बीएचयू बलात्कार आरोपियों को सत्ता का संरक्षण: पीयूसीएल

बीएचयू बलात्कार घटना में सत्ता पक्ष के लोगों की संलिप्तता और राज्य में महिलाओं पर बढ़ते अपराध गंभीर चिंता का विषय है। हर साल के अंत में जारी होने वाले राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं पर होने वाले अपराधों के मामले में उत्तर प्रदेश पूरे देश में पहले स्थान पर है। यह उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किए जा रहे दावों के विपरीत है और यह हम सब के लिए गंभीर चिंता का विषय है।

ऐसी स्थिति न सिर्फ़ महिलाओं की सुरक्षा के लिए चिंताजनक है, बल्कि यह समाज के अमानवीय होते जाने का सुबूत है। यह इसका प्रमाण है कि समाज का शैक्षिक और मानवीय स्तर काफी खराब हालत में जिसके लिए मुख्य रूप से राज्य की सरकार जिम्मेदार है।

उत्तर प्रदेश की सरकार महिलाओं पर बढ़ते अपराधों को रोक पाने में न सिर्फ असफल है, बल्कि लगातार सामने आते तथ्य यह बता रहे हैं कि अपराधी उनके यहां संरक्षण भी प्राप्त कर रहे हैं, यह बेहद चिंताजनक स्थिति है।

इस साल की शुरुआत वाले दिन ही यह खबर सामने आई कि 1 नवंबर को बीएचयू परिसर के अंदर हुए सामूहिक बलात्कार में जो तीन लड़के शामिल थे, वे भाजपा के आईटी सेल से जुड़े हुए थे। 

यह बात भी बलात्कार की घटना के समय ही सामने आने लगी थी, कि दोषी लड़के सत्तारूढ़ बीजेपी से जुड़े हैं, इसी कारण उन्हें बचाने की कोशिश की जा रही है। एफआईआर में शुरुआत में मात्र छेड़खानी की धाराएं लगाई गईं, लेकिन बहादुर पीड़ित लड़की के मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयान के बाद दोषियों पर गैंग रेप की धाराएं बढ़ाई गईं। 

बीएचयू के आंदोलनकारी छात्रों का कहना है कि दोषी लड़कों की गिरफ्तारी भी तभी संभव हो सकी, जबकि बनारस में संबंधित पुलिस अधिकारी का तबादला हुआ। वरना बीएचयू के कैमरों के द्वारा लड़कों की पहचान हो चुकी थी, उन्हें चिन्हित करना बेहद आसान था, जैसा कि बाद में किया गया। 

उन्हें चिन्हित करने के साथ यह भी पाया गया कि तीनों लड़के नियमित रूप से रात के समय बीएचयू परिसर में एक ही मोटरसाइकिल पर प्रवेश करते थे और लड़कियों के साथ बदसलूकी करते थे। लेकिन जगह-जगह कैमरे लगाने वाला, लड़कियों के आवागमन को नियंत्रित करने वाला बीएचयू प्रशासन और पुलिस प्रशासन उन पर नज़र नहीं रख सकी, उन पर कार्यवाही करना तो दूर की बात है।

भारतीय समाज के साथ भारतीय राजनीति के लिए यह बेहद खतरनाक और चिंताजनक है कि तीनों बलात्कारी लड़के बलात्कार की घटना को अंजाम देने के बाद मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी का चुनाव प्रचार करते रहे, यानि पार्टी में संरक्षण पाए रहे। इतना ही नहीं उनकी तस्वीरें बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के अलावा केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, गृह मंत्री अमित शाह और प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी तक के साथ है। 

एनआईए और अन्य कई एजेंसियों द्वारा सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक-एक गतिविधि पर नज़र रखने वाली सरकार अपनी ही पार्टी में बैठे यौन हिंसा के अपराधियों पर नज़र नहीं रख सकी और उन्हें संरक्षण देती रही, यह चिंता की बात है।

एनसीआरबी के आंकड़ों को इस तथ्य के साथ भी जोड़ा जाना चाहिए कि बलात्कार और यौन अपराध की कई घटनाओं में बीजेपी से जुड़े लोगों (यहां तक कि सांसद, विधायक, मंत्री भी) की लिप्तता खुले तौर पर सामने आई है, और अगर नहीं भी है तो सरकार के तौर पर वे बलात्कारियों और यौन हिंसा करने वाले आरोपी के साथ खड़े रहे हैं, हाथरस इसका सबसे ज्वलंत उदाहरण है।

हाथरस से लेकर बीएचयू तक में सरकार ने बलात्कार के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों पर ही मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेजने का काम किया है।

हाथरस में उत्तर प्रदेश सरकार ने पत्रकार सिद्दीक कप्पन को यूएपीए में जेल भेजा और बीएचयू के ताजा मामले में एबीवीपी के लोगों ने आंदोलनकारी छात्र-छात्राओं के खिलाफ एससीएसटी जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी इस झूठे मुकदमे में एबीवीपी का पूरा साथ दिया। यह सारे तथ्य सार्वजनिक हो चुके हैं। 

बेहद चिंताजनक होने के साथ ये तथ्य उत्तर प्रदेश में महिलाओं पर बढ़ते अपराध के महत्वपूर्ण कारणों की ओर इशारा करते हैं। उत्तरप्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण संसदीय सीट बनारस जहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद सांसद हैं, में हर 6 दिन में एक बलात्कार होने का आंकड़ा आया है। 

ये सारे तथ्य आंकड़े उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के दावों के विपरीत प्रदेश की भयानक तस्वीर पेश करती है जो कि बेहद चिंताजनक है।

उत्तरप्रदेश पीयूसीएल एनसीआरबी के आंकड़े और बीएचयू बलात्कार मामले में एक बार फिर सत्ता से जुड़े लोगों की संलग्नता पर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करता है और यह मांग करता है कि :

1- प्रदेश में महिलाओं पर बढ़ते यौन हमलों को रोकने के लिए गंभीरता पूर्वक विचार कर हर संभव और सख्त कदम उठाए जाएं।

2- बीएचयू बलात्कार घटना में गिरफ्तार लड़के चूंकि सत्ता पक्ष से जुड़े हैं, इसलिए यह सुनिश्चित किया जाय कि जांच एजेंसियां सरकारी दबाव से मुक्त होकर कानूनी प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकें और पीड़ित लड़की को न्याय दिलवा सकें।

3- न्याय सुनिश्चित करने के लिए हमारी मांग है कि मुकदमे को गैर भाजपा शासित राज्य में ट्रांसफर किया जाय। क्योंकि न्याय के सिद्धांत के अनुसार न्याय होता हुआ दिखाना भी जरूरी है।

(पीयूसीएल उत्तर प्रदेश द्वारा जारी।)

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