पेगासस गेट: रुपेश और ईप्सा शताक्षी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका

पत्रकार, एक्टिविस्ट रुपेश कुमार सिंह और उनकी एक्टिविस्ट जीवन साथी ईप्सा शताक्षी ने पेगासस जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दिया है। अधिवक्ता प्रतीक कुमार चड्ढा ने उन दोनों की ओर से ये याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया है। याचिका में यूनियन ऑफ इंडिया (भारत संघ) व अन्य को प्रतिवादी बनाया गया है।

गौरतलब है कि हाल ही में इजरायली कंपनी एनएसओ निर्मित पेगासस स्पाइवेयर की मदद से 300 से अधिक भारतीय नागरिकों पत्रकारों, एक्टिविस्ट, नेता, व ज्यूडिशियरी से जुड़े लोगों की जासूसी करने का गंभीर मामला सामने आया है। जिन लोगों के फोन की जासूसी की गयी है उनमें झारखंड के रामगढ़ में रहने वाले स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह और उनकी एक्टिविस्ट जीवन साथी ईप्सा शताक्षी से जुड़े तीन फोन नंबर पेगासस स्पायवेयर द्वारा जासूसी की संभावित सूची में शामिल हैं।

मुझसे पहले पहुंच जाते थे धमकाने वाले लोग

रुपेश कुमार सिंह पत्रकारिता का एक प्रतिबद्ध नाम है। पेगासस जासूसी मामले में एक साक्षात्कार में रुपेश कुमार सिंह ने कहा है कि “ये लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत साबित हो रहा है तो अभी के जो हुक्मरान हैं, उन्होंने सीधा-सीधा इस लोकतंत्र पर कब्ज़ा कर लिया है। मैं ये कह सकता हूं और कि वे पहले कदम पर हैं।

जहां तक हम पत्रकारों की बात है, तो साफ-सी बात है कि हम सूत्रों के भरोसे काम करते हैं। हमें गांव से फोन आता है कि हमारे गांव में यह समस्या है या यह आंदोलन चल रहा है, आप आइए। अब कोई भी हमें क्यों फोन करेगा। वह आदमी, अगला डर जाएगा।

ऐसा मेरे साथ पहले भी हुआ, अब हमें पता चल रहा है कि तब हमारी जासूसी हो रही थी, इसलिए कि मैं कहीं भी फोन करता था कि मैं आ रहा हूं तो वहां पर मेरे पहुंचने से पहले कुछ अन्य लोग पहुंच जाते थे और बोलते थे कि किसको बुला रहे हो, क्यों बुला रहे हो। “

हाशिये पर धकेल दिये गये आदिवासी समाज के लिये पत्रकारिता करने वाले रुपेश कुमार सिंह बताते हैं कि मैं जिस राज्य में रहता हूं और जो खबरें कवर करता हूं, वे प्राकृतिक संसाधनों की लूट से जुड़ी होती हैं। मेरी ज्यादातर खबरें झारखंड में जो विस्थापन की समस्या है, विस्थापितों का जो आंदोलन है, यहां जो फोर्स एनकाउंटर है, आदिवासियों की माओवादियों के नाम पर जो व्यापक गिरफ़्तारी हुई है, उन्हें जेल में बंद किया गया है, तो मैं उस संघर्ष को व्यापक फलक पर रखने की कोशिश कर रहा था। और इन संसाधनों की लूट में सिर्फ़ झारखंड के लोग शामिल नहीं हैं, बल्कि पूरी दुनिया के देशी-विदेशी पूंजीपति, जिन्हें हमारी सरकार ने न्योता दिया है वे प्राकृतिक संसाधनों की लूट करते हैं। मैं उस पर लिख रहा था, बोल रहा था, सो मुझे लगता है कि इसीलिए मेरा इसमें नाम सूची में है।

रुपेश आगे बताते हैं कि “जब मुझे पता चला इस बात का कि मेरा और मेरी जीवनसाथी और एक परिवार के सदस्य का नाम सूची में सामने आया है तो हैरानी नहीं हुई लेकिन गुस्सा बहुत ज्यादा है कि मतलब आप किसी की निजता के साथ इस तरह से खिलवाड़ कैसे कर सकते हैं। मैं अपने बेडरूम में क्या कर रहा हूं, मैं किससे बात कर रहा हूं और सिर्फ़ मेरे ही नहीं, आप एक पत्रकार की आवाज़ को दबाने के लिए आप उनके परिजन का भी फोन टैप कर रहे हैं, जिनको हमारी पत्रकारिता से उतना मतलब नहीं है”।

