मतपत्र के पक्ष में ईवीएम के खिलाफ एक सत्याग्रह

चुनाव का पारा चढ़ रहा है और राजनीतिक दल प्रचार में जोर-शोर से लग गए हैं लेकिन चुनाव की घोषणा के बाद भी एक मुद्दा जो ठण्डा होने का नाम नहीं ले रहा है वह है इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन व उसके साथ लगा हुआ वोटर वेरीफायेबल पेपर ऑडिट ट्रेल। सरकार में बैठे हुए व भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए लोगों के अलावा आम जनता के मन में बड़े पैमाने पर ईवीएम व वीवीपीएटी के प्रति संदेह घर कर गया है।

हरदोई, उन्नाव व सीतापुर के आम अनपढ़ ग्रामीण आपको बताएंगे कि ईवीएम में जो मत वे डालते हैं उन्हें नहीं मालूम वह कहां चला जाता है? सीतापुर की महमूदाबाद तहसील के चांदपुर-फरीदपुर गांव के बनारसी बताते हैं कि पिछले चुनाव में उन्होंने ईवीएम पर हाथी का बटन दबाया था किंतु वीवीपीएटी के शीशे में कमल का चिन्ह दिखाई पड़ा इसलिए उन्हें ईवीएम पर बिल्कुल भरोसा नहीं है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली व अमरीका में न्सू जर्सी से स्नातकोत्तर अध्ययन करने वाले अभियंता राहुल मेहता, जो राइट टू रिकॉल पार्टी से भी जुड़े हुए हैं, ने एक ऐसी मशीन ईज़ाद की है जो 2017 से वीवीपीएटी में लगाए गए काले शीशे की मदद से ईवीएम व वीवीपीएटी द्वारा मतों की चोरी कैसे की जा सकती है उसे दिखाती है। मतदाता जब अपना मत डालेगा तो उसे वीवीपीएटी में वही पर्ची दिखाई देगी जिस पर उसने बटन दबाया।

मशीन को जिस दल को जिताने के लिए प्रोग्राम किया गया है उस पर तो दबने वाले हरेक बटन पर एक पर्ची छपेगी किंतु इसके अलावा किसी भी अन्य दल पर लगातार मत देने पर पहले मत पर तो विपक्षी दल या स्वतंत्र उम्मीदवार के चिन्ह की पर्ची छपेगी और हरेक अगले मतदाता को वीवीपीएटी पहले बटन पर छपी पर्ची ही 7 सेकेण्ड की बत्ती जला कर दिखा देगी किंतु जब बटन दबाने का क्रम बदलेगा तो वीवीपीएटी विपक्षी दल के पहले मत को छोड़ शेष सभी पर्चियां जिस दल को जिताने का प्रोग्राम बन कर डाला गया है उसी के चिन्ह की पर्चियां छाप देंगी। मशीन को प्रोग्राम ही इस तरह से किया गया है कि एक खास दल को शेष दलों के चिन्ह चोरी कर के जिताना है।

अब राहुल मेहता यह नहीं कह रहे कि चुनाव आयोग की मशीनों में इसी तरह हेरा-फेरी होती है। वे सिर्फ यह कह रहे हैं कि यदि ईवीएम-वीवीपीएटी में कोई हेरा-फेरी करना चाहे तो इस तरह से कर सकता है। वे यह नहीं कह रहे हैं कि ऐसा हरेक जगह होता है बल्कि वे सिर्फ यह कह रहे हैं कि यदि शासक दल चाहे तो उसके हितैषी कम्प्यूटर प्रोग्रामर, सिस्टम्स प्रबंधक व अधिकारियों की मदद से कुछ चुनाव क्षेत्रों में, जहां उसे कम मतों से हारने का खतरा है, ऐसा करा सकता है।

ईवीएम के खिलाफ व उसके विकल्प हेतु तमाम आवाजें हैं। वर्तमान में एक विधान सभा क्षेत्र के लगभग 300 मतदान केन्द्रों में से पांच पर चुनाव उपरांत ईवीएम व वीवीपीएटी के आंकड़ों का मिलान किया जाता है। कुछ लोग कह रहे हैं कि यह मिलान 100 प्रतिशत पर्चियों का होना चाहिए। किंतु राहुल मेहता की मशीन दिखाती है कि यदि मत की चोरी दोनों ईवीएम व वीवीपीएटी में हो रही है तो 100 प्रतिशत पर्चियों का मिलान हो जाएगा और मतों की चोरी पकड़ी भी न जा सकेगी। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि वीवीपीएटी से छपी पर्ची मतदाता के हाथ में दी जाए और मतदाता उसे ऐसे साधारण बक्से में डाले जिसमें कोई इलेक्ट्रॉनिक चिप न लगी हो और फिर इन पर्चियों की गिनती मतों के रूप में की जाए।

