मुज़फ़्फ़रनगर के 6 विधानसभाओं का राजनीतिक समीकरण

मुज़फ़्फ़रनगर जिले में कुल 6 विधानसभा सीटें है- बुढ़ाना, चरथावल, पुरकाजी, मुज़फ़्फ़रनगर, खतौली, मीरापुर। इसमें से पुरकाज़ी सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है। यह जिला भारत की दो प्रमुख नदियों गंगा और यमुना के बीच बसा हुआ है। यहां की उपजाऊ भूमि के कारण किसानी मुख्य व्यवसाय है। गन्ना और गेहूं यहां प्रमुख रूप से उगाया जाता है, इस जनपद में 8 शुगर मिल हैं, वहीं सैकड़ों की संख्या में पेपर मिल व स्टील प्लांट भी चलाए जा रहे हैं। इस जनपद की 70 फीसदी आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है।

2013 में मुज़फ़्फ़रनगर दंगे के बाद से जो सांप्रदायिक स्थिति भाजपा के पक्ष में बनी थी उसमें किसान आंदोलन के बाद परिवर्तन आया है। हिंदू-मुसलमान के बीच जो दूरियां कम हुई हैं। युवा जाटों में राष्ट्रीय लोकदल के प्रति आकर्षण बढ़ा है। जाटों में आधे-आधे का बंटवारा है। पेंशन भोगी ‘शहरी’ जाट बीजेपी के साथ हैं वहीं खेतीबाड़ी करने वाले जाट किसान आंदोलन के बाद सपा और रालोद के क़रीब आए हैं।

जिले की एक मुज़फ्फ़रनगर सदर सीट को छोड़कर बाकी पांच जिलों में मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। चरथावल, पुरकाजी और मीरापुर सीट पर तो मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 1 लाख के ऊपर है। जबकि बुढ़ाना और खतौली में भी मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 70-75 हजार है। मुजफ़्फ़रनगर की राजनीति पर नजदीकी नज़र रखने वाले आतिफ़ रज़ा बताते हैं कि अबकि चुनाव में मुज़फ़्फ़रनगर जिला की पांच विधानसभा रालोद सपा गठबंधन को पांच सीटें मिल रही हैं। मुस्लिम मतदाता टैक्टिकल वोटिंग करेगा। बसपा के साथ जाना मुश्किल है। मुज़फ़्फ़रनगर जिले का मुस्लिम मतदाता ओवैशी के AIMIM के साथ बिल्कुल भी नहीं जा रहा है।

आतिफ़ रज़ा आगे बताते हैं कि -गैर जाटव दलित, सैनी गुर्जर और मुस्लिम का जातीय कांबीनेशन बन रहा है। भाजपा से मुज़फ़्फ़रनगर की जनता त्रस्त हो चुकी है। दो दिन पहले खतौली से भाजपा विधायक और प्रत्याशी को जनता ने खदेड़ा था। सच यह है कि कोरोना काल में जनता ने बहुत दुख सहा है। कोरोना के इतर भाजपा सरकार की नीतियों और जुल्मों से भी जनता आज़िज आ चुकी है। महंगाई को लेकर भी भाजपा सरकार के ख़िलाफ़ जनाक्रोश है। रोज़गार पांच साल में कुछ नहीं निकला। लोगों में सरकार बदलने का जोश है। विकास का कोई काम नहीं हुआ। ग्रामीण इलाकों में फसलें सांड और गाय खा रही हैं। जनता इससे त्रस्त है। किसान आंदोलन का असर भी होगा। लोगों ने जान लिया है कि यह झूठे लोग हैं। सारे वायदे इनके झूठे थे। इनका मक़सद सिर्फ़ दो कौमों की जनता को आपस में लड़वाकर उन्हें एक दूसरे से नफ़रत करवाकर अपना काम साधना है। मजबूरी में ये राशन बांट रहे हैं। उसमें भी चना घुन लगा, नमक में कांच मिला है। आचार संहिता लागू होने के बाद अब यह लोग रिफाइंड के लेवल उतारकर तेल बाज़ार में बेंच रही है।  

