अर्णब के चैट से बेपर्दा हुआ सरकार और मीडिया के बीच का रिश्ता

रिपब्लिक टीवी संस्थापक मालिक व गोदी मीडिया के आधार स्तंभ अर्णब गोस्वामी का वाट्सअप चैट लीक होने के साथ ही मोदी सरकार भी नंगी हो गई है। अर्णब गोस्वामी के 512 पन्नों के वॉट्सअप चैट से ये साबित हो जाता है कि गोदी मीडिया और मोदी सरकार का नाभिनाल का संबंध है और किस तरह से सरकार और सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ़ होने वाले आंदोलन और उठने वाली आवाज़ों को गोदी मीडिया सरकार के इशारे पर नंगे होकर रौंदता है। इस वॉट्सअप चैट के वायरल होने से मोदी सरकार और गोदी मीडिया के चरित्र की कई घिनौनी परतें खुलती हैं। जिसमें सैनिकों की हत्या को इवेंट में बदलकर राष्ट्रवाद के चरस से अवाम को उन्मादित करना और तमाम जनसमस्याओं को बाईपास कर देना, लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या करते हुए विपक्षी दलों को घेरकर उनको शत्रु साबित करना, असहमित को राष्ट्रविरोधी साबित कर देना, और टीआरपी की अंधी दौड़ में सारी नैतिकताओं को खत्म कर देना शामिल है।

वॉट्सअप चैट्स में अर्णब गोस्वामी कई जगह पीएमओ, एनएसए और सूचना प्रसारण मंत्रालय में अपनी पैठ होने का दावा करते हैं। वॉट्सअप चैट्स ये भी साबित करती हैं कि अर्णब गोस्वामी टीआरपी लेने के लिए बार्क प्रमुख पार्थोदास गुप्ता के साथ फिक्सिंग करते हैं। पार्थोदास ने वॉट्सएप और ईमेल के जरिये गोपनीय डेटा अर्णब को मुहैया कराया और बदले में अर्णब की राजनीतिक पहुँच का इस्तेमाल करके खुद को पीएमओ में काम दिलाने की मांग करता है।

क्या सत्ता वापसी के लिए ही पुलवामा, और बालाकोट स्ट्राइक हुआ? अर्णब गोस्वामी के चैट से शंका को बल

जुलाई 2018 से लेकर फरवरी 2019 के दरम्यान यानि मोदी सरकार के पहले शासनकाल के आखिरी 6 महीने के दौरान इस देश का कोई ऐसा वर्ग (सत्तावादी वर्ग छोड़कर) नहीं बचा था जिसने मोदी सरकार के खिलाफ़ सड़क पर उतरकर मोर्चा न खोला हो। छात्र, आदिवासी, दलित, आशा वर्कर, आंगनवाड़ी वर्कर, शिक्षामित्र, रिटायर्ड सैनिक, एडहॉक अध्यापक, पिछड़ा वर्ग, सफाईकर्मी, बिजलीकर्मी, बैंककर्मी, किसान, मजदूर लगभग हर वर्ग ने आंदोलन करके केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ़ मोर्चा खोला था। उस वक़्त एक रिपोर्टर के तौर पर मोदी सरकार के आखिरी 8 महीने में मैं रोजाना ही जंतर-मंतर और पार्लियामेंट स्ट्रीट से रिपोर्टिंग कर रहा था और सरकार के खिलाफ़ तैयार हुए जनमत को बहुत नजदीक से देख सुन रहा था। लेकिन पुलवामा में आतंकी हमले में 44 जवानों की दर्दनाक मौत को राजनीतिक इवेंट में बदलते और फिर बालाकोट स्ट्राइक को मोदी सरकार का ब्रह्मास्त्र बनकर राजनीतिक बाजी पलटते देखा है। उस समय और बाद में भी कई बार ये बाते आम जनों के बीच कही सुनी गई कि पुलवामा में 44 जवानों की हत्या की घटना प्रायोजित थी। और उसके पीछे कई अकाट्य तर्क भी हैं कि सरकार ने इंटेलिजेंस की सूचना के बावजूद सीआरपीएफ के जवानों को हेलीकॉप्टर क्यों नहीं मुहैया करवाया। साथ ही ये भी कि आज तक जांच एजेंसियां हमले में प्रयुक्त 60 किलो आरडीएक्स का पता क्यों नहीं लगा पाईं।      

