सुप्रीम कोर्ट ने देश में क्रिप्टोकरेंसी में व्यापार की अनुमति दी

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को देश में क्रिप्टोकरेंसी में व्यापार की अनुमति प्रदान कर दी। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) द्वारा जुलाई 2018 से बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में सेवाएं प्रदान करने या क्रिप्टोकरेंसी व्यापार से निपटने के संबंध में लगाए गए प्रतिबंध को हटा दिया।

जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की तीन जजों की पीठ ने फैसला सुनाते हुए 2018 के परिपत्र/ अधिसूचना को रद्द कर दिया है। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) की याचिका पर ये फैसला दिया गया है।

इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने 2018 के RBI सर्कुलर पर आपत्ति जताते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसने बिटकॉइन सहित क्रिप्टोकरेंसी से निपटने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को निर्देश जारी किए थे। अब देश के सभी बैंक इसका लेन-देन शुरू कर सकते है।

आईएएमएआई के सदस्य एक-दूसरे के बीच क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज करते हैं। आईएएमएआई ने अपनी दलीलों में दावा किया कि आरबीआई के इस कदम ने आभासी मुद्राओं के माध्यम से वैध व्यावसायिक गतिविधि पर प्रभावी रूप से प्रतिबंध लगा दिया है।

विनियामक निकाय ने छह अप्रैल, 2018 को एक परिपत्र निर्देश जारी किया था कि इसके द्वारा विनियमित सभी इकाइयां आभासी मुद्राओं ( वर्चुअल करेंसी) में सौदा नहीं करेंगी या किसी व्यक्ति या इकाई को इससे निपटने में सुविधा प्रदान करने के लिए सेवाएं प्रदान नहीं करेंगी।

सुनवाई के दौरान आईएएमएआई ने तर्क दिया था कि क्रिप्टोकरेंसी कोई मुद्रा नहीं है और आरबीआई के पास कानून के अभाव में इस तरह के प्रतिबंध को लागू करने की शक्तियां नहीं हैं, जिसमें क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित किया गया है। आरबीआई ने हालांकि कहा था कि उसका प्रतिबंध सही है। 

2013 से वो क्रिप्टोकरेंसी के उपयोगकर्ताओं को सावधान कर रहा है और इसे भुगतान का एक डिजिटल साधन नहीं मानता है। इस पर कड़ाई से रोक होनी चाहिए ताकि देश में भुगतान प्रणाली खतरे में न पड़े। अंत में, उसका कहना था कि आरबीआई को क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने के फैसले लेने का अधिकार है।

इससे पहले 2018 में भारतीय रिजर्व बैंक ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। ऐसे में रिज़र्व बैंक को अपनी तरफ से इस तरह का आदेश देने का अधिकार नहीं था। रिज़र्व बैंक ने दलील दी थी कि बैंकिंग व्यवस्था को किसी भी संभावित नुकसान से बचाने के लिए इस तरह का कदम उठाना ज़रूरी था।

क्रिप्‍टो करेंसी एक वर्चुअल करेंसी है और क्रिप्टो करेंसी में सबसे लोकप्रिय बिटकाइन है। बिटकॉइन को 2009 में लॉन्‍च किया गया था और इसके बाद से कई और क्रिप्टो करेंसी लॉन्च हो चुकी हैं। इस करेंसी को सरकार जारी नहीं करती है, इसलिए उसे रेगुलेट भी नहीं कर सकती है। भले ही इसके नाम में करेंसी या क्वॉयन जुड़ा हो, लेकिन दुनिया के किसी भी केंद्रीय बैंक मसलन, भारतीय रिजर्व बैंक ने इसे जारी नहीं किया है।

वर्चुअल करेंसी न तो नोट है और न ही सिक्का। यह केवल इलेक्ट्रॉनिकली स्टोर होती है और अगर किसी के पास बिटकॉइन है तो वह आम मुद्रा की तरह ही सामान खरीद सकता है। सरकार या किसी भी नियामक ने किसी भी एजेंसी, संस्था, कंपनी या बाजार मध्यस्थ को बिटक्वॉयन जारी करने का लाइसेंस नहीं दे रखा है।

वित्त मंत्रालय ने पहले भी बिटक्वॉयन समेत तमाम वर्चुअल करेंसी के खतरे के प्रति लोगों को आगाह किया था। साथ ही इसे एक तरह का पोंजी स्कीम भी माना है जिसमें भारी मुनाफे के लालच में लोग पैसा लगाते हैं, लेकिन बाद में मूल के भी लाले पड़ जाते हैं।

अपने बजट भाषण में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि सरकार क्रिप्टो करेंसी लीगल टेंडर या क्वाइन पर विचार नहीं करती है। अवैध गतिविधियों को धन उपलब्ध कराने अथवा भुगतान प्रणाली के एक भाग के रूप में इन क्रिप्टो परिसंपत्तियों के प्रयोग को समाप्त करने के लिए सभी प्रकार का कदम उठाएगी।

अप्रैल 2018 में रिजर्व बैंक ने एक कमेटी बनाने का एलान किया था जो आरबीआई के वर्चुअल करेंसी लाने के बारे में सुझाव देगा। बैंक का कहना है कि ये मौजूदा कागजी मुद्रा के अतिरिक्त होगी। कागजी मुद्रा की छपाई वगैरह पर खर्च भी काफी होता है जबकि वर्चुअल करेंसी को लेकर इस तरह की परेसानी नहीं होगी। फिलहाल, अभी स्ष्पट नहीं है कि ये वर्चुअल करेंसी कब आएगी।

इंटरनेट करेंसी होने की वजह से इसे आसानी से हैक किया जा सकता है। इस करेंसी को किसी भी सेंट्रल एजेंसी द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाता है, इसलिए किसी ग्राहक का पैसा डूबने या विवाद को हल करने के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं है।

बिटकॉइन के जरिए लेन-देन करने वालों को लीगल और फाइनेंशियल रिस्क उठाना पड़ता है। दरअसल, इस करेंसी को लेकर उठने वाली समस्याओं को हल करने की कोई उचित व्यवस्था नहीं है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बिटकॉइन का इस्तेमाल गैरकानूनी और आतंकवादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

इंटरनेट पर इस वर्चुअल करेंसी की शुरुआत जनवरी 2009 में बिटकॉइन के नाम से हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में बिटकॉइन, रिप्लड, एथेरम और कार्डनो जैसे करीब 2,116 क्रिप्टो करेंसी प्रचलित हैं, जिनका बाजार पूंजीकरण 119.46 अरब डॉलर है।

इस वर्चुअल करेंसी का इस्तेमाल कर दुनिया के किसी कोने में किसी व्यक्ति को पेमेंट किया जा सकता है और सबसे खास बात यह है कि इस भुगतान के लिए किसी बैंक को माध्यम बनाने की भी जरूरत नहीं पड़ती। यह पीयर टू पीयर टेक्नोलॉजी पर आधारित है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और कानूनी मामलों के जानकार हैं। वह इन दिनों  इलाहाबाद में रहते हैं।)

जेपी सिंह
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