न केवल पिटाई कर दी, बल्कि उसके ऑटो का ऑनलाइन चालान भी कर दिया जो हरिमोहन के परिवार की जीविका का एकमात्र साधन था।

हरिमोहन भारती पेशे ऑटो चालक हैं। ऑटो चला कर अपने और अपने परिवार का पेट पालते हैं। मिर्जापुर मंडलीय अस्पताल जिसे अब मेडिकल कॉलेज का दर्जा दे दिया गया है, वह हरिमोहन का ठिकाना है। जहां देर रात तक हरिमोहन अपना ऑटो लेकर इस उम्मीद के साथ लगे रहते हैं कि किसी घटना-दुर्घटना में घायल मरीज और उनके तीमारदारों को गंतव्य तक पहुंचाने की आवश्यकता पड़ गई तो लोगों की त्वरित सेवा के साथ ही उनके भी रोटी का इंतजाम हो जाएगा। इसी उद्देश्य से वह अस्पताल गेट के निकट अपने ऑटो के साथ खड़े रहते हैं।

9 जून 2023 को भी वह इसी भाव से मौके पर थे, कि तभी शहर कोतवाली क्षेत्र के फतहां चौकी प्रभारी जयप्रकाश शर्मा अपने लाव लश्कर के साथ एक लावारिस लाश को पोस्टमार्टम हाउस ले चलने के लिए ऑटो चालक हरिमोहन भारती की ओर इशारा किया। इस पर हरिमोहन ने लाश ले चलने की स्वीकृति के साथ दरोगा से ‘भाड़े’ की मांग कर दी, जो दरोगा को नागवार गुजरा। बस फिर क्या था उन्होंने ऑटो चालक हरिमोहन का कालर पकड़ा और उसे खींचकर मारने-पीटने लगे। इतने से जी नहीं भरा तो दरोगा ने मोबाइल से आटो का वीडियो बनाकर ढाई हजार का ऑनलाइन चालान ठोक दिया।

अपने ऑटो के साथ हरिमोहन

मौके पर बढ़ती भीड़ और लोगों द्वारा वीडियो बनाए जाने से खफा होकर वह मौके से खिसक तो लिए, लेकिन जाते-जाते अपना कारनामा उस गरीब ऑटो चालक पर कर गए। अब ढाई हजार की राशि वह किस प्रकार से जुटाए, कैसे चालान भरे, यह हरिमोहन के लिए एक बड़ा सवाल बना हुआ है।

वह लोगों और खासकर पुलिस अधिकारियों से गुहार लगाते फिर रहे हैं कि “हुजूर मेरा गुनाह क्या है? क्या भाड़ा मांगना जुर्म है? उस दरोगा के खिलाफ क्यों कार्रवाई नहीं होनी चाहिए जिसने बिना किसी जुर्म के उन पर ढाई हजार का जुर्माना ठोका है? क्या ऑनलाइन चालान के नाम पर पुलिस को मनमानी करने की पूरी खुली छूट मिली है? यदि नहीं तो फिर उक्त दरोगा के खिलाफ भी उसी के वेतन से उक्त चालान की भरपाई करने के साथ-साथ उसे भी सजा मिलनी चाहिए।”

दरोगा को मिले सजा

इस मामले के वायरल होने के बाद 13 जून को क्षेत्राधिकारी नगर ने पीड़ित ऑटो चालक हरिमोहन का बयान लिया और मौके की जांच पड़ताल के साथ अस्पताल के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज का अवलोकन किया गया। इस संदर्भ में पीड़ित ऑटो चालक हरिमोहन भारती “जनचौक” को बताते हैं कि “हम गरीब दलित ऑटो चालक हैं, यदि हमारा यही जुर्म है कि हमने दरोगा जी से भाड़ा मांगने का साहस किया है तो दरोगा जी ने भी बिना किसी अपराध के मेरे खड़े वाहन का ऑनलाइन चालान काटकर गरीब के पेट पर लात मारने का काम किया है। उसकी भी भरपाई होनी चाहिए, उसका भी दंड उन्हें मिलना चाहिए।”

ढाई हजार के कटे चालान की प्रिंट कॉपी के साथ हरिमोहन

ढाई हजार के कटे चालान की प्रिंट कॉपी हाथ में लेकर घूम रहे हरिमोहन का हर किसी से बस एक ही सवाल होता है “साहब हमें कईसे छुटकारा मिल पाई, हम गरीब हैं, जल्दी कोई भाड़ा भी नहीं मिलता, पूरा-पूरा दिन और रात भी बीत जाता है, लेकिन कुछ कमाई नहीं हो पाती है।” वह सवाल दागते हुए गुहार लगाते हैं “आप ही बताइए कुछ उपाय, ताकि हमारा चालान न कटे, भला मैं कहां से इतनी रकम लाऊंगा?” हरिमोहन के इन शब्दों में दर्द, बेबसी, लाचारी के साथ पीड़ा भी साफ झलकती है, जो उन्हें उस दरोगा ने दी है जिसे वर्दी मिली है समाज की हिफाजत करने के लिए, न कि वर्दी की गरिमा को सरेआम नीलाम करने के लिए।

पैसा मांगने पर दाना बिक्रेता को पीटा

यह तो रही आटो चालक की वेदना। अब इस घटना से थोड़ा पीछे चलते हैं। मिर्जापुर शहर कोतवाली अंतर्गत अस्पताल चौकी पुलिस की पिटाई से एक गरीब दाना विक्रेता की हालत गम्भीर हो जाती है। उसकी हालत इस कदर बिगड़ी कि उसे मिर्जापुर ट्रामा सेंटर से इलाहाबाद के लिए रेफर करना पड़ा। अब आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है उसकी किस बेरहमी से पिटाई की गई होगी?

अस्पताल चौकी क्षेत्र के रामबाग निवासी दाना विक्रेता विष्णु उर्फ बाबा जिला अस्पताल के निकट ठेले पर दाना बेच कर पेट पालते हैं। बीते माह अस्पताल चौकी के सिपाही को लाई-चना फ्री में न देना उन्हें मंहगा पड़ गया था। दाना विक्रेता युवक की पुलिस कर्मियों ने पिटाई कर दी थी, वह भी इस कदर कि उसकी हालत गम्भीर होने पर ट्रामा सेन्टर में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत गंभीर बनी रही। बाद में सुधार के बजाय उसकी हालत बिगड़ी देख उसे तत्काल स्वरूप रानी अस्पताल प्रयागराज के लिए रेफर कर दिया गया था।

अस्पताल में भर्ती दाना विक्रेता विष्णु उर्फ बाबा

आश्चर्य की बात यह कि जब इस मामले में पुलिस की किरकिरी होने लगी तो मामले को नया मोड़ दे दिया गया। और इसे अस्पताल के समीप भीख मांगने वाले से विवाद होना बताकर उच्चाधिकारियों को गुमराह कर दिया गया। जिसका परिणाम यह हुआ कि फौरी तौर पर पुलिस चौकी के एक सिपाही को लाइन हाजिर दिखाकर मामले को रफा-दफा कर दिया गया है।

निशाने पर मीडिया

लॉकअप में पत्रकार की पिटाई

मिर्जापुर में एक पत्रकार को पुलिस के कोप का शिकार होना पड़ा। वह इसलिए कि उसने ट्रक दुर्घटना में दो लोगों की मौत की खबर का संकलन करने के लिए मौके पर जाकर कवरेज करना चाहा, जो एक दरोगा को नागवार गुजरा। उसने पत्रकार का मोबाइल छीनकर उसे अपने पाकेट में डाल लिया, फिर थाने के लॉकअप में लाकर इस कदर पिटाई की जिसके निशान पत्रकार के शरीर पर आज भी देखे जा सकते हैं।

क्या है पूरा मामला?

मिर्ज़ापुर जिला मुख्यालय से तकरीबन 65 किमी दूर एक गांव करनपुर (बबुरा रघुनाथ सिंह) है। इसी गांव के निवासी हैं अभिनेष प्रताप सिंह, जो पेशे से किसान और वाराणसी से प्रकाशित एक दैनिक समाचार पत्र के आंचलिक संवाददाता हैं। अभिनेष प्रताप सिंह गांव-जल-जंगल-जमीन व जनसरोकार से जुड़ी खबरों पर पकड़ रखते हैं। इन खबरों के साथ ही वह गांव-गरीब और आदिवासी समाज से लेकर हर परेशान व्यक्ति के लिए अपनी कलम के जरिए खड़े रहते हैं। ईमानदार पत्रकारिता के साथ वह निरंतर आस-पास के घटनाक्रमों पर नजर रखते हैं।