लेकिन अब अर्णब गोस्वामी और बार्क प्रमुख पार्थोदास गुप्ता के बीच फरवरी 2019 में हुए वॉट्सअप चैट से पुलवामा हमले और बालाकोट स्ट्राइक के फिक्स होने की शंका को बल मिला है। सोशल मीडिया पर लोग वायरल चैट को पोस्ट करके पुलवामा कांड पर सवाल खड़े कर रहे हैं।    

बता दें कि 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा हमले के ठीक बाद अर्णब गोस्वामी और पार्थोदास गुप्ता के बीच बातचीत हुई है जबकि इस देश के प्रधानमंत्री (जो कि उस वक्त डिस्कवरी चैनल के लिए एक वीडियो शूट कर रहे थे) को हमले की जानकारी घंटों बाद मिली जैसा कि खुद उनके द्वारा दावा किया जाता रहा है। वहीं बालाकोट स्ट्राइक जो कि 26 फरवरी को हुई थी उसे लेकर तीन दिन पहले यानि 23 फरवरी 2019 को ही अर्णब गोस्वामी की पार्थो से बातचीत हुई है। इस वायरल चैट के कुछ वाक्यांश देखिए-

अर्णब गोस्वामी – “कुछ बड़ा घटित होगा।”

पार्थो दास गुप्ता- “दाऊद?”

अर्णब गोस्वामी- “नहीं सर पाकिस्तान। इस बार कुछ बड़ा किया जाएगा।”

पार्थो दासगुप्ता- “अच्छा।”

पार्थो दासगुप्ता- “इस समय में बिग मैन के लिए यह अच्छा है।”

पार्थो दासगुप्ता- “फिर तो चुनाव में वह स्वीप कर देंगे।”

पार्थो दासगुप्ता- “स्ट्राइक? या उससे बड़ा?”

अर्णब गोस्वामी- “एक सामान्य स्ट्राइक से कुछ बड़ा। और इसके साथ ही कश्मीर पर कुछ महत्वपूर्ण होगा। पाकिस्तान पर सरकार इस तरह से हमला करने के लिए आश्वस्त है कि लोगों को खत्म कर दिया जाएगा। सटीक शब्दों का इस्तेमाल किया।”

वहीं बालाकोट स्ट्राइक के बाद अर्णब गोस्वामी चैट पर कहते हैं- “यह हमला हमने पागलों की तरह जीता है।”

साथ ही बालाकोट स्ट्राइक को वो अपनी बड़ी जीत बताते हैं। उसके बाद की कहानी तो देश ने रिपब्लिक भारत पर देखा ही है कि राष्ट्रवाद के नाम पर उन्होंने क्या किया था। फिर जिस तरह से अर्णब गोस्वामी विश्वासपूर्वक कहते हैं कि पाकिस्तान पर हमले के साथ ही कश्मीर पर भी कुछ बड़ा करेगी सरकार। उससे ये पता चलता है कि कश्मीर के विघटन और धारा 370 पर मोदी सरकार ने उसी वक्त कुछ करने का मन बनाया था और इसकी पूर्व सूचना अर्णब गोस्वामी को थी। लेकिन उस वक़्त शायद चुनाव के चलते सरकार ने कश्मीर को नहीं छुआ और सत्ता वापसी के ठीक बाद 5 अगस्त, 2019 को कश्मीरियों को बंधक बनाकर कश्मीर के तीन टुकड़े कर डाले।  

   गोदी मीडिया के पीएमओ से मधुर संबंध

अर्णब गोस्वामी और पार्थोदास गुप्ता के बीच व्हाट्सएप पर हुई चैट में अर्णब गोस्वामी ने यह साफ-साफ जाहिर किया है कि उनका प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), सूचना और प्रसारण मंत्रालय तथा ‘एएस’ से कितना घनिष्ठ संबंध है। बता दें कि नृपेंद्र मिश्रा के मार्फत रजत शर्मा (इंडिया टीवी के संस्थापक, मालिक) की पहुंच सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय तक रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय में नृपेंद्र मिश्रा रजत शर्मा का फेवर करते थे। उनके कार्यकाल को खत्म होने को अर्णब गोस्वामी रजत शर्मा की पहुंच खत्म होने और अपना समय शुरु होने के तौर पर देखते हैं और इस बात को पार्थोदास के साथ चैट में साझा करते हैं। वहीं नई सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी को अर्णब गोस्वामी अपना ग्रेट फ्रैंड बताते हैं। और उन्हें पुरस्कार समारोह में बुलाकर सम्मानित करने की बात कहते हैं। इसके अलावा वो स्मृति ईरानी को राज्यवर्धन सिंह राठौर से अच्छा बताते हैं। बता दें कि स्मृति ईरानी से पहले सूचना प्रसारण मंत्रालय राज्यवर्धन सिंह राठौर के पास था। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्मृति ईरानी समेत सरकार के कई मंत्रियों से उनके संबंध इतने मधुर हैं कि वो जब चाहे उनसे मिल बैठ सकते हैं।