 बुढ़ाना विधानसभा

बुढ़ाना विधानसभा सीट पर कुल 3,30,066 वोटर हैं। इस सीट पर सबसे ज्यादा मुसलमान है। मुस्लिम वोट 70,000, जाटव 30,000, जाट 25,765, ब्राह्मण 25,500, गुर्जर 31,800, सैनी 4,432, प्रजापति 2,100, पाल 4,500, कश्यप 28,000, वाल्मीकि 6,900, खटीक 3,200, ठाकुर 21,000, वैश्य 5,200, त्यागी 9,300, लोधी 1,800, उपाध्याय 566, विश्वकर्मा 2,400, सुनार 5,500, कोरी 1,500, नाई 1,500 हैं।

2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा के उमेश मलिक (97781 वोट) ने सपा के प्रमोद त्यागी को (84580 वोट) जबकि बसपा उम्मीदवार सईदा बेगम को 30034 वोट और रालोद के योगराज सिंह को 23732 वोट मिले थे।

2022 विधानसभा चुनाव के लिये भाजपा ने उमेश मलिक को उम्मीदवार बनाया है। सपा-रालोद  ने राजपाल बालियान को टिकट दिया है। बसपा से हाजी मोहम्मद अनीश को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने देवेंद्र कश्यप को टिकट पकड़ाया है।

बुढ़ाना में खेती-किसानी बड़ा मुद्दा है। भुगतान, बिजली दरें, सड़कें, कानून व्यवस्था बड़े मुद्दे हैं। केंद्रीय पशुपालन मंत्री डॉ. संजीव बालियान इसी क्षेत्र के गांव कुटबा के रहने वाले हैं।पहले मुजफ्फरनगर दंगे और अब किसान आंदोलन से बुढ़ाना विधानसभा सूबे की सियासत के सबसे बड़े केंद्रों में से एक है। बिखराव को रोक लिया जाए तो जाट-मुस्लिम समीकरण सबकी रणनीति पर भारी है। 

बालियान खाप का केंद्र सिसौली और सोरम इसी विधानसभा में है, जबकि गठवाला के फुगाना और खरड़ थांबे भी हिस्सेदार हैं। खापों की राजनीति भी यहां प्रभावशाली रही है।

बुढ़ाना विधानसभा सीट पर भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत और प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत की आवाज भी महत्वपूर्ण है। रालोद से दो बार विधायक रहे राजपाल बालियान भाकियू में सक्रिय रहे हैं।

वहीं बुढ़ाना विधानसभा क्षेत्र के शाहपुर, शिकारपुर, बसी, पलड़ी, उमरपुर, मदीनपुर और आदमपुर समेत 12 मुस्लिम बाहुल्य गांव 12 बस्ती के नाम से जानी जाती हैं। मुस्लिम नेता गुलाम मोहम्मद जौला मुस्लिम राजपूत बिरादरी के 52 खाप के चौधरी है, वह भी इसी क्षेत्र के मतदाता है।

 चरथावल विधानसभा 

चरथावल विधानसभा में लगभग 3 लाख 15 हजार मतदाता हैं। चरथावल विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता है। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 1 लाख के क़रीब है। इसके बाद जाटव मतदाता 55 हज़ार, कश्यप 30 हज़ार, जाट 30 हज़ार और ठाकुर मतदाता 20 हज़ार हैं।

2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के विजय कुमार कश्यप ने (82046 वोट) सपा के मुकेश कुमार चौधरी को (58815 वोट) हराया था। जबकि बसपा के नूर सलीम राणा को 47704 वोट और रालोद के सलमान जैदी को 14442 वोट मिले थे।

