प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्रः नहीं मिला इलाज, रिक्शे में मां के कदमों तले निकली जवान बेटे की जान

कोविड-19 की स्थिति विस्फोट हो गई है हालात पिछले साल से भी बदतर हो गये हैं। कोरोना मरीजों की बाढ़ के चलते पिछले साल की ही तरह अन्य गंभीर रोगों से पीड़ित मरीजों और प्रसूताओं को इलाज नहीं मिल पा रहा है। इसकी वजह से उन्हें असमय ही अपनी जान गंवानी पड़ रही है।

ताजा मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का है। यहां किसी अस्पताल में इलाज न मिलने के कारण किडनी की गंभीर बीमारी से ग्रस्त एक युवक की असमय ही मौत हो गई है। ख़बरों के मुताबिक जौनपुर जिले के मड़ियाहू निवासी विनीत सिंह की तबीअत सोमवार को खराब हुई तो मां चंद्रकला जवान बेटे को लेकर बीएचयू भागीं, लेकिन कोरोना का हवाला देकर उन्हें इलाज देने से मना कर दिया गया। लाचार मां तड़पते बेटे को लेकर ककरमत्ता के एक प्राइवेट अस्पताल गईं, लेकिन प्राइवेट अस्पताल ने भी कोरोना गाइडलाइंस का हवाला देकर हाथ खड़े कर लिए। मां, बेटे को लेकर वाराणसी की सड़कों पर तमाम अस्पतालों में मौत से लड़ते बेटे को लिए इलाज मांगती रहीं, लेकिन हर ओर से उन्हें निराशा ही मिली। थक हार कर जवान बेटे ने ऑटोरिक्शा की फर्श पर मां के पैरो में ही दम तोड़ दिया।

दिवंगत विनीत मुंबई में रह कर काम करते थे। पिछले साल दिसंबर में एक पारिवारिक शादी में शामिल होने के लिए वो अपने गांव लौटे थे, लेकिन तब से बीमार होने की वजह से वो वापस नहीं जा सके। घर वालों ने जौनपर में डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने बताया कि विनीत सिंह को किडनी संबंधी गंभीर बीमारी है। अतः उन्हें बीएचयू लेकर जाओ, क्योंकि इसका इलाज महंगा है और हर जगह नहीं मिल पायेगा।

विनीत सिंह के ताऊ विनय सिंह बताते हैं कि दिसंबर से अब तक हम लड़के को लेकर पांच बार बीएचयू में लंबी लाइन में खड़े हुए, लेकिन कभी किसी डॉक्टर ने नहीं देखा। विनीत सिंह चार भाई और एक बहन में तीसरे नंबर पर थे।

पिछले साल की ही तरह इस साल भी किडनी, हृदय, कैंसर और डायबिटीज जैसी बीमारियों से ग्रस्त मरीजों के लिए मुश्किल हो रही है। जो मरीज डायलिसिस पर हैं उन्हें ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

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