अर्णब गोस्वामी के चैट से ये भी पता चलता है कि मोदी सरकार में अरुण जेटली अर्णब के खिलाफ़ थे। और वॉट्सअप चैट में एक जगह वो अरुण जेटली को कोट करके कहते भी हैं कि जेटली जा नहीं रहे हैं। जेटली फंसाये हुये हैं। यानि एक तरह से अरुण जेटली के मरने को मना रहा है।       

मार्च 2019 के वॉट्सऐप चैट में अर्णब से एक व्यक्ति कह रहा है कि वे PMO के जरिए मदद की कोशिश करें। इस पर अर्णब कह रहे हैं- noted and will happen. आगे वे लिख रहे हैं कि गुरुवार को वे प्रधानमंत्री से मुलाकात कर सकते हैं।

अप्रैल 2019 के एक स्क्रीनशॉट के मुताबिक, अर्णब से बातचीत कर रहा व्यक्ति कह रहा है कि क्या वे AS से टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी TRAI पर दबाव बनाने को कह सकते हैं? साथ ही अर्णब यह भी कह रहे हैं कि क्या आप मुझे तीन पॉइंट में यह बता सकते हैं कि TRAI की कार्रवाई राजनीतिक तौर पर कैसे AS के खिलाफ जा सकती है। अब ये स्पष्ट नहीं है कि ये एस (AS) कौन है? ट्राई पर दबाव बनाने की कूबत किस AS में है। क्या ये अमित शाह हैं?

जुलाई 2019 की एक चैट में अर्णब ने लिखा- ‘प्लीज देखिए, किस तरह हफ्ते दर हफ्ते मुझ पर असर पड़ रहा है। कोई राहत नहीं मिल पा रही। अब हम ब्रेक स्ट्रैटजी का रिव्यू करने वाले हैं।’

इस पर पार्थो दासगुप्ता (PDGA) का जवाब है- “अर्णब, जब तक सरकार मदद नहीं करती, मेरे हाथ बंधे हुए हैं।”

अगस्त 2019 की चैट में अर्णब कह रहे हैं कि वे कल मुंबई में जावड़ेकर (केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री) से मिलेंगे। इस पर पार्थो दास गुप्ता जावड़ेकर को यूजलेस (बेकार) बताते हैं। आगे की बातचीत में अर्णब लिखते हैं कि PMO को अलग तरह से देखा जा रहा है।

सितंबर 2019 की चैट में अणर्ब कह रहे हैं कि-“मैंने कहा था कि NM (नृपेंद्र मिश्र प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव) पीएमओ से जाने वाले हैं।”

वहीं अक्तूबर 2019 की एक वाट्सअप चैट में पार्थो दास गुप्ता अर्णब से पूछ रहे हैं-“आखिर क्या चल रहा है, कुछ मालूम है?”  जवाब में अर्णब लिखते हैं-“इससे जुड़े पॉइंट्स उन्होंने कल ही शेयर किए थे।”

पार्थो अर्णब से दोबारा पूछते हैं कि ‘किससे शेयर हुए हैं, PMO से या मंत्री से?’ और जवाब में अर्णब लिखते हैं- PMO से।

उपरोक्त बातों के अलावा कई और बातों में अर्णब गोस्वामी बड़े रुआब में ‘पीएमओ’ और सूचना और प्रसारण मंत्रालय से निकटता दिखाते हैं। साथ ही विभिन्न मंत्रियों से मिलने के लिए दिल्ली की अपनी यात्रा का विवरण दिए। और तो और वॉट्सअप चैट में एक जगह वह कहते हैं कि ‘सभी मंत्री हमारे साथ हैं’।

टीआरपी फ्रॉड और गोदी मीडिया की प्रतिस्पर्धा

साथ ही अर्णब गोस्वामी के इस लीक वॉट्सअप चैट से इस बात का भी खुलासा होता है कि गिरने की सीमा और मोदी सरकार की चरण वंदना करने वाले इन गोदी मीडिया में भी परस्पर कड़ी प्रतिस्पर्धा उन्हें टीआरपी फ्रॉड करने जैसे संगीन अपराध को अंजाम देने को उकसाती है।

बता दें कि फेक टीआरपी स्कैम में गिरफ्तार हो चुके पार्थोदास गुप्ता ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल यानी BARC के 2013 से 2019 के बीच CEO थे। BARC वह संस्था है, जो देश के 45 हजार घरों में टीवी पर लगे बार-ओ-मीटर के जरिए हर हफ्ते बताती है कि कौन सा चैनल कितना देखा जा रहा है।

4 अप्रैल, 2019 को, आम चुनाव से कुछ दिन पहले, पार्थोदास गुप्ता ने अर्णब गोस्वामी को टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी (TRAI) के प्रस्ताव को BARC के देखने के डेटा को सार्वजनिक करने के बजाय सिर्फ उसे आपूर्ति करने के लिए कहा। जिस पर पार्थो दास गुप्ता अर्णब गोस्वामी को बताते हैं कि यदि डेटा सार्वजनिक किया जाता है, तो मल्टी सिस्टम ऑपरेटर्स (MSO) और लोकल केबल ऑपरेटर्स (LCO) द्वारा कई चैनलों को ब्लैक आउट किया जा सकता है।

अन्य बातचीत में अर्णब गोस्वामी ने अन्य समाचार चैनलों को उनके (रिपब्लिक टीवी) से बेहतर रेटिंग प्राप्त करने के बारे में भी शिकायत की और पार्थोदास गुप्ता ने उन्हें आश्वासन दिया कि आवश्यक कदम ‘डेटा को साफ’ करने के लिए उठाए जाएंगे।

एक अन्य चैट में पार्थोदास गुप्ता कहते हैं कि NBA को जाम कर दिया गया है और मैं बहुत कॉन्फिडेंस से यह बता रहा हूं। पार्थो दासगुप्ता एक जगह अर्णब से कहते हैं कि आपके कुछ कहे बिना मैंने आपको सपोर्ट किया है। मैंने बाकी सब चैनल, लोगों को जाम कर दिया है।

वायरल हो रहे स्क्रीनशॉट में दिख रहा है कि पार्थो अर्णब से कहते हैं –“रजत मेरे बाद जा रहा है, आपको PMO के जरिए मेरी मदद करनी पड़ेगी।”

अर्णब गोस्वामी- “देख लिया है और ऐसा ही होगा।”

पार्थोदास गुप्ता- “जब समय मिले लेटर पढ़ लीजिएगा।”

अर्णब गोस्वामी – “रजत की एंट्री नहीं होगी।”

पार्थोदास गुप्ता – “बिना कहे आपको भी मदद की है।”

अर्णब गोस्वामी- “मैं कल दिल्ली में रहूंगा।”

पार्थोदास गुप्ता – “और दूसरों का भी जैम है।”

अर्णब गोस्वामी – “गुरुवार को पीएम से मुलाकात हो सकती है, पढ़ रहा हूं।”

पार्थोदास गुप्ता – “कृपया किसी से कहिए कि रजत, एनबीए और ट्राई हमें परेशान ना करें। ट्राई गलत सूचनाएं फैला रहा है। मैंने उस एडवरटाइजर की स्टोरी को लेकर भी बीजेपी की मदद की है। और MIB की भी मदद कई मुद्दों पर की है।”

अर्णब गोस्वामी – “मैं कल सुबह 9 बजे उड़ान भरने से पहले या फिर लैंड करने के बाद आपको फोन करुंगा।”

पार्थोदास गुप्ता – “मैं पेरिस के लिए फ्लाइट पकड़ रहा हूं।”

अर्णब गोस्वामी – “ठीक, मुझे इसे हैंडल करने दीजिए।”

पार्थोदास गुप्ता – “मैं भारत के समयानुसार 1 पीएम पर लैंड करूंगा।”

अर्णब गोस्वामी- “मैं 2 बजे के आसपास आपको फोन ट्राई करूंगा।”

पार्थोदास – “हां, उसके बाद बात करते हैं…”

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

सुशील मानव
Published by
सुशील मानव