इस सीट पर मुस्लिम वोटर ज्यादा हैं। रालोद को सपा के इस वोटबैंक का फायदा मिलने की उम्मीद है। 2022 विधानसभा चुनाव के लिये भाजपा ने सपना कश्यप को और सपा-आरएलडी ने पंकज मलिक को और बसपा ने सलमान सईद को अपना अपना उम्मीदवार बनाया है।

 खतौली विधानसभा 

इस सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 2,72,214 है। खतौली सीट पर सबसे ज्यादा 77 हजार मुस्लिम मतदाता, 57 हजार जाटव, 27 हजार सैनी, 19 हजार पाल और करीब 17 हजार कश्यप मतदाता हैं। इनके अलावा यहां गुर्जर, प्रजापति, जाट, ठाकुर और वैश्य वोटर भी अधिक मात्रा में हैं।

 2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा के विक्रम सिंह, ( 94771 वोट) ने सपा के चंदन सिंह चौहान ( 63397 वोट) को हराया था। जबकि बसपा के शिवन सिंह सैनी को 37380 वोट तथा रालोद के शाहनवाज राणा को 12846 वोट मिले थे।

2022 विधानसभा चुनाव के लिये सपा-रालोद ने यहां से सैनी चेहरा राजपाल सिंह सैनी को उतारा है। उम्मीद है कि सैनी वोटों के साथ मुस्लिम वोटबैंक भी उनके साथ आएगा। बसपा ने मुस्लिम चेहरा माजिद सिद्दीकी को टिकट देकर इसी रणनीति को काटने की कोशिश की है।

वहीं भाजपा ने मौजूदा विधायक विक्रम सैनी को अपना प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने गौरव भाटी को टिकट दिया है।

 मीरापुर विधानसभा सीट 

कुल 2,94,158 मतदाताओं वाले इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता निरणायक भूमिका में हैं। मीरापुर विधानसभा में क़रीब एक लाख 40 हज़ार मुस्लिम वोट हैं। उसके बाद जाट, गुर्जर, झोझा (मुस्लिम), कश्यप व पाल मतदाता हैं।

2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा के अवतार सिंह भड़ाना ने जीत जरूर हासिल की थी लेकिन वो अपने विपक्षी सपा के लियाक़त अली को मात्र 193 वोटों से हरा पाए थे। भाजपा के अवतार सिंह भड़ाना को 69035 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर सपा के लियाकत अली को 68842 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर बसपा के नवाजिश आलम खान थे, जिन्हें 39689 वोट मिले थे। जबकि रालोद के मिथिलेश पाल चौथे नंबर पर थे, इन्हें 22751 वोट मिले थे।

 पिछली बार सपा और रालोद अलग-अलग लड़े थे। और सपा प्रत्याशी लियाकत अली हजार से भी कम के अंतर से हारे थे। इस बार रालोद ने चंदन चौहान को उतारा है। सपा के साथ रहने से मुस्लिम वोट भी मिलने की उम्मीद है। कांग्रेस ने मौलाना जमील कासमी को टिकट दिया है। जबकि भाजपा से प्रशांत गुर्जर और बसपा से मोहम्मद शालिम को उम्मीदवार बनाया है।

 पुरकाजी विधानसभा सीट

मुज़फ़्फ़रनगर जिला में 6 विधानसभा सीटें हैं-बुढ़ाना, चरथावल, पुरकाजी, मुज़फ्फ़रनगर, खतौली और मीरापुर। परिसीमन के बाद साल 2008 में यह सीट अस्तित्व में आया पुरकाजी सीट अनुसूचित समुदाय के लिये आरक्षित है। कुल 3,03,532 मतदाताओं वाले इस विधानसभा सीट पर पुरकाजी सीट पर क़रीब एक लाख मुस्लिम, 58 हजार जाटव और 24 हजार जाट मतदाता हैं। उनके अलावा यहां पाल, ब्राह्मण, त्यागी और ठाकुर वोटर भी बहुत अधिक संख्या में हैं।

