अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच के लिए सेबी ने SC से 6 महीने और मांगा, मोइत्रा ने कहा- यह एक मजाक है!

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अडानी समूह की कंपनियों के खिलाफ स्टॉक मूल्य हेरफेर के आरोपों की जांच पूरी करने के लिए छह महीने के विस्तार की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दायर किया है। 2 मार्च को, सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को अडानी-हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच पूरी करने और दो महीने की अवधि के भीतर स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। चूंकि न्यायालय द्वारा दी गई समय सीमा 2 मई को समाप्त होने वाली है, सेबी ने मामले की जटिलता को देखते हुए छह महीने की और अवधि मांगी है।

इस पर तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्विट करके सवाल उठाया है। महुआ ने ट्विट किया है- यह एक मजाक है। सेबी इंडिया अक्टूबर 2021 से जांच कर रहा है जब उन्होंने जुलाई के मेरे पत्र का जवाब दिया। जबकि वे प्रथम दृष्टया उल्लंघन देखते हैं (कोई आश्चर्य नहीं)- वे अपने पसंदीदा व्यवसायी की रक्षा के लिए 6 महीने चाहते हैं ताकि उसे कवर करने के लिए अधिकतम समय मिल सके।

सेबी ने कहा है कि लेन-देन की जटिल प्रकृति को देखते हुए जांच पूरी करने के लिए कम से कम 15 महीने की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन यह भी कहा कि वो छह महीने के भीतर इसे पूरा करने के लिए “उचित प्रयास” करेगा। बाजार नियामक ने कहा कि 12 संदिग्ध लेन-देन से संबंधित जांच के संबंध में, जो प्रथम दृष्टया जटिल हैं और कई उप-लेनदेन हैं और इन लेनदेन की एक कठोर जांच के लिए सत्यापन सहित कंपनियों द्वारा किए गए सबमिशन के विस्तृत विश्लेषण के साथ-साथ विभिन्न स्रोतों से डेटा/सूचना के मिलान की आवश्यकता होगी।

अपने निर्देश में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने आदेश दिया था कि चल रही जांच के एक हिस्से के रूप में, सेबी भी जांच करेगा- (ए) क्या प्रतिभूति अनुबंध विनियमन नियमों के नियम 19ए का उल्लंघन हुआ है; (बी) क्या संबंधित पार्टियों के साथ लेन-देन का खुलासा करने में विफलता है और अन्य प्रासंगिक जानकारी जो कानून के अनुसार सेबी से संबंधित पार्टियों से जुड़ी है; (सी) क्या मौजूदा कानूनों के उल्लंघन में स्टॉक की कीमतों में कोई हेरफेर हुआ था।

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा ने सेबी के अनुरोध को मजाक बताते हुए आरोप लगाया है कि अपने फेवरेट बिजनेसमैन को बचाने के लिए समय की मांग कर रहे हैं ताकि मामले को कवर करने में ज्यादा से ज्यादा समय मिल सके। वे अपने पसंदीदा बिजनेसमैन को बचाने के लिए 6 महीने का समय चाहते हैं ताकि मामले को कवर करने के लिए अधिकतम समय मिल सके।

सेबी ने कोर्ट को बताया है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में जिन 12 संदिग्ध ट्रांजेक्शन के बारे में बताया गया है, वो काफी जटिल हैं और इसकी जांच में कम से कम 15 महीनों का समय लग सकता है । सेबी ने कहा कि वो जांच को 6 महीने के भीतर पूरा करने की कोशिश करेगी। सेबी ने बताया कि उसने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक्सपर्ट कमिटी के साथ दो मीटिंग की है। साथ ही कमेटी को जांच के बारे में बताया गया है।

सेबी ने कोर्ट को बताया है कि मामले की जांच के लिए कई घरेलू और इंटरनेशनल बैंकों के बैंक स्टेटमेंट देखने की जरूरत है। विदेशी बैंकों से बैंक स्टेटमेंट लेने के लिए वहां के नियामकों की मदद लेनी होगी और इस प्रक्रिया में काफी समय लगेगा। सेबी ने ये भी कहा कि अमेरिका में ऐसी जांच नौ महीने से लेकर 5 साल तक चलती है।

2 मार्च को चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की जांच के लिए एक 6 सदस्यों की समिति का गठन किया था। साथ ही इस मामले में सेबी द्वारा की जा रही जांच को भी जारी रखने को आदेश दिया था। सेबी को जांच करने का निर्देश दिया गया था कि क्या इस मामले में सेबी के नियमों की धारा 19 का उल्लंघन हुआ है? क्या स्टॉक की कीमतों में कोई हेरफेर हुआ है?

हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अडानी ग्रुप दशकों से स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग फ्रॉड में शामिल है। साथ ही कहा गया था कि अडानी ग्रुप की शेयर बाजार में लिस्टेड अहम कंपनियों पर काफी कर्ज है। बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए शेयर्स को गिरवी रखकर कर्ज लिया गया है, जिससे पूरे ग्रुप की वित्तीय स्थिति मुश्किल में पड़ सकती है।

रिपोर्ट में ये भी दावा था कि अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर गैरजरूरी तरीके से महंगे हैं। यानी इन शेयर्स की वास्तविक कीमत बहुत कम है लेकिन इन्हें बहुत ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है। अगर असलियत सामने आए, तो शेयर्स की कीमत में 85 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। हालांकि अडानी ग्रुप ने इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया था। साथ ही कहा था कि हिंडनबर्ग के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

(जे.पी.सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं)

जेपी सिंह
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