सोनिया गांधी ने लोकसभा में सीबीएसई के महिला विरोधी पैसेज का उठाया मुद्दा

आज संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष  सोनिया गांधी ने लोकसभा में सीबीएसई के सिलेबस का मुद्दा उठाया। 

दरअसल सीबीएसई की दसवीं कक्षा के इंग्लिश पेपर में परिवार और समाज में होने वाली समस्याओं को महिलाओं की आजादी से जोड़ा गया है, साथ ही लिखा गया कि आजकल के बच्चे अनुशासनहीन हो रहे हैं क्योंकि पत्नियां अपने पतियों का आदर नहीं करतीं।

शून्यकाल में इस मसले को उठाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘मैं सरकार का ध्यान गत 11 दिसंबर को सीबीएसई की दसवीं कक्षा की परीक्षा के एक प्रश्नपत्र में आए एक अप्रिय और प्रतिगामी सोच वाले अपठित गद्यांश को लेकर देशभर में उपजे आक्रोश की ओर दिलाना चाहती हूं।’’

लोकसभा में सोनिया गांधी ने आगे कहा कि क्लास 10 के अंग्रेजी के पेपर में एक एक्सरसाइज थी जिसमें घर पर किशोरों के बीच अनुशासनहीनता के लिए नारीवादी विद्रोह और पत्नी की दास्यमुक्ति को दोषी ठहराया गया है। इसको सीबीएसई के सिलेबस से हटाया जाए। 

रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी ने लोकसभा में कहा कि “इस पूरे पैसेज में बेहद आपत्तिजनक बातें कही गई हैं, जिसका कोई मतलब नहीं है। इनकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए। मैं बच्चों, अभिभावकों, शिक्षकों और शिक्षाविदों की चिंता सबके सामने रख रही हूं और इस तरह के महिला विरोधी कॉन्टेंट पर कड़ी आपत्ति दर्ज़ करती हूं। इस तरह के कॉन्टेंट से शिक्षा के खराब मानकों का पता चलता है। यह, प्रगतिशील और सशक्त समाज के नियमों और कायदों के विरुद्ध है। “

उन्होंने सदन में कहा कि एक्सरसाइज में लिखा गया है कि ‘महिलाओं को स्वतंत्रता, सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं की वजह बन रही है। पैसेज में यह भी लिखा गया है कि ‘पत्नियों ने अपने पति की बात माननी बंद कर दी है और यही मुख्य कारण है कि बच्चे और नौकर अनुशासित नहीं हो रहे हैं’। 

केंद्र सरकार पर हमलावार होते हुए सोनिया गांधी ने सदन में कहा कि शिक्षा मंत्रालय को सीबीएसई के सिलेबस और टेस्टिंग में जेंडर संवेदनशीलता मानकों की समीक्षा करनी चाहिए। और गलतियों के लिए माफ़ी मांगनी चाहिए।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सीबीएसई के उक्त पैसेज के हवाले से सदन में बताया कि “महिलाओं को स्वतंत्र होने की अनुमति देना एक समस्या है और पत्नियों द्वारा अपने पति के प्रति दिखाई गई ‘अवज्ञा’ बच्चों में इसी तरह के मुद्दों की ओर ले जाती है’।

सोनिया गांधी ने लोकसभा में कहा कि शिक्षा मंत्रालय और सीबीएसई को इस मामले में माफ़ी मांगनी चाहिए और उक्त प्रश्नपत्र को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संपूर्ण समीक्षा की जाए ताकि भविष्य में ऐसा कभी नहीं हो। कांग्रेस अध्यक्ष ने शिक्षा मंत्रालय से पाठ्यक्रम में लैंगिक समानता के मानकों की भी समीक्षा करने की मांग की। 

सोनिया गांधी ने कहा कि महिलाओं के प्रति ऐसा अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सीबीएसई और शिक्षा मंत्रालय को महिलाओं का अपमान करने के लिए माफ़ी मांगना चाहिए।

विपक्ष ने वॉकआउट किया 

इसके बाद कांग्रेस सदस्यों ने सदन में सरकार से इस विषय पर जवाब की मांग की, हालांकि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस मांग को ख़ारिज़ करते हुए कहा कि वह कोई नई परंपरा शुरू नहीं कर सकते।

सोनिया गांधी द्वारा ये मुद्दा उठाये जाने के बाद, विपक्ष चाहता था कि सरकार एक बयान के साथ इसका जवाब दे। हालांकि लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि लोकसभा में यह प्रथा नहीं थी। सांसदों ने पूरे सीबीएसई पाठ्यक्रम की समीक्षा की भी मांग की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे, विपक्ष – जिसमें कांग्रेस, द्रमुक और वाम दल शामिल थे – विरोध में सदन से वॉकआउट कर गए।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि “संसद में सोनिया गांधी के बयान का कोई जवाब नहीं दिया गयाा। सरकार के उदासीन रवैये के विरोध में हमने आज संसद में सभी समान विचारधारा वाले दलों के साथ वाकआउट किया है।” 

राहुल गांधी और प्रियंका नें भी उठाया मुद्दा 

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी प्रश्नपत्र पर आपत्ति जताते हुए ट्विटर का सहारा लिया। उन्होंने कहा कि अविश्वसनीय। क्या हम वास्तव में बच्चों को ऐसा निरर्थक ज्ञान दे रहे हैं? स्पष्ट रूप से भाजपा सरकार महिलाओं संबंधी इन प्रतिगामी विचारों का समर्थन करती है, अन्यथा ये सीबीएसई पाठ्यक्रम में क्यों शामिल होंगे?’

