शिवसेना के स्थापना दिवस पर शक्ति प्रदर्शन, दोनों पक्षों ने चलाए एक दूसरे पर शब्दों के तीर

महाराष्ट्र । कभी दोस्त, तो कभी दुश्मन। 19 जून को शिवसेना के स्थापना दिवस पर जुबानी जंग देखने के लिये मिला। शिवसेना के 57वें स्थापना दिवस समारोह के दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि उनके विद्रोह ने “पार्टी के अस्तित्व को सुनिश्चित किया” जबकि दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शिंदे के समर्थकों को “लुटेरा” करार दिया।

शिवसेना के विभाजन के बाद, ये पहला मौका था जब पार्टी का स्थापना दिवस मनाया जा रहा था। दोनों ही पक्ष के नेताओं ने खुद को शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाला साहब ठाकरे की हिंदुत्व विरासत के ‘योग्य’ रक्षक के तौर पर पेश करने की कोशिश की। इस मौके पर शिंदे ने गोरेगांव स्थित NESCO केंद्र में एक विशाल सभा को संबोधित किया, जबकि ठाकरे ने हर साल की तरह सायन में शनमुखानंद हॉल में स्थापना दिवस मनाया।

अपने भाषण में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को लपेटते हुए, उद्धव ठाकरे ने कहा कि “हमारी पार्टी का स्थापना दिवस मनाने के लिए लुटेरे गोरेगांव में इकट्ठा हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी खुद को सूरज की तरह समझते हैं, फिर हिंसा से जूझ रहे मणिपुर पर क्यों नहीं अपने तेज से राज्य को स्थिरता प्रदान कर देते हैं? वह मणिपुर में चल रही हिंसा के ऊपर एक शब्द नहीं बोल रहे हैं”।  

प्रधानमंत्री मोदी के यूएस दौरे पर ठाकरे कहते हैं कि, जब देश में आंतरिक कलह चल रही हो, ऐसे में देश का प्रधानमंत्री दूसरे देश जाकर शांति जैसी चीजों पर कैसे बात कर सकता है? पूरे देश को पता है कि पूर्वोत्तर राज्य “जल रहा है”, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी यूएस यात्रा को मणिपुर हिंसा से ज्यादा अहमियत दे रहे हैं। यह चीज प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार की भूमिका को कटघरे में खड़ी करती है। केंद्र सरकार की इस हरकत पर भाजपा को चेतावनी देते हुए ठाकरे ने कहा कि राज्य और देश भर में सांप्रदायिक दंगों को बढ़ावा देकर आप कभी भी सत्ता में नहीं आ सकते हैं।

आगे ठाकरे ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अगर अपनी ताकत दिखाना ही चाहते हैं तो मणिपुर का दौरा करें और वहां पर शांति बहाल करें, ना कि विदेश जाकर शांति जैसी चीज पर भाषण दें। ठाकरे ने अपने पूर्व सहयोगी बीजेपी पर भी निशाना साधा और कहा, ‘ऐसा लगता है कि मणिपुर में डबल इंजन सरकार पटरी से उतर गई है। केवल एक ही इंजन (गृह मंत्री अमित शाह) मणिपुर तक पहुंच पाया है, दूसरा कहां है?’

हिंदुत्व को लेकर, शिवसेना (यूबीटी) नेता ने कहा कि, “हमारे हिंदुत्व ने हमें कभी ये नहीं बताया कि मणिपुर में भाजपा नेताओं पर हमला होता है तो हमें खुश होना चाहिये। लेकिन अगर कश्मीर या मणिपुर जैसे राज्य में, हिंदुओं पर हमला किया जाता है, तो ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि “भाजपा की हिंदुत्व विचारधारा विफल हो गई है।”

विचारधारा की बात पर, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे ने अपने पूर्व सहयोगी को निशाने पर लिया। शिंदे ने कहा कि साल 2019 में महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए शिवसेना पार्टी ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया और ठाकरे जी का ये कदम शिवसेना के साथ “गद्दारी” है”।

शिंदे ने आगे बोलते हुए कहा कि “आप हम पर कुछ भी आरोप लगा सकते हैं, लेकिन आपको सहानुभूति नहीं मिलेगी। इसकी वजह है, सरकार बनाने के लिए कांग्रेस जैसी पार्टी से हाथ मिलाना, और ऐसा करना बाला साहेब की विचारधारा का गला घोटने जैसा है।”

अपने भाषण के दौरान, मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर वह पिछले साल जून में ठाकरे के खिलाफ विद्रोह नहीं किए होते, तो पार्टी का अब तक जीवित रहना मुश्किल था। क्योंकि जैसे-जैसे समय बीत रहा था ऐसा लग रहा था कि ठाकरे ने शिवसेना और उसकी विचारधारा को “कचरा” में बदलने की कसम खा ली है।

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