प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियों की जीएसटी चोरी पर अब सार्वजनिक बीमा कंपनियां कमर कस रही हैं

नई दिल्ली। सितंबर, 2022 से ही खबर आ रही थी कि देश की 15 निजी बीमा कंपनियों सहित कई नॉन-बैंकिंग फाईनेंशियल कंपनियों (एनबीएफसी) के द्वारा कथित तौर पर 824 करोड़ रुपये मूल्य के जीएसटी की चोरी की जा रही थी। सूत्रों के मुताबिक ये कंपनियां अपने माल एवं सेवाओं की आपूर्ति को स्थापित किये बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की सुविधा का लाभ उठा रही थीं। एक मीडिया एजेंसी की रिपोर्ट बताती है कि आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल इंश्योरेंस सहित कई अन्य बीमा कंपनियां आईटीसी का लाभ उठा रही थीं। और जांच करने पर खुलासा हुआ है कि इस प्रकार के अनुचित आईटीसी को हासिल करने के लिए मार्केटिंग सेवाओं सहित अन्य फर्जी बिलों के जरिये आपसी रजामंदी से एक सुनियोजित हथकंडा अपनाया गया है।

बैठक में बीमा कर्मचारी

इन कारगुजारियों से परिचित सूत्रों का कहना था कि इस मोडस ओपेरंडी को बीमा कंपनियों की अनुमति से ही सुनियोजित तरीके से चलाया जा रहा है। जांच से पता चला है कि यह कार्य जीएसटी को लागू किये जाने के बाद से ही अमल में लाया जा रहा है। इस संबंध में जीएसटी इंटेलिजेंस के महानिदेशक (डीजीजीआई) के द्वारा विभिन्न शहरों में बीमा कंपनियों एवं एनबीएफसी के दफ्तरों पर जांच की गई। जांच के दौरान ही सूत्रों ने मीडिया एजेंसी को सूचित किया था कि आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ने सीजीएसटी एक्ट, 2017 के अनुच्छेद 74(5) के तहत अपनी स्वेच्छा से 100 करोड़ रुपये नकद चुकता कर दिए थे। 824 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी में अभी तक विभिन्न बीमा कंपनियों की ओर से जीएसटी के मद में कुल 217 करोड़ रुपये चुकता कर दिए गये थे।

जनरल इंश्योरेंस इम्प्लाइज ऑल इंडिया एसोसिएशन की बैठक

लेकिन अब सार्वजनिक उपक्रम की बीमा कंपनियों की ओर से इस मामले में पहल ली गई है, और इस मुद्दे पर बड़ा अभियान चलाए जाने की योजना है। इस सिलसिले में देश की सबसे पुरानी ट्रेड यूनियन एटक की महासचिव एवं जनरल इंश्योरेंस इम्पलाइज आल इंडिया एसोसिएशन की अध्यक्ष अमरजीत कौर की अध्यक्षता में जनरल इंश्योरेंस इम्प्लाइज ऑल इंडिया एसोसिएशन ने 7 मई, 2023 को पुणे, महाराष्ट्र में अपनी 63वीं कार्यसमिति की बैठक आयोजित की और बीमा उद्योग के समक्ष मौजूदा चुनौतियों और मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया।

बैठक में बीमा कर्मचारी

जनरल इंश्योरेंस इम्प्लाइज ऑल इंडिया एसोसिएशन के महासचिव त्रिलोक सिंह ने कहा है कि वर्तमान में जनरल इंश्योरेंस क्षेत्र एक लाख पच्चीस हजार करोड़ से अधिक का कारोबार कर रहा है और भारत सरकार की सभी सामाजिक योजनाओं जैसे कि आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, कोरोना कवच सहित कई अन्य योजनाओं को लागू कर सभी महत्वपूर्ण सामाजिक जिम्मेदारियों का भी निर्वहन कर रहा है। इससे भारत का वंचित वर्ग और किसान सीधे लाभान्वित होता है, और इसके लिए व्यावसायिक घाटे की स्थिति के बावजूद जीआईसी कभी अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटा है, जबकि कॉर्पोरेट क्षेत्र की बीमा कंपनियों के लिए यह बाध्यता नहीं है। समिति की ओर से भारत सरकार से मांग की गई है कि आईआरडीए उन निजी कम्पनियों पर भारी जुर्माना लगाकर सख्त कार्रवाई करे अथवा उनके लाइसेंस रद्द करे जिन्होंने जीएसटी और आयकर का भुगतान न कर सरकार को चूना लगाया है। यह राशि हजारों करोड़ में है, और ये निजी कम्पनियां बीमा क्षेत्र को बदनाम कर रही हैं।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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