इस मामले में कई देशों की सरकारों ने जाँच के आदेश दिए हैं। इसमें फ्रांस के अलावा अल्जीरिया, इजरायल और मेक्सिको जैसे देश शामिल हैं। मेक्सिको के अटॉर्नी जनरल ने हाल ही में कहा था कि एनएसओ ने जिस व्यक्ति थॉमस ज़ेरोन के साथ क़रार किया था, वह भाग कर इज़रायल चला गया और उसकी जाँच की जा रही है। जिस इजरायल की कंपनी पर आरोप लगे हैं वहाँ भी जाँच के आदेश दिए गए हैं। इस मामले में बुधवार को ही इजरायली सरकारी अधिकारियों ने एनएसओ ग्रुप के कार्यालयों पर छापे मारे हैं। इसकी पुष्टि ख़ुद एनएसओ के एक प्रवक्ता ने इजरायली समाचार वेबसाइट ‘द रिकॉर्ड’ से की। उसके अनुसार इजरायल के रक्षा मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने उनके कार्यालयों का दौरा किया था।

फ्रांस की राष्ट्रीय साइबर-सुरक्षा एजेंसी एएनएसएसआई ने देश की ऑनलाइन खोजी पत्रिका मीडियापार्ट के दो जर्नलिस्ट के फोन में पेगासस स्पाइवेयर की मौजूदगी की पुष्टि की है, प्रकाशन ने गुरुवार को उस संबंध में जानकारी दी है। यह एक सरकारी एजेंसी द्वारा वैश्विक स्नूपिंग घोटाले की पूरी दुनिया में पहली पुष्टि है।

फ़्रांस में दो पत्रकारों के फोन की जासूसी पेगासस के जरिए की गई थी। फ्रांसीसी साइबर सिक्योरिटी एजेंसी ने इस बात पर मुहर लगा दी है। यह दोनों पत्रकार मीडियापार्ट समाचार आउटलेट के लिए काम करते हैं। जिन दो पत्रकारों का फोन हैक होने की बात सामने आई है, उनके नाम हैं लीनेग ब्रेडॉक्स और एड्वी प्लेनेल। इन दोनों का नाम एमनेस्टी इंटरनेशनल की सिक्योरिटी लैब की रिपोर्ट में है।

अपने दोनों पत्रकारों का नाम एमनेस्टी इंटरनेशनल की लिस्ट में आने के बाद मीडियापार्ट ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद पेरिस के पब्लिक प्रॉसीक्यूटर रेमी हेट्ज ने 20 जुलाई को मामले की जांच शुरू की थी। इसके बाद फ्रांसीसी राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा एजेंसी एएनएसएसआई द्वारा पेरिस मुख्यालय में दोनों पत्रकारों के फोन की जांच की गई थी। मीडियापार्ट के मुताबिक एएनएसएसआई के आईटी विशेषज्ञों ने पेगासस के जरिए इनके फोन की जासूसी की पुष्टि की है। मीडियापार्ट इसको लेकर फ्रेंच में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसके मुताबिक मामले की सुनवाई के दौरान इस बात की पुष्टि हुई है। गौरतलब है कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का नाम भी उस लिस्ट में है, जिनकी पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए जासूसी की गई है। इसके बाद ही फ्रांस ने इस मामले में जांच बैठाई है।

गौरतलब है कि इस रिपोर्ट में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बताया था कि दुनिया भर के करीब 50 हजार फोन नंबर पेगासस द्वारा हैक किए गए थे। पेगासस को बनाने वाली कंपनी एनएसओ इजरायल की है।

वहीं भारत सरकार ने ऐसे किसी तरह के जासूसी घोटाले को खारिज किया है। इसके साथ ही सरकार ने सरकार के अंदर और सरकारी एजेंसियों के अंदर भी स्पाइवेयर के इस्तेमाल की जांच की मांग को खारिज कर दिया है। हालांकि, इस विवाद ने फ्रांस में बहुत मजबूत कार्रवाई हो रही है, जहां राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन जासूसी कांड के संभावित लक्ष्यों में से एक थे।

इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगले हफ्ते सुनवाई की बात कही है। माना जा रहा है कि इससे संबंधित सभी याचिकाओं को कोर्ट क्लब कर लेगा और उनकी एक साथ सुनवाई करेगा।

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