वहीं  राहुल गांधी ने कहा कि “अब तक के अधिकांश CBSE पेपर बहुत कठिन थे और अंग्रेजी के पेपर में कॉम्प्रिहेंशन पैसेज सर्वथा घृणित थे।  आरएसएस-भाजपा युवाओं के मनोबल और भविष्य को कुचलने की साजिश करते हैं। बच्चों, अपना सर्वश्रेष्ठ करो। मेहनत रंग लाती है। कट्टरता नहीं”।

क्या है पूरा मामला

दरअसल शनिवार 11  दिसंबर को आयोजित 10वीं की परीक्षा के प्रश्नपत्र में एक पैसेज दिया गया था। उक्त पैसेज में’ महिलाओं की मुक्ति ने बच्चों पर माता-पिता के अधिकार को समाप्त कर दिया’ और ‘अपने पति के तौर-तरीके को स्वीकार करके ही एक मां अपने से छोटों से सम्मान पा सकती है’ जैसे वाक्यों का उपयोग किया गया जिस पर आपत्ति जतायी गई। प्रश्नपत्र के विवादित अंश सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। इन्हें लेकर ट्विटर पर लोग सीबीएसई की स्त्रीविरोधी मानसिकता की आलोचना करते हुये हैशटैग #सीबीएसई इनसल्टस वुमैन ट्रेंड करा रहे थे। 

इस पैसेज में टीनेजर्स (13 से 19 वर्ष की आयु) की जीवन शैली के बारे में बताया गया है कि कैसे वह अपनी ही दुनिया में जब जीने लगते हैं। जब परिवार में महिला अपनी इच्छा से समाज में आगे बढ़कर अपना करियर चुनती है और समाज में एक नाम-पहचान हासिल करती है। तब परिवार में माता-पिता का बच्चों पर से अधिकार कम होने लगता है। बच्चे यह फैसला नहीं कर पाते हैं कि वह दोनों में किस की सुने। महिलाओं को परिवार में अनुशासन बनाए रखने के लिए अपने पति की आज्ञा का पालन करना चाहिए।

साथ ही एक महिला, मां होते हुए अपने पति के तरीके को स्वीकार करेगी, तभी उसके छोटे बच्चे अपनी मां की आज्ञा का पालन करेंगे। महिला उद्धार ने बच्चों पर माता-पिता के अधिकार को खत्म कर दिया है। इस तरह के कई वाक्य इंग्लिश के इस पेपर में मौजूद हैं, जो इस तरह की व्याख्याएं करते हैं। इस पैसेज में पिछली सदी के विचारों का उल्लेख किया गया है, साथ में 20वीं सदी में महिलावादी विद्रोह होने के बाद से परिस्थितियों में बदलाव की व्याख्याओं के संदर्भ में इसे बच्चों पर माता-पिता के अधिकार को कम करने की बात कही गई है।

सीबीएसई ने विवादित इक्सरसाइज हटाया

सीबीएसई 10वीं परीक्षा के अंग्रेजी प्रश्न पत्र में पूछे गए विवादित प्रश्न पर मचे भारी हंगामे के बाद बोर्ड ने सोमवार को इसे वापस ले लिया। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने कहा कि कक्षा 10 के अंग्रेजी के पेपर में आया पैसेज नंबर 1 बोर्ड की गाइडलाइंस के अनुरूप नहीं है। ऐसे में इसे प्रश्न पत्र से हटाया जाता है। इस पैसेज के पूरे मार्क्स सभी विद्यार्थियों को मिलेंगे।

सीबीएसई ने नोटिस में कहा, ‘कक्षा 10वीं टर्म-1 परीक्षा के इंग्लिश लैंग्वेज एंड लिटरेचर क्वेश्चन पेपर के पैसेज का एक सेट बोर्ड के दिशानिर्देशों के अनुरूप नहीं है। इस पर मिले फीडबैक के आधार पर बोर्ड ने इस मामले को विषय विशेषज्ञों के पास समीक्षा के लिए भेजा था। उनकी सिफारिश के आधार पर पैसेज नंबर 1 और इससे संबंधित प्रश्न को प्रश्न पत्र से हटाने का फैसला लिया गया है। इसके बदले में स्टूडेंटस् को फुल मार्क्स दिए जाएंगे।’

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

सुशील मानव
Published by
सुशील मानव