पत्रकार अभिनेष प्रताप सिंह

रविवार 11 जून 2023 को ड्रमंडगंज थाना क्षेत्र की घाटी में कोयला लादकर जा रहे ट्रक के दुर्घटनाग्रस्त होने और चालक खलासी की मौत की खबर सुनकर वो कवरेज के लिए मौके पर पहुंचे थे। अभिनेष बताते हैं कि “वह जैसे ही मौके पर कवरेज के लिए जेब से मोबाइल निकालते हैं, वहां मौजूद दरोगा उदय नारायण उन पर टूट पड़ते हैं। मेरे साथ की गई पुलिसिया बर्बरता को मैं शायद ही कभी भुला पाउंगा।”

रो पड़ा पत्रकार

अभिनेष “जनचौक संवाददाता” को आपबीती बताते हुए रो पड़ते हैं। धैर्य दिलाने पर कुछ देर के लिए खामोश हो जाते है, फिर दो घूंट पानी हलक के नीचे उतारने के बाद पूरा वाकया सुनाते हैं। वो कहते हैं कि “ड्रमंडगंज घाटी में ट्रक दुर्घटना में दो लोगों की हुई मौत का समाचार संकलन करने के लिए मैं मौके पर पहुंचा था। जहां ड्रमंडगंज थाने की पुलिस भी मौजूद थी, जिनमें उपनिरीक्षक उदय नारायण, कांस्टेबल पुष्पेंद्र कुमार वर्मा सहित अन्य कॉन्स्टेबल मौजूद थे। कवरेज के लिए मोबाइल निकालते ही इन लोगों ने मोबाइल छीनते हुए मेरा कॉलर पकड़कर पुलिस जीप में ठूंस कर ड्रमंडगंज थाने उठा लाये। जहां लॉकअप में बंद कर बुरी तरह से लाठी से मारने पीटने के बाद धारा 151 में चालान कर दिया गया।”

पत्रकार के साथ अपराधियों जैसा सलूक

अभिनेष ने थाने पर मौजूद थाना प्रभारी विरेंद्र कुमार से गुहार लगाते हुए इस तरह थाने पर लाकर पीटने का कारण पूछा तो वह भी कोई जवाब देने के बजाय मुंह फेर लिए। अभिनेष ने जब पुनः दरोगा उदय नारायण से उन्हें थाने लाए जाने का कारण जानना चाहा तो फिर उनके साथ मार-पीट की गई। और बर्बर तरीके से शारीरिक यातना दी गई। पुलिस द्वारा पहले ही मोबाइल छीनकर स्विच ऑफ कर दिया गया था जिससे वह अपने परिजनों को सूचना भी नहीं दे पाये थे। इससे देर शाम तक उनके परिजन और उनके सगे संबंधी परेशान रहे।

पत्रकार अभिनेष प्रताप सिंह के शरीर पर यातना के निशान

पीड़ित पत्रकार की मानें तो “इसके पूर्व वह कई बार समाचार संकलन के संदर्भ में ड्रमंडगंज थाने पर जा चुके हैं, हमेशा पुलिस के प्रति सहयोगात्मक नजरिया भी रहा है, बावजूद इसके ड्रमंडगंज थाने के उपनिरीक्षक द्वारा जो बर्बरता और मानसिक यातना उन्हें दी गई वह उसे भूल नहीं पा रहे हैं।” पुलिस के इस कृत्य का अभिनेष के मन मस्तिक पर बुरा प्रभाव पड़ा है।

जनचौक से बात करते हुए पीड़ित पत्रकार अभिनेष प्रताप सिंह सवाल करते हैं कि “आखिर मेरा कसूर क्या था? मैंने तो अपने अखबार के लिए कभी 500 रुपये का विज्ञापन भी नहीं मांगा है। फिर आखिर किस बात के लिए मेरे साथ अपराधियों जैसा बर्ताव किया गया? मेरी मां बिलख रही हैं उन्हें कैसे दिलासा दिलाऊ?”

बर्बरता की सजा लाइन हाजिर?

पत्रकार अभिनेष ने मिर्जापुर के पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार मिश्रा और विंध्याचल परीक्षेत्र के उप पुलिस महानरीक्षक को रजिस्टर्ड पत्र प्रेषित कर अपने साथ हुई पुलिसिया बर्बरता से अवगत कराते हुए न्याय की गुहार लगाई थी। दूसरी ओर जैसे ही यह मामला सोशल मीडिया में वायरल हुआ और पुलिस की भद्द पिटने लगी तो पुलिस अधीक्षक मिर्जापुर ने इस प्रकरण की जांच के लिए लालगंज के क्षेत्राधिकारी मंजरी राव को नामित कर दिया गया। बाद में इस प्रकरण में आरोपित दरोगा उदय नारायण और कांस्टेबल पुष्पेंद्र कुमार वर्मा को लाइन हाजिर करते हुए जांच अपर पुलिस अधीक्षक ऑपरेशन को सौंप दी गई।

