घर न लौट पाने पर सोनभद्र के मज़दूर ने की गोवा में आत्महत्या, जगह-जगह पिटाई पर वर्कर्स फ़्रंट ने कहा- ज़ुल्म से बाज आए सरकार

लखनऊ। मोदी जी आपकी बिना तैयारी और योजना के कोरोना महामारी रोकने के किए लॉकडाउन के कारण तबाह हुए, पैदल चल रहे, रोटी मांग रहे मजदूरों को अगर आपकी सरकार घर नहीं पहुंचा सकती, खाना नहीं दे सकती तो बलाए मेहरबानी उन पर लाठी चलवाना तो बंद करवाइये। पूरे देश में मजदूरों पर हो रहे दमन पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर ने अपने बयान में ये बातें कहीं। 

उन्होंने सरकार से कहा कि यदि घर जाने की जायज मांग पर मजदूर प्रदर्शन कर रहे हैं तो उन्हें समझाने की कोशिश करनी चाहिए। ज्यादा से ज्यादा सरकार को उन्हें क्वारंटाइन कर देना चाहिए। लेकिन यह न कर सरकार ने आतंक का वातावरण बना दिया है। परिणाम स्वरूप मजदूर रेलवे की पटरियों पर चल रहे हैं और जान गंवा रहे हैं। कल ही सोनभद्र में झारखंड निवासी मजदूर सरजू मल्लाह का हाथ ट्रेन से कट गया। इसलिए सरकार को मानवता के लिए मजदूरों पर लाठी चलवाना बंद करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आज गोवा में सोनभद्र के जुगैल गांव के मजदूर तेज प्रताप खरवार ने घर न जा पाने के तनाव में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। अहमदाबाद, सूरत, हैदराबाद, कुण्डाकुलम तमिलनाडु के न्यूक्लियर पावर प्लांट में कार्यरत मजदूरों पर पुलिस ने बर्बर लाठीचार्ज किया। इससे पहले गुजरात में काम कर रहे यूपी के मजदूरों को एमपी में पुलिस ने मार पीट कर वापस भेज दिया। इन मजदूरों का लाखों रूपया बर्बाद हो गया। हालत इतनी बुरी है कि क्वारंटाइन सेंटरों में रखे गए मजदूरों को खराब खाना दिया जा रहा है। यूपी के बरेली जनपद थाना आंवला में लाल मंदिर में तकरीबन 100 प्रवासी मजदूरों को आज सुबह खराब खाने पर विरोध करने पर बुरी तरह मारा गया। 

वर्कर्स फ्रंट के नेता ने कहा कि मोदी राज में इस व्यवस्था का खूंखार चेहरा सामने आ गया है। मजदूरों से लाख विरोध के बावजूद अभी भी किराया वसूला ही जा रहा है। मजदूरों को बंधुआ बना दिया गया है और ऐसा लग रहा है कि भारत फिर सामंती युग में वापस पहुंच गया है। 

सरकार को हम लगातार पत्र लिखकर इस स्थिति को बदलने की मांग कर रहे है। लेकिन आरएसएस-भाजपा की सरकारें दमन पर रोक लगाने की जगह मजदूरों के अधिकारों में कटौती करने में लगी हुई हैं। मजदूरों के लिए लागू कानून खत्म किए जा रहे हैं और काम के घंटे 12 करके सरकारों ने 33 प्रतिशत मजदूरों की छंटनी का रास्ता खोल दिया। सरकार विस्फोटक होते जा रहे हालात पर ध्यान देने की जगह डंडे से देश चलाने पर आमादा है। पीएम से एक बार फिर अनुरोध है कि ‘राष्ट्र निर्माता’ मजदूरों पर जुल्म बंद किया जाए।

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