पुरकाजी सीट पर अब तक दो बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। साल 2012 विधानसभा चुनाव में बसपा के अनिल कुमार ने कांग्रेस के दीपक कुमार को 8908 वोटों के अंतर से हराया था। जबकि साल 2017 में भाजपा उम्मीदवार प्रमोद उत्तवाली ने कांग्रेस के दीपक कुमार को क़रीब 11 हजार मतों से हराया था। 

भाजपा ने अपने मौजूदा विधायक को ही दोबारा से चुनावी टिकट थमाया है। बसपा ने सुरेंद्र पाल सिंह को टिकट दिया है। सपा आरएलडी गठबंधन की ओर से आरएलडी ने अनिल कुमार को मैदान में उतारा है।

मुज़फ़्फ़रनगर की राजनीति पर सूक्षम नज़र रखने वाले आतिफ़ रज़ा कहते हैं- पुरकाजी विधनसभा क्षेत्र शैक्षिक और आर्थिक रूप से कितना पिछड़ा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पुरकाजी नगर पंचायत क्षेत्र में कोई भी सरकारी इंटरमीडिएट स्कूल और डिग्री कॉलेज नहीं है। क्षेत्र के लोगों द्वारा यहां शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने की मांग हुई, आंदोलन हुये, लेकिन हालात नहीं बदले। 

आतिफ़ रज़ा कहते हैं मुस्लिम जाट कांबिनेशन इस सीट पर आरएलडी के फेवर में है। जबकि जाटव मुस्लिम का कांबिनेशन बसपा के पक्ष में जा सकता है। दोनों ही कांबिनेशन में मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। और वो जिसके जीतने की उम्मीद ज़्यादा होगी उसके साथ जायेंगे।

 मुज़फ़्फरनगर सदर सीट

356283 मतदाताओं वाला मुज़फ़्फ़रनगर विधानसभा सीट मुज़फ़्फ़रनगर के अंतर्गत आती है। इस संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं संजीव कुमार बाल्यान, जो भारतीय जनता पार्टी से हैं। 

इस सीट पर वैश्य समाज की बाहुल्यता है और अधिकांशतः वैश्य प्रत्याशी ही जीतते आये हैं। इस ट्रेंड को देखते हुए सभी सियासी पार्टियां यहां वैश्य समाज से ही प्रत्याशी देती आई हैं।  2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा के कपिल देव अग्रवाल ने समाजवादी पार्टी के गौरव स्वरूप बंसल को 10704 वोटों के मार्जिन से हराया था।


मुज़फ़्फ़रनगर  में सपा-रालोद गठबंधन से सदर सीट पर पूर्व मंत्री चित्तरंजन स्वरूप के बेटे सौरभ स्वरूप को प्रत्याशी बनाया गया है। ब्राह्मण समाज के लोगों ने इस पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। हाईकमान से फैसला बदलने की मांग भी रखी है। कांग्रेस ने सुबोध शर्मा, बसपा ने पुष्पंकर पाल को अपना प्रत्याशी बनाया है। भाजपा ने मौजूदा विधायक कपिल देव अग्रवाल जोकि स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री भी हैं को रिपीट किया है।

इस सीट पर व्यापार और व्यापारी बड़ा मुद्दा हैं। इसके अलावा क़ानून व्यवस्था, शिक्षा, रोज़गार, महंगाई भी मुद्दा है। गन्ने का सही वक्त पर भुगतान और सही दाम इस इलाके का बड़ा मुद्दा रहा है। लंबे समय से गन्ना भुगतान की मांग सही वक्त पर करने की मांग उठती रही है। किसान आंदोलन का चेहरा बने राकेश टिकैत ने इस बार किसानों की आवाज़ को पुरजोर तरीके से उठाया है। लिहाजा, इस बार गुन्ना भुगतान के अलावा एमएसपी और बिजली बिल समेत किसानों की और भी कई मांगें हैं जो चुनाव का मुद्दा बन रही हैं।

(सुशील मानव जनचौक के विशेष संवाददाता हैं।)

सुशील मानव
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