सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (6 सितंबर) को मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) के पुलिस अधीक्षक से उस शिक्षिका के खिलाफ मामले में जांच की स्थिति के बारे में एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा, जिस शिक्षिका ने अन्य छात्रों को एक मुस्लिम छात्र को थप्पड़ मारने के लिए कहा था। दो हफ्ते पहले इस घटना का एक वीडियो सामने आया था, जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। कोर्ट ने एसपी से पीड़ित की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी रिपोर्ट मांगी है।
जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता और महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी द्वारा दायर एक रिट याचिका पर नोटिस जारी करते हुए यह आदेश दिया। इस याचिका में मामले में उचित जांच की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता तुषार गांधी के वकील शादान फरासत ने पीठ को बताया कि याचिका में धार्मिक अल्पसंख्यकों सहित बच्चों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए स्कूल प्रणालियों के भीतर निवारक और उपचारात्मक उपायों के संबंध में दिशानिर्देश देने की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि शिक्षक की पहचान बाद में तृप्ता त्यागी के रूप में हुई। वीडियो में दिखाई दिया कि टीचर ने बच्चों को अपने सहपाठी को “जोर से” मारने के लिए कहा। टीचर को वीडियो में यह कहते हुए देखा गया, “मैंने तो डिक्लेयर कर दिया, जितने भी मोहम्मडन बच्चे हैं, इनके वहां चले जाओ।” फिर, जैसे ही एक बच्चा लड़के को मारने के बाद बैठता है, टीचर उससे कहती है : “क्या तुम मार रहे हो? ज़ोर से मारो ना।
घटना के बाद, 26 अगस्त को स्कूल शिक्षक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने की सजा), धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत एफआईआर दर्ज की गई। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि जब से एफआईआर दर्ज की गई है, तब से बच्चे के परिवार पर “समझौता” करने और शिक्षक के खिलाफ एफआईआर वापस लेने का दबाव बढ़ गया है।
(जनचौक की रिपोर्ट।)
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