प्रोफेसर पर हमास के समर्थन का झूठा आरोप, आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसरों ने किया विरोध

नई दिल्ली। फिलिस्तीन पर इजराइल के हमले का दुनिया भार में विरोध हो रहा है। अमेरिका और कुछ यूरोपीय देश इस मुद्दे पर इजराइल के साथ खड़े हैं। पीएम मोदी ने भी इजराइल के समर्थन में बयान दिया था। लेकिन बाद में उन्होंने गाजा के अल अहली अस्पताल में जानमाल की हानि और पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की थी। और चल रहे संघर्ष में नागरिकों के हताहत होने को गंभीर चिंता का विषय बताया था। पीएम मोदी ने फिलिस्तीन हमले पर जो भी बयान दिया है उसका भारत की विदेश नीति से कम देश की घरेलू राजनीति से ज्यादा वास्ता रखता है।

इजराइल हमले के बाद से ही देश में संघ-भाजपा के लोग हमास को आतंकी संगठन बताते हुए मुसलमानों पर टिप्पणी करना शुरू कर दिए। संघ-भाजपा के इस कदम से पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।इसलिए संघ-भाजपा से जुड़े लोग हमास को आतंकी संगठन बताते हुए इजराइल के हमले का समर्थन करने लगे। और फिलिस्तीन के प्रति सहानुभूति रखने वालों और गाजा में महिलाओं-बच्चों की निंदा करने वालों को हमास का समर्थक बताने लगे।

आश्चर्य तो उस समय हुआ जब आईआईटी मुंबई की एक प्रोफेसर पर हमास के महिमामंडन का आरोप लगाया गया। प्रोफेसर पर यह आरोप संघ से जुड़े विवेक विचार मंच ने लगाया था। लेकिन अब आईआईटी, मुंबई के कई प्रोफेसर आरोपी महिला के पक्ष में खड़े हो गए हैं, और प्रोफेसर पर लगे आरोप को झूठा बता रहे हैं।

दरअसल, आईआईटी बॉम्बे के संकाय सदस्य एक प्रोफेसर और एक अतिथि वक्ता के समर्थन में खड़े हो गए हैं, जिन्हें इस दावे पर विरोध का सामना करना पड़ा था कि उन्होंने और एक अन्य अतिथि वक्ता ने इज़राइल के खिलाफ हमास की कार्रवाई का महिमामंडन किया था।

आईआईटी बॉम्बे के फैकल्टी फोरम ने मंगलवार को एक बयान जारी कर मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग की प्रोफेसर शर्मिष्ठा साहा की प्रतिष्ठा को धूमिल करने की धमकियों और प्रयासों की निंदा की।

विवेक विचार मंच नाम के एक समूह ने दावा किया है कि साहा और अतिथि वक्ता सुधन्वा देशपांडे ने पिछले हफ्ते आईआईटी में एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘अर्नाज़ चिल्ड्रेन’ की स्क्रीनिंग के बाद एक चर्चा के दौरान हमास का महिमामंडन किया था।

आईआईटी, मुंबई के प्रोफेसरों ने एक बयान जारी कर कहा कि “फैकल्टी फोरम गुमनाम फोन कॉल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट के माध्यम से हमारे एक सहकर्मी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने और शारीरिक नुकसान पहुंचाने की धमकियों से बिल्कुल व्यथित है। उनके द्वारा हमास या आतंकवादियों का समर्थन करने के बारे में सोशल मीडिया में लगाए गए आरोप गलत सूचना और झूठ पर आधारित हैं।”

फोरम ने कहा कि उसने साहा के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की थी और उन्होंने आरोपों से इनकार किया है। “आघात से गुजर चुके बच्चों को ठीक करने की कला की प्रासंगिकता” के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में उनके द्वारा फिल्म की स्क्रीनिंग की गई थी। ‘अर्नाज़ चिल्ड्रेन-2004’ दो यहूदी थिएटर हस्तियों द्वारा स्थापित द फ़्रीडम थिएटर की डॉक्यूमेंटरी है। फिल्म ने अंतरराष्ट्रीय समारोहों में कई पुरस्कार जीते हैं और यह यूट्यूब पर मुफ्त में उपलब्ध है।

थिएटर कलाकार देशपांडे को दर्शकों को फिल्म की प्रासंगिकता से परिचित कराने और स्क्रीनिंग के बाद की चर्चा के लिए अतिथि वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था। एक छात्र, जो पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं था, ने ऐसा न करने के लिए कहे जाने के बावजूद व्याख्यान सत्र को अपने मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड कर लिया।

“पूरे सत्र के दौरान, हमारे सहयोगी ने न तो आतंकवाद के बारे में कोई राय व्यक्त की और न ही हमास के बारे में कोई राय व्यक्त की। कक्षा में व्याप्त डरावने माहौल के कारण वह न तो फिल्म पर और न ही श्री देशपांडे द्वारा की गई टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देने में सक्षम थी। रिकॉर्डिंग (जो उनके स्पष्ट इनकार के बावजूद बनाई गई थी) सोशल मीडिया पोस्ट पर डाली गई थी और थी। और कुछ टीवी चैनलों पर भी दिखाया गया।”

विवेक विचार मंच से जुड़े होने का दावा करने वाले कुछ लोगों ने साहा के नाम और तस्वीरों वाले बड़े होर्डिंग लेकर आईआईटी के मुख्य द्वार पर नारे लगाए। उन्होंने साहा पर देशद्रोही होने का आरोप लगाया, उन्हें जान से मारने की धमकी दी और उन्हें आईआईटी बॉम्बे से हटाने की मांग की।

बयान में कहा गया है कि “आईआईटी बॉम्बे का फैकल्टी फोरम हमारे सहकर्मी के खिलाफ हिंसा का आह्वान, होर्डिंग्स में उसकी तस्वीर और नाम का इस्तेमाल, पक्षपातपूर्ण जानकारी और झूठे दावों के माध्यम से प्रिंट, टीवी और सोशल मीडिया में उसकी प्रतिष्ठा को धूमिल करना कि वह हमास और आतंकवाद का समर्थन करती हैं, की कड़ी निंदा करता है।”

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