विशेष रिपोर्ट: ढहता या स्मार्ट होता प्रयागराज?

प्रयागराज। इलाहाबाद की अधिकांश गलियों में इन दिनों एक दृश्य आम है, सड़क के किनारे खड़े मकानों पर लाल निशान और अपना घर खुद गिराने की क्रिया में जुटे लोग। किसी किसी सड़क से गुजरते हुए ऐसा लगता है, जैसे भूकंप ने धरती को झकझोर कर एक साथ सारे घरों को ढहा दिया है। लेकिन यह भूकंप नहीं, हाल ही में आया सरकारी फरमान है, जिसने घरों को मलबे का ढेर बना दिया है, ताकि शहर की सड़कें चौड़ी हो सकें और उन पर चारपहिया गाड़ियां सरपट दौड़ सकें।

इलाहाबाद में 2025 में होने वाले महाकुंभ के पहले शहर को पूरी तरह स्मार्ट बना देने का लक्ष्य रखा गया है। वास्तव में ये लक्ष्य ठेका प्राप्त कॉरपोरेट घरानों/निजी कंपनियों का है, जिन्हें लक्ष्य तक पहुंचाने में सरकार मदद कर रही है, वास्तव में शहर में उनके लिए रास्ता बनाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद को स्मार्ट बनाने का ठेका अमेरिका को मिला हुआ है, जैसे बनारस को स्मार्ट बनाने का करार जापान से हुआ है।

इलाहाबाद के कम से कम 20 मोहल्ले इस स्मार्टीकरण की चपेट में आ चुके हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक शहर के लगभग सवा तीन हज़ार घरों के मालिकों को नोटिस दी जा चुकी है, कि वे अपने घर का पूरा या एक हिस्सा खुद ध्वस्त करें, अन्यथा वहां बुलडोजर की कार्रवाई की जाएगी और फिर उसका खर्च भी उन्हीं से वसूला जाएगा, जो लगभग 9000 होगा। बुलडोजर के इस भारी भरकम खर्च से बचने के लिए अधिकांश लोग अपना घर खुद ढहा रहे हैं।

शहर के “स्मार्टीकरण” से सबसे अधिक प्रभावित मोहल्ला नैनी का है, जहां लगभग 1294 लोगों को भवन गिराने का नोटिस पकड़ाया जा चुका है। नैनी क्षेत्र में लप्रोसी मिशन चौराहे से मेवालाल की बगिया तक और एडीए मोड़ से अरैल की और जाने वाली सड़क के किनारे बसी बस्ती स्मार्टीकरण की चपेट में आ चुकी है। सड़क चौड़ी करने के लिए किनारे पर खड़े मकानों को सड़क की जगह छोड़ पीछे हटने का लाल चिन्ह लगाया जा चुका है।

दीवार पर लगा निशान।

नैनी के बाद सर्वाधिक प्रभावित मोहल्ला झूंसी है, जहां कुल 853 घरों को नोटिस दी गई है। यह ध्यान रखने की बात है कि इनमें से कई ऐसे भी हैं, जो किसी एक व्यक्ति के नाम पर है, लेकिन उनमें दो या दो अधिक परिवार कई हिस्सों में बंटकर रह रहे हैं। इस तरह प्रभावित परिवारों की संख्या कहीं अधिक है। इसके अलावा अल्लापुर, सलोरी, दारागंज, अलोपी के 554 मकान मालिकों को नोटिस मिली है।

पुराने शहर और कसारी मसारी के 288 मकान के मालिकों को और बमरौली, तेलियरगंज, मम्फोर्डगंज, सिविल लाइंस के इलाकों में कुल मिलाकर 202 घर के मालिकों को नोटिस मिल चुका है और उन्होंने अपने घरों को ढहाना भी शुरू कर दिया है।

इसी बीच गोविंदपुर मोहल्ले के लगभग 200 मकानों को मोतीलाल नेहरू इंजीनियरिंग कॉलेज की ओर से अपना पूरा घर गिराने की नोटिस भेजी गई है। जबकि इन घरों के मालिकों का कहना है कि इन्होंने मकानों की बाकायदा रजिस्ट्री कराई, सालों से बिजली पानी का बिल चुका रहे हैं, गृहकर दे रहे हैं, अगर ये घर गैरकानूनी थे, तो ये सारे बिल हमारे पास क्यों आते रहे, ये कनेक्शन हमारे नाम से क्यों दिए गए?

गौरतलब है कि गोविंदपुर के लोगों को मिली इस नोटिस पर न तो किसी के हस्ताक्षर है, न ही इसे किसी से औपचारिक तरीके से रिसीव ही कराया गया है, बस हर घर में नोटिस फेंक दी गई है। लोगों ने इसे कोर्ट में चुनौती देने का मन बना लिया है।

रसूलाबाद घाट की ओर जाने वाली सड़क पर चलना इन दिनों खतरे से खाली नहीं है, कब टूटते घरों का मलबा सिर के ऊपर आ गिरे कहा नहीं जा सकता। लोग अपना घर बदहवास होकर ढहा रहे हैं। ढहाए जा रहे अधिकांश घर काफी छोटे हैं और कम से कम 30-35 साल पुराने हैं। कुछ घरों के अंदर दूसरी पीढ़ी का बंटवारा भी हो चुका है। जिसके हिस्से सड़क की ओर का कमरा आया, उसका तो पूरा घर ही इस फरमान से खो गया। सरकार उन्हें उजाड़ने पर तुली है और उनके हिस्सेदार उन्हें अपने छोटे से घर में कहां बसाएं समझ नहीं पा रहे।