अधिकारियों से इंसाफ की गुहार

इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार अंजान मित्र सवाल खड़े करते हैं कि “पत्रकार के साथ हुए जुल्म ज्यादती पर “लाइन हाजिर” करने का यह पुलिसिया दांव कितना कारगर साबित होगा यह तो सभी जानते हैं। क्योंकि दोषी पुलिसकर्मियों के लाइन हाजिर करने की इस कार्रवाई से पीड़ित पत्रकार को कोई भी मरहम लगने वाला नहीं है। जब तक उन्हें कोई ठोस दंड ना मिले।”

नकम-रोटी की खबर पर हुआ था मुकदमा

साल 2019 में मिर्जापुर के विकास खंड जमालपुर अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय सिऊर के बच्चों को मिड-डे मील योजना के तहत नमक-रोटी परोसी गई थी। विद्यालय के बच्चों को नमक-रोटी परोसे जाने की खबर प्रसारित करने वाले पत्रकार पवन जायसवाल को तत्कालीन जिलाधिकारी मिर्जापुर के कोप का न केवल शिकार होना पड़ा था, बल्कि उनके खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा भी दर्ज कर लिया गया था।

यह तो भला हो प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और उन तमाम कार्पोरेट घरानों के बंधनों से मुक्त स्वतंत्र मीडिया प्लेटफार्म से जुड़े पत्रकारों का जिन्होंने इस खबर को प्रमुखता चलाने के साथ पवन जायसवाल की लड़ाई में उनका साथ दिया। जिसका प्रतिफल यह हुआ कि ना केवल पवन जायसवाल सरकारी कोप का शिकार होने से बचे थे, बल्कि उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर अच्छी खासी शोहरत और कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उस वक्त तत्कालीन जिलाधिकारी ने अपनी गर्दन बचाने के क्रम में हड़बड़ी में यह कह कर कि “प्रिंट मीडिया के पत्रकार हैं तो वीडियो क्यों बनाया” खूब किरकिरी करवा बैठे थे।

विद्यालय में नमक-रोटी खाते बच्चों की इसी तस्वीर पर पत्रकार पवन निशाने पर थे

जनप्रतिनिधियों की चुप्पी से बढ़ रही हैं पुलिस उत्पीड़न की घटनाएं

शासन-सत्ता से जुड़े हुए जनप्रतिनिधियों की चुप्पी के चलते आम जनता से लेकर पत्रकारों पर पुलिसिया जुल्म हो रहा है। पत्रकार अभिनेष के साथ हुए घटनाक्रम पर ही नजर डाले तो जिले में दो सांसद (एक लोकसभा, एक राज्यसभा) दो एमएलसी, दो मंत्री (एक केंद्र में एक प्रदेश में), पांच विधायक, यहां तक कि भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री एवं राज्यसभा सदस्य अरुण सिंह खुद हलिया विकासखंड के बैधा गांव के मूल निवासी हैं जहां उनका बराबर आना जाना लगा रहता है। पीड़ित पत्रकार अभिनेष भी इसी हलिया विकासखंड के निवासी हैं, बावजूद इसके अभी तक किसी भी जनप्रतिनिधि या सत्ताधारी दल के पदाधिकारी ने उनकी वेदना और उनके दुखों पर संवेदना के मरहम लगाना भी मुनासिब नहीं समझा है।

पूर्वांचल के कम्युनिस्ट नेता बचाऊ राम मिर्ज़ापुर के आंचलिक पत्रकार अभिनेष प्रताप सिंह के साथ हुए पुलिसिया कार्रवाई को घृणित और जुल्म ज्यादती से भरा बताते हुए दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग करते हैं। वह कहते हैं कि मीडिया कर्मियों के खिलाफ पुलिस का दमनकारी कदम मानवाधिकार का हनन ही नहीं, बल्कि मानवता से भी परे है। ऐसे मामलों में लाइन हाजिर करने भर की कार्रवाई उचित नहीं है। दोषी पुलिसकर्मियों को कड़ा दंड मिलना चाहिए, ताकि आगे से इस प्रकार का कृत्य करने का कोई साहस न कर सके।

(उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से संतोष देव गिरी की रिपोर्ट)

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