रोजगार के सवाल पर पटना में हुआ छात्रों-युवाओं का बड़ा जमावड़ा

पटना। भारतीय युवाओं को सबसे अधिक बेचैन करने वाली ज्वलंत समस्या रोजगार का प्रश्न है। भाजपा-जदयू गठबंधन ने 19 लाख युवाओं को रोजगार देने का विधान सभा चुनाव (2020) के दौरान वादा किया था। लेकिन अब तक इस दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया। बिहार की भाजपा-जदयू गठबंधन सरकार के इस विश्वासघात के खिलाफ सम्मानजनक रोजगार और न्यायपूर्ण बहाली की मांग को लेकर आज ( 9 मार्च) पटना के भारतीय नृत्य कला मंदिर में रोजगार अधिकार सम्मेलन आयोजित हुआ। जिसमें हजारों युवाओं ने शिरकत की।

यह सम्मेलन रोजगार संघर्ष संयुक्त मोर्चा के बैनर तले हुआ। इसका गठन बहालियों को लेकर आंदोलनरत युवाओं के विभिन्न ग्रुपों को एक मंच पर लाने के लिए हुआ है। सीपीआई (एमएल) विधायक मनोज मंजिल ने रोजगार अधिकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आज सरकार रेलवे का निजीकरण करके रोजगार के सबसे बड़े सेक्टर को ही खत्म कर रही है। बिहार में शिक्षक-कर्मचारियों के आधे से अधिक पद खाली पड़े हैं। स्वास्थ्य जैसे विभाग में पद खाली हैं, लेकिन सरकार इन पदों पर बहालियां नहीं कर रही है।

उन्होंने कहा कि अभी बिहार विधानसभा का सत्र चल रहा है, सरकार को जवाब देना होगा कि अभी तक उसने अपनी घोषणाओं को लागू क्यों नहीं किया। उन्होंने यह भी ऐलान किया कि सभी लंबित बहालियों को अविलंब पूरा करने, बहालियों का संपूर्ण कैलेंडर लागू करने, विज्ञापन में बहालियों की समय सीमा निर्धारित करने, रिक्त पड़े पदों पर श्वेत पत्र लाने, रोजगार के सवाल पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग पर 10 मार्च को रोजगार अधिकार महासम्मेलन में पारित प्रस्तावों को बिहार के मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा।

सम्मेलन में उपर्युक्त मांगों के साथ-साथ रेलवे के निजीकरण पर रोक लगाने, रेलवे कैलेंडर जारी करने, रेलवे में समाप्त किए जा रहे सभी पदों को जोड़ते हुए सभी रिक्त पदों पर अविलंब बहाली की मांग पर 14 मार्च को रेलवे परिसर में धरना देने की योजना भी बनाई गई। रोजगार के लिए यह आंदोलन 31 मार्च तक चलेगा, जब तक विधानसभा का सत्र चलेगा। रोजगार सम्मेलन विधान सभा सत्र के समानान्तर  चलता रहेगा और जिलों में भी धरने दिए जाएंगे।

विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि मोदी और नीतीश कुमार दोनों सरकारों ने हम छात्र-युवाओं को धोखा दिया है। अब यह सरकार 19 लाख रोजगार की बात भी नहीं करती। जबकि नोटबंदी, बिना प्लानिंग के लाॅकडाउन, काॅर्पोरेटपरस्त आर्थिक नीतियों ने संगठित-असंगठित क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को लगातार कम कर दिया है। आज रोजगार के अवसर लगातार सीमित हो रहे हैं, लेकिन हमारी सरकारें इस पर तनिक भी ध्यान नहीं देती हैं। अजीत कुशवाहा ने कहा कि सबसे अधिक युवा वाले देश में बेरोजगारी दूर करना सरकार के एजेंडे में नहीं है। सत्ता में बैठे लोग युवाओं के भविष्य से ज्यादा हिंदू-मुसलमान के ध्रुवीकरण के जरिए देश में दंगा व फसाद खड़ा कर रहे हैं। आज देश की संपत्तियों को औने-पौने दाम पर बेचा जा रहा है। पूरे उद्योग-धंधों को चौपट कर दिया गया है। संसाधनों को बचाने और रोजगार के सवाल पर अब पूरी तरह कमर कस लेने की जरूरत है।

आज के रोजगार अधिकार महासम्मेलन में मुख्य रूप से एसटेट 2019, सांख्यिकी स्वयंसेवक, अनियोजित कार्यपालक सहायक, सीटेट-बीटेट, बीएसएससी 2014, एसटेट 2011-12, पारा मेडिकल, फार्मासिस्ट, राज्य एवं भूमि सुधार के पों पर वेटिंग लिस्ट के अभ्यर्थी, सुधा डेयरी, रेलवे-लाइब्रेरी बहाली के अभ्यर्थी, आईटीआई अनुदेशक, सिपाही बहाली 2009, ललित कला शिक्षक भर्ती आदि के अभ्यर्थी शामिल हुए।

अभ्यर्थियों ने रोजगार अधिकार महासम्मेलन में अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि लगभग तमाम बहालियों के फाइनल रिजल्ट की घोषणा व ज्वाइनिंग में बरसों – बरस का समय लगता है। बहाली की प्रक्रिया लटका कर रखी जाती है। एक बार में किसी भी परीक्षा का परिणाम सामने नहीं आता है। यह छात्र-युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है और यह हमारी सरकारें लगातार कर रही हैं।

आज के कार्यक्रम का संचालन आइसा के बिहार राज्य अध्यक्ष विकास यादव ने किया। अध्यक्ष मंडल में विधायकों के साथ-साथ अलग-अलग बहालियों के नेतृत्वकर्ता अभ्यर्थी शामिल थे। सम्मेलन में बिहार भर से आइसा-इनौस के कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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