तोड़ा जाता घर और पंजाब नेशनल बैंक का एटीएम।

लोगों की शिकायत है कि जब लोग सालों पहले सड़क की ओर बढ़कर घर बनवा रहे थे, तो एडीए के अधिकारी से लेकर पटवारी तक कहां थे? उन्होंने उस समय अपनी आंखें जानबूझ कर बंद रखी हुई थीं, वरना अगर उसी समय उन्होंने लोगों को रोक दिया होता, तो इतना नुकसान नहीं होता। उस वक्त उन्होंने न सिर्फ लोगों को घर बनने दिया, बल्कि कई सरकारी बैंकों के एटीएम भी इन्हीं बढ़ी हुई दुकानों में खोले गए।

बात सिर्फ रिहायशी घर की नहीं है, सड़क के किनारे बसे घर के आगे के हिस्से में अधिकांश लोगों ने दुकानें खोल रखी हैं, बेरोजगारी के दौर में ये छोटी-छोटी दुकानें ही अधिकांश घरों का सहारा हैं, लेकिन अब इस सहारे पर भी स्मार्ट सिटी की सड़क चढ़ने जा रही है। लोगों की बेचैनी का ये एक और बड़ा कारण है। कुछ बुजुर्ग हैं, जिनके जीने का सहारा उनके बेटे नहीं, बल्कि किराए पर दी गई छोटी सी दुकान है।

जीविका खोने जा रहे लोग सरकार से कम से कम मुआवजा चाहते हैं, लेकिन प्रशासन इसके लिए तैयार नहीं है, जब जमीन उनकी थी ही नहीं, तो मुआवजा कैसा? रसूलाबाद क्षेत्र के पार्षद के साथ लोगों ने सरकारी दफ्तरों के चक्कर भी लगाए, सड़क की चौड़ाई कम करने की भी गुहार लगाई, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

विडंबना यह है कि इसी सड़क पर एक साल पहले बुलडोजर से ढहाया गया गुलाम का पैतृक घर भी है। पुलिस ने गुलाम को अतीक अहमद के बेटे असद के साथ कथित मुठभेड़ में मार दिया था और रसूलाबाद स्थित उसके घर को उसी समय ढहा दिया गया था। उस सड़क पर पड़े घरों के मलबे में सबसे पुराना मलबा इसी घर का है। घर के अंदर का संसार अभी भी मलबे से झांक रहा है, और उस पर झाड़ियां उग आई हैं। सड़क के किनारे स्थित सिर्फ इसी घर में कोई हलचल नहीं है।

बुजुर्ग जिनकी जीविका दुकान के किराए से चलती थी।

“जब इस घर पर बुलडोजर चला था, क्या किसी ने विरोध किया था” यह सवाल पूछे जाने पर लोग चुप हो जाते हैं, सामने हलवाई की दुकान पर रसगुल्ला खाते एक सज्जन बोल पड़ते हैं।

“कोई बोला नहीं था, लेकिन बहुत गलत हुआ था, ये घर गुलाम का नहीं उसके पिता का था। सबको अपना घर गिराते हुए याद तो आ रही होगी।”

पता नहीं लोगों को याद आ रही है या नहीं, लेकिन गुलाम के घर का मलबा लोगों को घूरता सा ढहा पड़ा है, फादर निमोलर की यह प्रसिद्ध  कविता दोहराते –

पहले वे उनके लिए आए

मैंने कुछ नहीं कहा

…..

जब वे मेरे लिए आए

मेरे लिए बोलने वाला कोई नहीं था।

आज ही अखबार में यह खबर है कि ज्ञानपुर जिले में रावण का वध करने राम बुलडोजर पर सवार होकर आए, और जनता यह देख रोमांचित हो गई। इसी बुलडोजर पर सवार होकर सरकारी महकमा कब किसके घर पहुंच जाएगा, कहा नहीं जा सकता क्योंकि शहरों को स्मार्ट किया जाना है।

(सीमा आज़ाद, पीयूसीएल उत्तर प्रदेश की अध्यक्ष हैं।)

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XYZ
XYZ
Guest
6 months ago

नमस्ते
बड़े दिनों बाद कुछ अच्छा पढ़ा।

Arun
Arun
Guest
6 months ago

Harwara dhoomanganj ncr rode pr 10 baar nishaan lg chuka hai lekin yaha to koi ata he nahi

Puchne bhi ki kya huwa nishaan ka jo lga huwa tha

Ashok
Ashok
Guest
6 months ago

इन अतिक्रमण कारियों की वजह से लोगों जीना दूभर हो गया था ट्रैफिक तो रोज बढ़ता जाएगा अगर अतिक्रमण नहीं हटाया तो फ्यूचर में क्या होगा? ये सीमा आज़ाद खुद कहीं अतिक्रमण करके बैठी होगी जो ज्ञान दे रही है

Yogi
Yogi
Guest
6 months ago

परमात्मा सब का ध्यान रखें।

Waseem
Waseem
Guest
6 months ago

Like it’s

SURAJ KUMAR
SURAJ KUMAR
Guest
6 months ago

Very good news

Dr.S.A.Panfey
Dr.S.A.Panfey
Guest
5 months ago

खबर लिखने वाले की तल्खी शासकीय कार्यवाही पर है जिसमें प्रभावित होने वाले लोगों के दर्द के प्रति उनकी पीड़ा किसी विशेष परिप्रेक्ष्य में है न की शासकीय नीति की समग्रता में।