अब यदि वीवीपीएटी की पर्चियों को ही सादे बक्से में डाल कर गिनना है तो इससे अच्छा मतपत्र पर ही मतदाता मुहर लगाकर मतपेटी में डाले और मतपत्र ही गिने जाएं। मतदाता और मतपेटी के बीच में ईवीएम-वीवीपीएटी रखने की जरूरत ही क्या है? जिन वजहों से ईवीएम लाया गया था – यानी कुशलता और शीघ्रता – अब वह मकसद ही हल नहीं होगा। अब हम सिर्फ दिखावे या यह महसूस करने के लिए कि हम आधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहे हैं ही ईवीएम-वीवीपीएटी का इस्तेमाल करेंगे। यहां महात्मा गांधी का मोटर-कार पर दृष्टिकोण प्रासंगिक है। गांधी ने कहा था कि यातायात हमारी जरूरत है, उसका वेग नहीं। इसी तरह चुनाव कराना हमारी जरूरत है, ईवीएम-वीवीपीएटी नहीं। यदि मतपत्रों के इस्तेमाल में लोगों का ज्यादा भरोसा है तो हमें थोड़ा समय और श्रम लगा कर भी निष्पक्ष चुनाव हेतु मतपत्र का चयन ही करना चाहिए।

अतः ऐसा प्रतीत होता है कि विधान सभा व संसद के चुनाव के लिए मतपत्र वापस लाना ही सबसे समझदारी वाला समाधान है। स्थानीय निकाय के चुनाव तो मतपत्र से होते ही हैं। जिसका मतलब हुआ कि मतपत्र से चुनाव कराने की पूरी व्यवस्था मौजूद है। विधान सभा व संसद चुनाव में भी हम मतपत्र तो छापते ही हैं उन सरकारी कर्मचारियों के लिए जो अपना मत डाक से देते हैं और 85 वर्ष की उम्र से अधिक वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए जो घर बैठे मतदान कर सकते हैं।

अतः हमें सिर्फ अधिक संख्या में मतपत्र छपवाने की जरूरत है। कई विकसित देश ईवीएम छोड़कर मतपत्र पर वापस चले गए हैं। यह तर्क कि मतपत्र में भी चोरी हो सकती है का वजन अब कम हो गया है क्योंकि अब कैमरों का युग है। जैसे चण्डीगढ़ के महापौर चुनाव में मतपत्र में की जा रही हेरा-फेरी पकड़ी गई। अगर यही हेरा फेरी मशीन के अंदर हो रही होती तो कैमरे से न पकड़ी जाती, शायद वहां मौजूद चुनाव अधिकारी भी न जान पाते कि मशीन के अंदर हेरा-फेरी हो रही है।

मैंने इस चुनाव में एक भूमिका ली है कि मैं 20 मई को मतदान के दिन अपने मतदान केन्द्र स्प्रिंगडेल स्कूल, इंदिरा नगर में मतपत्र की मांग करूंगा और यदि मतपत्र न उपलब्ध कराया गया तो बिना मतदान किए मतदान केन्द्र से बाहर आ जाऊंगा। इस आशय का ई-मेल मैंने चुनाव आयोग को भेज दिया है और लखनऊ जिलाधिकारी जो मेरे निर्वाचन अधिकारी भी हैं को पत्र देकर सूचित कर दिया है। यह चुनाव का बहिष्कार नहीं है। यदि मुझे मतपत्र दिया जाएगा तो मैं निश्चित रूप से इण्डिया गठबंधन के उम्मीदवार को अपना मत दूंगा।

मेरे कुछ मित्र मेरी इस बात के लिए आलोचना कर रहे हैं कि इससे इण्डिया गठबंधन को नुकसान होगा। मेरा मानना है कि मेरे जैसे सत्याग्रह करने वालों की संख्या मत पाने वाले पहले और दूसरे क्रम पर उम्मीदवारों के मतों के अंतर से कम ही रहेगी। अतः हमारी कार्यवाही से हमारे चुनाव क्षेत्र के अंतिम परिणाम पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

हां, हमारी कार्यवाही से यह जरूर हो सकता है कि चुनाव आयोग यदि ईवीएम-वीवीपीएटी को पूरी तरह से हटाने का निर्णय न भी ले तो अगले चुनाव में हमारे जैसे मतदाताओं के लिए जिनका ईवीएम-वीवीपीएटी पर भरोसा नहीं है के लिए मतपत्र का विकल्प उपलब्ध करा दे।

मेरे कई हितैषी मुझे यह सत्याग्रह न करने की सलाह दे रहे हैं लेकिन मुझे संवेदनहीन चुनाव आयोग पर मतपत्र के पक्ष में कोई निर्णय लेने के लिए दबाव बनाने का इससे बढ़िया कोई उपाय नहीं सूझ रहा है। यदि कोई मुझे मतपत्र वापस लाने का इससे बेहतर कार्यक्रम सुझा सके तो मैं अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए तैयार हूं।

हां, सर्वोच्च न्यायालय से एक उम्मीद है। यदि वह चुनावी बांड की तरह इस मुद्दे पर भी स्पष्ट भूमिका लेते हुए चुनाव आयोग को यह निर्देश दे दे कि चुनाव मतपत्र से कराए जाएं या कम से कम हमारे जैसे लोगों को जो चुनाव आयोग को पूर्व सूचना दे चुके हैं उनको मतपत्र का विकल्प उपलब्ध कराया जाए तो हमारी समस्या का समाधान हो जाएगा।

(संदीप पाण्डेय सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) के महासचिव हैं।)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments