दूसरा गुजरात बन गया है मध्य प्रदेश

गुजरात की तर्ज पर अब बारी मध्य प्रदेश को हिंदुत्व की प्रयोगशाला बनाने की है। इस सिलसिले में मध्य प्रदेश के तमाम जिलों में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। राम मंदिर के लिए चंदा इकट्ठा करने निकले बजरंगी, मुस्लिम आबादी में भड़काऊ और अपमानित करने वाले नारे लगा रहे हैं। इस पर आपत्ति दर्ज करने पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के घरों में घुस कर न सिर्फ तोड़फोड़ की जा रही है, बल्कि मस्जिद तक पर भगवा झंडे फहराने की घटनाएं सामने आई हैं। इस पूरे प्रकरण में न सिर्फ सरकारी मशीनरी का सहयोग है बल्कि जिस गृह मंत्री को इस पर रोक लगानी चाहिए वह उल्टे इसकी अगुआई कर रहा है।  नरोत्तम मिश्रा के बयान आग में घी डालने का काम कर रहे हैं।

मोदी-शाह केंद्र की राजनीति में आए तो भाजपा में दूसरी पीढ़ी के तमाम नेता अचानक अज्ञातवास में चले गए। 7 साल से ये केंद्रीय सत्ता में हैं। भाजपा में पिछले 7 साल में मोदी-शाह को छोड़ कर बाकी सारे चेहरे दरकिनार हैं लेकिन पिछले 6 महीने से मोदी-शाह के समांतर एक शख्स बहुत तेजी से उभरता दिख रहा है, उसका नाम है नरोत्तम मिश्रा। नरोत्तम मिश्रा मध्य प्रदेश के गृह मंत्री हैं और उनके पास स्वास्थ्य मंत्रालय का प्रभार भी है, लेकिन वो उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार जैसे दूसरे राज्यों से जुड़े मसलों और राजनीति पर लगातार बयान देकर मीडिया की सुर्खियां बटोर रहे हैं।

2024 में अमित शाह के कंपटीशन में दो नाम उभर कर सामने आए हैं, उत्तर प्रदेश से योगी आदित्यनाथ और मध्य प्रदेश से  नरोत्तम मिश्रा। योगी से प्रतिद्वंदिता का पता नरोत्तम मिश्रा के उस बयान से चलता है जब कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे के उज्जैन के महाकाल मंदिर से गिरफ्तारी के बाद मीडिया बयान में योगी सरकार पर अपरोक्ष रूप से टिप्पणी करते हुए कहा था, “हमारी पुलिस किसी को नहीं छोड़ती है।”    

नरोत्तम मिश्रा ने नरेंद्र मोदी को भली भांति ऑब्जर्व किया है। कह सकते हैं कि उन्हें नरेंद्र मोदी से एक सीख मिली है कि राजनीति के शीर्ष तक पहुंचने के लिए ‘नायकत्व’ का बहुत बड़ा योगदान रहता है। अब चूंकि नरोत्तम मिश्रा वामपंथ या समाजवाद की विचारधारा वाली राजनीति का प्रतिनिधित्व तो करते नहीं जो वो आर्थिक न्याय या सामाजिक न्याय की अवधारणा पर काम करके नायकत्व ओढ़ते। वो तो नफ़रत और सांप्रदायिक विभाजन की विचारधारा वाले दल का नेतृत्व कर रहे हैं, और उनके दोनों प्रतिद्वंद्वी इस खेल के मंझे हुए खिलाड़ी हैं और उन दोनों के पास गुजरात, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में इसके सफल प्रयोग का ट्रैक रिकॉर्ड भी है।

तो इस मामले में कमजोर आंकड़े वाले नरोत्तम मिश्रा आंकड़े मजबूत करने में लगे हुए हैं। वो अपनी छवि मुस्लिम विरोधी हिंदू नायक की बनाने में जी जान से लग गए हैं। इसी का नतीजा है कि मध्य प्रदेश के हालात दिनों दिन खराब हो रहे हैं। हर जगह राम मंदिर के नाम पर जुलूस और फिर मस्जिद के सामने हंगामा हो रहा है। एक सप्ताह के अंदर मध्य प्रदेश के इंदौर, उज्जैन, मंदसौर, राजगढ़ जिले में मुस्लिम समुदाय के लोगों को निशाना बनाकर किया गया हमला और फिर प्रशासन द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के आरोपियों के घरों को गिराने की कार्रवाई करना। वहीं दूसरी ओर मस्जिदों पर हमले किए गए और भगवा झंडे फहराए गए। अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का घर तोड़ कर भगवा भीड़ उनके घरों में घुसी और तोड़फोड़ की। लूटपाट की और फिर आगजनी की गई, लेकिन बावजूद इन सबके एक भी भगवा अपराधी के खिलाफ़ कार्रवाई नहीं की गई।

इसके उलट राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा अल्पसंख्यक समुदाय के आरोपियों की संपत्ति जब्त करने वाला क़ानून बनाने की बात कह रहे हैं। मध्य प्रदेश में राम मंदिर के लिए चंदा उगाहने वाले भगवा ब्रिगेड पर कथित पत्थरबाजी की घटनाओं को लेकर 6 जनवरी को गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया के सामने धमकी देने वाले लहजे में कहा, “अगर गलत करोगे तो रोकेंगे, नहीं मानोगे तो ठोकेंगे।” इससे पहले मुस्लिम आरोपियों के घर ढहाए जाने जैसी प्रशासनिक कार्रवाई को सही बताते हुए नरोत्तम मिश्रा ने कहा था, “जिस घर से पत्थर आएंगे, उसी घर से पत्थर निकाले जाएंगे।”

गौरतलब है कि पिछले दिनों इंदौर, उज्जैन और मंदसौर में मुस्लिम बाहुल्य इलाके से चंदे के लिए जुलूस निकाल रहे भगवा भीड़ पर कथित पत्थरबाजी की घटनाओं के बाद से ही सरकार मुस्लिम आरोपियों पर शिकंजा कसने में जुटी है। आज मीडिया के सामने गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि सरकार ने तय किया है कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ न केवल कार्रवाई की जाएगी, बल्कि सजा के साथ-साथ नुकसान की राशि भी वसूली जाएगी। इसके लिए भले ही उनकी प्रॉपर्टी ही जब्त क्यों ना करनी पड़े। इससे पहले उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के तर्ज पर मध्य प्रदेश की सरकार ने धर्मांतरण और आरएसएस के शिगूफे लव जेहाद पर ‘धर्म स्वातंत्र्य विधेयक-2020’ ला चुकी है।

कौन हैं नरोत्तम मिश्रा
15 अप्रैल 1960 को ग्वालियर में जन्मे नरोत्तम मिश्रा ने एबीवीपी और आरएसएस के रास्ते भाजपा सरकार में गृह मंत्री तक का सफ़र तय किया है। साल 1977-78 में वह जीवाजी विश्वविद्यालय में एबीवीपी की ओर से छात्रसंघ के सचिव बने। इसके बाद बीजेपी युवा मोर्चा के प्रांतीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे। फिर साल 1985-87 में एमपी भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य बने। साल 1990 में मध्य प्रदेश की नवम विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए तथा लोक लेखा समिति के सदस्य रहे।

नरोत्तम मिश्रा साल 1990 में पहली बार विधायक बने और विधासभा में सचेतक भी रहे। फिर 1998, 2003, 2008, 2013, 2018 में मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। नरोत्तम मिश्रा को एक जून 2005 को तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री के रूप में शामिल किया गया था। मध्य प्रदेश की सियासत में नरोत्तम मिश्रा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के भरोसेमंद माने जाते थे। यही वजह थी कि दिसंबर 2005 को शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने नरोत्तम मिश्रा पर भरोसा जताते हुए अपने मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में उन्हें शामिल किया। इसके बाद से लगातार शिवराज सरकार में मंत्री पद की जिम्मेदारी संभालते आ रहे हैं।

मीडिया फुटेज के लिए ऊल-जलूल बयानबाजी
कांग्रेस की कमलानाथ सरकार को कोरोना काल में गिराने और कांग्रेस के विधायकों को तोड़कर भाजपा की सरकार बनाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले नरोत्तम मिश्रा मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे, लेकिन केंद्रीय सत्ता ने शिव राज सिंह चौहान को फिर से ताजपोशी कर दी, जबकि नरोत्तम मिश्रा को गृह मंत्री पद पर नंबर दो की हैसियत के साथ संतोष करना पड़ा।

उसके बाद से ही नरोत्तम मिश्रा लगातार खुद को मीडिया की सुर्खियों में बनाए रखने का जतन सफलतापूर्वक करते आ रहे हैं।वो मध्य प्रदेश की राजनीति से इतर लगातार दूसरे राज्यों के मसलों पर भी हलचल पैदा करने और मीडिया फुटेज बनाने वाली बयानबाजी कर रहे हैं। जैसे आज ही तृणमूल कांग्रेस के खेल मंत्री लक्ष्मी रतन शुक्ला के इस्तीफे पर उन्होंने कहा कि चुनाव तक ममता बनर्जी अकेली बचेंगी टीएमसी में।

इससे पहले उन्होंने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के उस ट्वीट, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘पश्चिम बंगाल में बीजेपी दहाई अंक को पार करने के लिए जद्दोजहद कर रही है। अगर भगवा पार्टी ऐसा करने में सफल होती है तो वह ट्विटर छोड़ देंगे’ पर नरोत्तम मिश्रा ने कहा, “पीके और सीके सब फीके होते हैं, जब जनता खड़ी होती है। यही प्रशांत किशोर थे जो बिहार में तेजस्वी यादव की लालटेन बुझा कर आए। अब ममता की तृणमूल भी तिनके की तरह उड़ती दिखेगी।”

वहीं दो दिन पहले उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कोरोना वायरस की वैक्सीन को भाजपा की वैक्सीन बताने वाले बयान पर नरोत्तम मिश्रा ने उन पर निशाना साधते हुए कहा था, “अब इनको तो कोई भटका हुआ नौजवान नहीं कह सकता है। जब उन्होंने अपने चाचा या पिता की बात नहीं सुनी, तो वह देश की क्यों सुनेगा? ये तुष्टीकरण की नीति है। वैक्सीन के बारे में जो भ्रम फैलाया जा रहा है, यह अच्छी सोच नहीं है।”

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